ज्ञान की क्रांति के बावजूद समाज में सांपों को ले कर अंधविश्वास फलफूल रहा है. अभी भी लोग दूसरों की कहीसुनी बातों पर यकीन कर झूठ को सच मान लेते हैं. इस से वे अपनी जान को जोखिम में डालते हैं. सांपों से जुड़े तथ्यों को जानें. मध्य प्रदेश के भोपाल के पास गनियारी गांव के 25 साल के नारायण सिंह खेतीबाड़ी के काम से अपने खेत गए हुए थे. 3 मई, 2022 की शाम 5 बजे उसे खेत में सांप ने डस लिया. जैसे ही नारायण के घर वालों को खबर लगी, वे उसे अस्पताल ले जाने के बजाय पास के ही गांव बेनीपुर में रहने वाले नाग बाबा के पास झाड़फूंक कराने ले गए.
गांव के लोगों का नाग बाबा के ऊपर इतना भरोसा था कि सांप का जहर वह झाड़फूंक के जरिए खत्म कर देता है. आसपास के कई गांवों के लोग बाबा के पास रोजाना उपचार के लिए जाते हैं. झाड़फूंक करने वाले नाग बाबा ने सर्प दंश से पीडि़त युवक के गले में एक माला पहनाई और धूप जला कर करीब 2 घंटे तक वह झाड़फूंक करता रहा, मगर नारायण की हालत सुधरने के बजाय बिगड़ने लगी. रात 8 बजे उसे भोपाल के नैशनल हौस्पिटल लाया गया, मगर तब तक देर हो चुकी थी.
नारायण की हालत देख कर डाक्टरों ने उसे हमीदिया अस्पताल रैफर कर दिया. रात 10 बजे हमीदिया अस्पताल के डाक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया. डाक्टरों ने घर वालों को बताया कि सांप का जहर पूरे शरीर में फैल चुका है, यदि उसे जल्द अस्पताल लाया जाता तो उस की जान बचाई जा सकती थी. सूचना और संचार तकनीक की क्रांति के बावजूद समाज में अभी भी सांपों को ले कर अंधविश्वास फलफूल रहा है. अभी भी लोग दूसरों की कहीसुनी बातों पर यकीन कर ?ाठ को सच मान लेते हैं.
इस तरह के अंधविश्वास को बढ़ावा देने का काम धर्म के दुकानदारों द्वारा कथाकहानियों में, टीवी पर दिखाए जाने वाले सीरियल और फिल्मों के माध्यम से बखूबी किया जा रहा है. टैलीविजन चैनलों पर दिखाए जाने वाले नागनागिन के सीरियल और ‘नागिन’, ‘नगीना’ जैसी दर्जनों फिल्मों में की गई नागलोक की कपोल कल्पना, इच्छाधारी नाग, बदला लेने वाले नाग, मणि रखने वाले नागों की कहानियां लोगों के दिलोंदिमाग में इस कदर बैठ गई हैं कि वे इन्हें सच मानने लगे हैं. सांपों से जुड़े अंधविश्वास हमारे समाज में सांपों को ले कर कई तरह के अंधविश्वास और भ्रम फैले हुए हैं. गांवदेहात में तो बाकायदा इन की देवीदेवताओं की तरह पूजा की जाती है. नागपंचमी के दिन इन्हें दूध पिलाने की परंपरा है.
सांपों को ले कर कई फिल्में भी बनी हैं जिन में दिखाया जाता है कि नागलोक एक अलग संसार है. ‘नागिन’, ‘नगीना’ जैसी कई फिल्मों में यह कहानी दिखाई गई है कि नाग नागिन के जोड़े में से किसी एक को मारने पर वे अपने साथी की मौत का बदला लेते हैं. इसी प्रकार इच्छाधारी सांप और मणि रखने वाले सांपों की कहानियां गंवई इलाकों में लोगों को सुना कर सांपों के प्रति डर दिखाया जाता है. वास्तव में विज्ञान कहता है कि न तो सांप दूध पीते हैं और न ही इच्छाधारी होते हैं. सांप बीन की धुन पर नाचते हैं, यह भी एक अंधविश्वास है, क्योंकि सांप के कान ही नहीं होते.
गांवदेहात में पंडेपुजारी भी नागपंचमी पर इन का पूजनपाठ करा के भोलेभाले लोगों से दानदक्षिणा बटोर कर अपनी जेबें भरने का काम करते हैं. फुटपाथ पर बिकने वाला साहित्य, हमारी फिल्में और धार्मिक पुराण अंधविश्वास से भरे पड़े हैं. सांप का दूध पीना, सांप का बदला लेना, बीन पर नाचना, मूंछों वाले सांप, दोमुंह वाले सांप, इच्छाधारी नाग, नागमणि होने जैसी बातों से जुड़ी कहानियों का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है. जीव विज्ञान के अनुसार सांप एक मांसाहारी जीव है जो मेंढक, चूहा, पक्षियों के अंडे व अन्य छोटेछोटे जीवों को खा कर अपना पेट भरते हैं. दूध इन का आहार नहीं है. संपेरों को जब भी सांप को दूध पिलाना होता है तो वे उन्हें भूखाप्यासा रखते हैं.
भूखेप्यासे सांप के सामने जब दूध लाया जाता है तो वह उसे पी लेता है. हमारे समाज में ऐसी भ्रांति है कि यदि कोई मनुष्य किसी सांप को मार दे तो मरे हुए सांप की आंखों में मारने वाले की तसवीर उतर आती है, जिसे पहचान कर सांप का साथी उस का पीछा करता है और उस को काट कर वह अपने साथी की हत्या का बदला लेता है. यह सांपों से जुड़ा एक ऐसा अंधविश्वास है जिस का हमारे यहां कहानियों और ढेर सारी फिल्मों में जम कर इस्तेमाल हुआ है. लेकिन यदि हम बात वैज्ञानिक दृष्टिकोण से करें तो इस में तनिक मात्र भी सचाई नहीं है. सांप अल्प बुद्धि वाले जीव होते हैं.
इन का मस्तिष्क इतना विकसित नहीं होता है कि ये किसी घटनाक्रम को याद रख सकें. वैज्ञानिक सिद्धांत के अनुसार जब कोई सांप मरता है तो वह अपने गुदाद्वार से एक खास तरह की गंध वाला तरल छोड़ता है जो उस प्रजाति के अन्य सांपों को आकर्षित करता है. इस गंध को सूंघ कर दूसरे सांप मरे हुए सांप के पास आते हैं जिन्हें देख कर यह सम?ा लिया जाता है कि दूसरे सांप अपने मरे हुए सांप की हत्या का बदला लेने आए हैं. कई बार जिस लाठीडंडे से सांप को मारा जाता है, उस में वह तरल पदार्थ चिपक जाता है. जब उस डंडे को घर के अंदर रखा जाता है तो दूसरे सांप उस गंध से आकर्षित हो कर घर में घुस जाते हैं और हम यह समझ लेते हैं कि सांप का दूसरा साथी बदला लेने आया है.
सड़कों पर खेलतमाशा दिखाने वाले कुछ लोग सांप को अपनी बीन की धुन पर नचाने का दावा करते हैं जबकि यह पूरी तरह से अंधविश्वास है क्योंकि सांप के कान ही नहीं होते. दरअसल यह बात सांपों की देखने व सुनने की शक्तियों और क्षमताओं से जुड़ी है. सांप हवा में मौजूद ध्वनि तरंगों पर प्रतिक्रिया नहीं दर्शाते पर धरती की सतह से निकले कंपनों को वे अपने निचले जबड़े में मौजूद एक खास हड्डी के जरिए ग्रहण कर लेते हैं. सांपों की नजर ऐसी है कि वे केवल हिलतीडुलती वस्तुओं को देखने में अधिक सक्षम हैं. संपेरे की बीन को इधरउधर लहराता देख कर नाग उस पर नजर रखता है और उस के अनुसार ही अपने शरीर को लहराता है और लोग सम?ाते हैं कि सांप बीन की धुन पर नाच रहा है.
सांपों से जुड़ी एक अन्य मान्यता यह है कि कई सांप मणिधारी होते हैं यानी इन के सिर के ऊपर एक चमकदार, मूल्यवान और चमत्कारी मणि होती है. यह मणि यदि किसी इंसान को मिल जाए तो उस की किस्मत चमक जाती है. यह मान्यता भी पूरी तरह से अंधविश्वास है क्योंकि दुनिया में अभी तक 3,000 से भी ज्यादा प्रजातियों के करोड़ों सांप पकड़े जा चुके हैं लेकिन किसी के पास भी इस प्रकार की कोई मणि नहीं मिली है. तमिलनाडु के इरुला जनजाति के लोग, जो सांप को पकड़ने में माहिर होते हैं, भी मणिधारी सांप के होने से इनकार करते हैं.
कभीकभी जेनैटिक चेंज की वजह से ऐसे सांप पैदा हो जाते हैं जिन के एक सिर की जगह 2 सिर होते हैं. ऐसा इंसान सहित इस धरती के किसी भी प्राणी के साथ हो सकता है. लेकिन ऐसा कोई भी सांप नहीं होता है जिस के दोनों सिरों पर मुंह होते हैं. होता यह है कि कुछ सांपों की पूंछ नुकीली न हो कर मोटी और ठूंठ जैसी दिखाई देती है. चालाक संपेरे ऐसे सांपों की पूंछ पर चमकीले पत्थर लगा देते हैं जो आंखों की तरह दिखाई देते हैं और देखने वाले को यह लगता है कि इस सांप के दोनों सिरों पर 2 मुंह हैं. सांपों की एक प्रजाति ‘हौर्नड वाइपर’ के सींग तो होते हैं पर सांप की किसी भी प्रजाति की मूंछें नहीं होती हैं क्योंकि सांप सरीसृप (रेप्टाइल) वर्ग के जीव हैं. इन के शरीर पर अपने जीवन की किसी भी अवस्था में बाल नहीं उगते. होता यह है कि सांप को कोई खास स्वरूप देने पर अच्छी कमाई हो सकती है.
इसी लालच में संपेरे घोड़े की पूंछ के बाल को बड़ी ही सफाई से सांप के ऊपरी जबड़े में पिरो कर सिल देते हैं. इस के अलावा जब कोई सांप अपनी केंचुली उतारता है तो कभीकभी केंचुली का कुछ हिस्सा उस के मुंह के आसपास चिपका रह जाता है. ऐसे में उस सांप को देख कर मूंछों का भ्रम होने लगता है. इसी तरह सांपों की किसी भी प्रजाति में उड़ने का गुण नहीं होता है. लेकिन भारत और दक्षिणपूर्वी एशिया के वर्षा वनों (रेन फौरेस्ट) में एक सांप पाया जाता है जिस का नाम फ्लाइंग स्नेक है. हालांकि इन में भी इन के नाम के अनुरूप उड़ने का गुण नहीं होता है. ये फ्लाइंग स्नेक अपना अधिकांश समय वर्षा वनों के ऊंचेऊंचे पेड़ों पर बिताते हैं. इन सांपों को जब एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर जाना होता है तो ये अपने शरीर को सिकोड़ कर छलांग लगा देते हैं. जब ये सांप उछल कर एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर जाते हैं तो ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे ये उड़ रहे हों. हालांकि इस तरह से यह 100 मीटर तक की दूरी तय कर लेते हैं.
एक बहुप्रचलित मान्यता जिस का कि हमारे फुटपाथ पर बिकने वाली किताबों और फिल्मों में जम कर प्रयोग हुआ है वह यह है कि कुछ सांप इच्छाधारी होते हैं यानी वे अपनी इच्छा के अनुसार अपना रूप बदल लेते हैं और कभीकभी ये मनुष्यों का रूप भी धारण कर लेते हैं. यह भी एक मान्यता मात्र है जोकि पूरी तरह से गलत है. जीव विज्ञान के अनुसार इच्छाधारी सांप सिर्फ मनुष्यों का अंधविश्वास और कोरी कल्पना है, इस से ज्यादा और कुछ नहीं. नाग से रचाई शादी इसी तरह की अंधविश्वासी कहानियों के फेर में पड़ कर नाग देवता से शादी रचाने का एक दिलचस्प मामला मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में देखने को मिला है. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के गृहजिले छिंदवाड़ा के परासिया विधानसभा के आदिवासी अंचल के धमनिया पंचायत के गांव सित्ताढाना निवासी इंदर के 2 बेटे और 2 बेटियां हैं. जिन में 18 वर्षीया छोटी बेटी गीता 8वीं के बाद पढ़ाई छोड़ चुकी है.
गीता को नागपंचमी में सपने में घर और खेत पर सांप दिखाई देते थे. गीता की मानें तो उसे सपने में नाग देवता आते थे और उस से शादी करने की बात करते थे. यह बात गीता ने अपने घर वालों से कही तो पहले तो किसी को भरोसा ही नहीं हुआ. लेकिन जब गीता बारबार नाग देवता से शादी करने की बात कहने लगी और शादी नहीं होने पर जान देने की धमकी देने लगी तो बेटी की जिद के आगे अनपढ़ मातापिता को विवश हो कर उस की बात माननी पड़ी. 15 सितंबर, 2020 को लाल जोड़े में दुलहन बन कर आई गीता के परिवार के लोगों ने घर के पास बने नागदेवता के पूजन स्थल पर लोहे से बने नागदेवता के साथ रीतिरिवाजों के साथ गीता की शादी करवाई. जब लोग मानसिक बीमारियों के शिकार होते हैं तो वे भूतप्रेत, ?ाड़फूंक जैसे अंधविश्वास को मानने लगते हैं.
वास्तव में यह सच नहीं होता. नाग से शादी रचाने की यह अनूठी घटना भी एक प्रकार के मानसिक रोग से पीडि़त होने की कहानी ही है. छिंदवाड़ा के मनोचिकित्सक डा. आर एन साहू ने बताया कि ऐसा होना एक प्रकार का ट्रांसस्टेट है. जब हमारा अचेतन मन चेतन मन पर हावी हो जाता है तो फिर इंसान ऐसी गतिविधियां करता है. असल में इस दौरान ब्रेन का डिफैंस मैकेनिज्म कमजोर हो जाता है जिस से हम अचेतनता की बातों को सही मानने लगते हैं. छिंदवाड़ा की घटना में भी उस लड़की के साथ ऐसा ही हुआ है. सब से ज्यादा खतरा खेतों में खेतखलिहान में रातदिन काम करने वाले मजदूर, किसान को हर पल सावधान रहने की जरूरत है. खेतीबाड़ी से जुड़े कामों में सांप के काटने का खतरा हर पल बना रहता है. कई बार खेत में काम करते वक्त जहरीले जीवजंतुओं के काटने की घटनाएं सामने आती हैं.
खेतों में पाए जाने वाले सांप वैसे तो चूहों से फसलों की रक्षा करते हैं पर सांप को सामने देख कर डर के मारे सभी की घिग्घी बंध जाती है. अकसर खेत में उगी घनी फसल के बीच या खेत की मेड़ पर उगी झाडि़यों में सांप छिपे रहते हैं. अनजाने ही खेत में काम करने वाले के पैर सांप के ऊपर पड़ जाते हैं, तभी सांप अपने बचाव के लिए अपने फन से उसे डस भी लेते हैं. सांप के काटने के इलाज की सही जानकारी न होने से लोग झाड़फूंक के चक्कर में पड़ जाते हैं. यदि काटने वाला सांप जहरीला निकला तो जान से भी हाथ धोना पड़ता है. देश के ज्यादातर हिस्सों में सब से ज्यादा सर्पदंश की घटनाएं वर्षाकाल में सामने आती हैं पर ठंड और गरमी के मौसम में भी खेतों में लगी फसल में काम करते वक्त सर्पदंश से लोग प्रभावित हो जाते हैं. विटनरी कालेज,
जबलपुर के सर्प विशेषज्ञ गजेंद्र दुबे के मुताबिक, भारत में सांपों की लगभग 270 प्रजातियां पाई जाती हैं जिन में से लगभग 10 से 15 प्रजाति के सांप ही ज्यादा जहरीले होते हैं. भारत में करैत, कोबरा नाग, रसेल वाइपर, सा स्केल्ड वाइपर, किंग कोबरा, पिट वाइपर सब से जहरीले सांप हैं. देश में लगभग हर साल 50 हजार लोग सर्पदंश से प्रभावित होते हैं. कई बार सांप जहरीला न भी हो तो भी किसान सांप के काटने के भय से घबरा जाते हैं और हार्ट अटैक से मर जाते हैं. सांप काटने पर ?ाड़फूंक से बचें अकसर सांप के काटने पर लोग ?ाड़फूंक के चक्कर में जल्दी आ जाते हैं. किसानी महल्ला साईंखेड़ा के दरयाव किरार को जुलाई 2018 में धान के रोप लगाते समय सांप ने दाएं हाथ की उंगली में काट लिया.
उन्होने फौरन हाथ के ऊपरी हिस्से में कपड़ा बांध लिया और अपने सहयोगी के साथ झाड़फूंक करने वाले पंडा के पास पहुंच गए. करीब 5-6 घंटे ?ाड़फूंक करने के बाद शाम को घर आ गए. रात्रि में 11 बजे के लगभग जब उन्हें लगातार उल्टियां होने लगीं तो परिवार के लोग उन्हें अस्पताल ले कर गए जहां लगातार 5 दिन तक इलाज चलने के बाद उन की हालत में सुधार हुआ. माहिर लोग बताते हैं कि यदि सांप जहरीला नहीं होता तो पीडि़त व्यक्ति को कुछ नहीं होता. इस वजह से ?ाड़फूंक को लोग सही मान लेते हैं जिन लोगों का यह तरीका ठीक नहीं है. कभी किसी को सांप काटे तो तुरंत ही उसे अस्पताल ले जाना चाहिए. आजकल के नौजवान मोबाइल फोन में सोशल मीडिया की गलत जानकारी को सही मान कर गलतफहमी के शिकार हो जाते हैं और सांप के काटने पर गलत तरीके अपना लेते हैं. अक्तूबर 2019 में मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के गांव चांदनखेड़ा में धान के खेत में दवा का छिड़काव कर रहे एक युवा किसान राजकुमार को सांप ने डस लिया.
राजकुमार ने व्हाट्सऐप पर आए एक मैसेज में पढ़ा था कि सांप के काटने पर उस स्थान पर कट लगा लेना चाहिए. सो, उस ने जल्दबाजी में सांप के जहर से बचने के लिए अपने पास रखे ब्लेड से हाथ में कट लगा लिया. उसे लगा कि खून के साथ सांप का जहर निकल जाएगा लेकिन ज्यादा खून बह जाने के कारण जब उस की हालत बिगड़ने लगी तो साथ में काम कर रहे उस के चाचा द्वारा उसे अस्पताल पहुंचाया गया. जहां डाक्टर ने उसे एंटी स्नेक वीनम इंजैक्शन लगा कर सांप के जहर से बचा लिया. सांप के काटने के इलाज की सही जानकारी जरूर रखनी चाहिए. सर्पदंश के इलाज में माहिर सरकारी अस्पताल में पदस्थ डाक्टर राशि राय बताती हैं कि विषैले सांप के काटने वाले स्थान पर तीव्र जलन, हाथपैरों में झनझनाहट, पसीना छूटना, मिचली आना, अनैच्छिक मलमूत्र त्याग, पलकों का गिरना, पुतलियों का विस्तारित होना जैसे लक्षण सामने आते हैं. कई बार सर्पदंश के शिकार ऐसे मरीज इलाज के लिए आते हैं जिन में ये लक्षण नजर नहीं आते तो यह माना जाता है कि सांप जहरीला नहीं था. सो, सांप के काटने पर हो सके तो मोबाइल से उस की फोटो खींच लें जिस से यह पहचान की जा सके कि सांप किस प्रजाति का है. सांप की पहचान नहीं होने पर डाक्टरों को लक्षणों के आधार पर इलाज करना पड़ता है क्योंकि यदि सांप जहरीला न हो तो एंटी स्नेक वीनम इंजैक्शन के गलत परिणाम भी सामने आते हैं.
सर्पदंश से बचने के लिए सावधानियां और सरकारी सहायता वर्षाकाल में हर सरकारी अस्पताल में प्रतिमाह औसतन 20 लोग सर्पदंश के इलाज हेतु आते हैं. जागरूकता के अभाव में कई बार झाड़फूंक में फंस कर अपनी जान से भी हाथ धो बैठते हैं. जिला अस्पताल नरसिंहपुर की सिविल सर्जन डा. अनीता अग्रवाल बताती हैं कि जिस अंग में सांप ने काटा है उसे पानी से साफ कर स्थिर रखने का प्रयास करें और अंग के पास किसी भी प्रकार का कट न लगाएं क्योंकि इस से टिटनैस होने का खतरा रहता है. सर्पदंश के स्थान पर कपड़े या धागे की पट्टी बांधते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें कि वह इतनी टाइट न बांधें कि रक्तसंचार पूरी तरह बंद हो जाए. रक्तसंचार बिलकुल बंद होने से अंग के कटने की स्थिति बन सकती है.
सांप के काटने पर किसी तांत्रिक, गुनिया, पंडा या ओझा के पास जा कर झाड़फूंक करवाने के बजाय बिना समय गंवाए सीधे अस्पताल पहुंचना चाहिए. आजकल हर सरकारी अस्पताल में पर्याप्त संख्या में एंटी स्नेक वीनम इंजैक्शन मौजूद हैं. तमाम सावधानियां बरतने के बाद लोग सर्पदंश का शिकार हो जाते हैं और झाड़फूंक के फेर में पड़ कर या अपने घरेलू नुस्खे अपनाने की वजह से जान से हाथ धो बैठते हैं. सर्पदंश से मौत होने पर आजकल देश के अधिकांश राज्यों की सरकारें पीडि़त परिवार को सहायता उपलब्ध कराती हैं.
अलगअलग राज्यों में अलगअलग सहायता राशि देने का प्रावधान है. मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश में 4 लाख रुपए, पंजाब में 3 लाख, झारखंड में ढाई लाख रुपए की सरकारी सहायता देने का नियम है. यह सहायता राशि मृतक के निकटतम संबंधी या वारिस को प्रदान की जाती है. सर्पदंश से मृत्यु होने पर मृतक का पोस्टमार्टम कराना जरूरी होता है. सरकारी सहायता प्राप्त करने के लिए अपनी तहसील के राजस्व अधिकारी, एसडीएम या तहसीलदार दफ्तर में मृत्यु के 15 दिन के भीतर आवेदन करना जरूरी है. आवेदन के साथ राशनकार्ड, आधार कार्ड की प्रमाणित प्रति के साथ पोस्टमार्टम रिपोर्ट और मृत्यु प्रमाण पत्र जमा कराना अनिवार्य है.