सीरिया के 3 वर्षीय आयलन कुर्दी की मौत की तसवीरों से सामने आई शरणार्थी संकट की भयावह झलक ने पूरी दुनिया की संवेदना को झकझोर दिया है. दूसरे विश्व युद्ध के बाद यह सब से भीषण शरणार्थी संकट माना जा रहा है. हालात काफी गंभीर हैं. समुद्र के किनारे औंधे मुंह मृत पड़े इस बच्चे की तसवीर ने युद्धग्रस्त देशों की पीडि़तों को शरण न देने की मंशा और शरणार्थियों के खिलाफ रहने वाले देशों को राय बदलने पर मजबूर कर दिया है. आम लोगों और सरकारों में बहस छिड़ गई. तसवीर से विचलित जनमत की वजह से यूरोप के बड़े देशों ने अपने साथी देशों से कहा है कि वे शरणार्थियों को आने दें पर समस्या यह है कि इतनी ज्यादा तादाद में आ रहे शरणार्थियों का बोझ वे कैसे उठाएं. शरण देने के सवाल पर यूरोपीय संघ के 28 देश अब भी बंटे हुए हैं. संघ ने 1.60 लाख शरणार्थियों को विभिन्न देशों में बांटने की योजना पेश की थी पर अंतिम फैसला नहीं हो पाया. इधर, संयुक्त राष्ट्र इस मुद्दे पर अपनी नाकामी जाहिर कर चुका है. यह सब से बड़ी मानवीय त्रासदी भले ही दुनिया के लिए भयानक हो, पर मजहबी कट्टरपंथी अपनी कामयाबी पर जरूर अट्टहास कर रहे हैं. धर्म की बड़ीबड़ी बातें करने वाले दुनिया भर के हिंदू, बौद्ध, सिख, बोहरा, प्रोटेस्टैंट, कैथोलिक आदि दूसरे धार्मिक संगठनों की ओर से कहीं कोई आवाज सुनाई नहीं पड़ रही है.
शरण पर नफानुकसान
मजहब की अमानवीयता के शिकार लाखों बेकुसूर लोग दुनियाभर के अमीर देशों के दरवाजे पर शरण की खातिर दस्तक दे रहे हैं पर हर देश अपना नफानुकसान तोलता हुआ दिखाई दे रहा है. विश्व के देशों की इस ऊहापोह की स्थिति में सीरिया, इराक और पूर्वी व दक्षिण अफ्रीका के हजारों लोग समुद्र की लहरों में समाते जा रहे हैं. हजारों भुखमरी, बीमारी और दूसरी दुर्घटनाओं में जानें गंवा रहे हैं. लाखों लोग विभिन्न देशों की सीमाओं पर सिर पटकते हुए इधरउधर भटकने को मजबूर हैं. युद्धग्रस्त देशों से शरणार्थियों के सैलाब से यूरोपीय सीमाओं पर हालात बेकाबू होते जा रहे हैं. सीरिया में हालात खराब हैं. हर दिन हजारों लोग देश छोड़ रहे हैं. 2011 के बाद से अब तक 40 लाख से भी ज्यादा सीरियाई लोग देश छोड़ कर जा चुके हैं. ताजा संकट में 65 लाख लोग बेघर हो कर दरबदर भटक रहे हैं. जोर्डन, तुर्की और लेबनान जैसे देशों में लोग पैदल ही पहुंच रहे हैं. 2011 में राष्ट्रपति बशर अल असद द्वारा कट्टरपंथियों के खिलाफ की गई सैनिक कार्यवाही के बाद से सीरिया में 3 लाख लोग मारे जा चुके हैं. कई शहर मलबे में तबदील हो चुके हैं.
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