सैक्स शुरू से ही मनुष्य की कमजोरी रहा है. इस से बच पाना किसी के वश की बात नहीं है. आज विज्ञापन का जमाना है. बिना विज्ञापन या प्रचार के किसी भी प्रोडक्ट को मार्केट में लौंच करना या उस की बिक्री कर पाना संभव नहीं है. इसलिए प्रतिस्पर्धा के इस युग में विज्ञापन एजेंसियां प्रचार के नएनए तरीके ईजाद करती हैं ताकि बायर्स को अट्रैक्ट किया जा सके.
हकीकत तो यह है कि सुंदर व सैक्सी मौडलों का इस्तेमाल किसी प्रोडक्ट के प्रचार के लिए लौंचिंग पैड की तरह किया जा रहा है. इस में कोई हर्ज भी नहीं है. अगर युवतियों को सुंदर और सैक्सी काया मिली है तो उस का फायदा उन्हें उठाना भी चाहिए. आज युवतियों के सामने कैरियर के अनेक विकल्प हैं, पर छरहरी और सैक्सी लुक वाली युवतियों को विज्ञापन व मौडलिंग का क्षेत्र रास आ रहा है और वे इस में अच्छी कमाई भी कर रही हैं. प्रचार में सैक्सी मौडलों का इस्तेमाल इतना अधिक बढ़ गया है कि कभीकभी तो विज्ञापन, चाहे वे टीवी पर हों या पत्रपत्रिकाओं में, देख कर हैरत होती है कि आखिर ऐसी क्या वजह थी कि फलां विज्ञापन में सैक्सी मौडल को दिखाया गया, लेकिन यह आज की मार्केटिंग का फंडा है, क्योंकि प्रचार में सैक्सी मौडल पर हर किसी की नजर फोकस हो जाती है और वह प्रोडक्ट हिट हो जाता है. पिछले दिनों शेविंग ब्लेड के एक विज्ञापन में एक अट्रैक्टिव युवती को एक युवक की शेव बनाते हुए दिखाया गया था. लाजिमी है कि नजर इस विज्ञापन पर टिकेगी ही, क्योंकि यह विज्ञापन हट कर था और एक सैक्सी युवती को इस में दिखाया गया था.