दिल्ली की दिन पर दिन होती जहरीली हवा अकेला कारण नहीं है जिस से झुंझला कर सुप्रीम कोर्ट ने और इस से पहले हाईकोर्ट ने दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए कुछ बेहद जरूरी व कड़े कदम उठाने के निर्देश दिए. इस से पहले भी इसी साल चैत के महीने में कश्मीर में बाढ़ का कहर खौफनाक रहा था. इस से लाखों लोग अपना घरबार छोड़ कर अन्य सुरक्षित जगहों पर जाने को

मजबूर हुए थे. सैकड़ोें लोगों की इस से मौत हुई थी. भूस्खलन और बर्फीले तूफान से भी लोगों ने अपने को अपने ही घर में असुरक्षित महसूस किया था. पिछले अप्रैलमई में उत्तर प्रदेश व देश के कुछ अन्य राज्यों में असमय बारिश से चैती फसलें नष्ट हुई थीं जिस से हताशनिराश किसान आत्महत्या पर उतारू हो गए थे. पिछले कुछ दशकों से पूरी दुनिया में जलवायु परिवर्तन के चलते बाढ़, सूखा, महामारी, अकाल का प्रकोप तबाही मचा रहा है.

इस जलवायु परिवर्तन में जिन कारकों को कुसूरवार माना जा रहा है उन में से एक बड़ा कारक है दुनियाभर में बढ़ती मोटर वाहनों की तादाद. वाहनों से निकलने वाला धुआं अनेक बीमारियों का सबब बन रहा है. शहरी क्षेत्रों में तो यह जानलेवा साबित हो रहा है. देश की राजधानी के बारे में हालफिलहाल जो वायु प्रदूषण के कुछ अध्ययन सामने आए हैं उन से पता चलता है कि यहां सीएनजी से वाहनों के चलाए जाने के फलस्वरूप जो पर्यावरण, प्रदूषण में तात्कालिक सुधार दिखा था, अब उस का असर खत्म हो चुका है. बढ़ती मोटरगाडि़यों के चलते दिल्ली की आबोहवा फिर से इतनी दूषित हो चुकी है कि यह फेफड़े में पहुंच कर श्वास संबंधी अनेक बीमारियां पैदा कर रही है. अब तो डाक्टर ऐसे गंभीर रोगियों को दिल्ली छोड़ कर अन्यत्र रहने की सलाह दे रहे हैं.

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