पिछले साल आए तेज भूकंप के झटकों से नेपाल उबर भी नहीं पाया था कि पिछले 4 महीने से जारी मधेशी आंदोलन ने नेपाल की पर्यटन इंडस्ट्री की कमर पूरी तरह से तोड़ दी है. हर साल करीब 8 लाख विदेशी पर्यटक नेपाल पहुंचते हैं. नेपाल को होने वाली कुल कमाई का 52 फीसदी हिस्सा पर्यटन उद्योग से ही आता है. भूकंप ने जहां कई ऐतिहासिक इमारतों और पर्यटन स्थलों का नामोनिशान मिटा डाला वहीं मधेशियों की लड़ाई, हिंसा, आगजनी और पुलिस फायरिंग से घबरा कर बचेखुचे पर्यटक भी अब नेपाल जाने से कतराने लगे हैं.

रोजगार पर खतरा

नेपाल की राजधानी काठमांडू समेत भक्तपुर, ललितपुर, पोखरा, लुम्बिनी, तिलोत्तमा, भैरवा, बुटवन आदि इलाकों में पयटकों की भारी भरमार रहती है. हर साल 8 से 9 लाख विदेशी पर्यटक नेपाल घूमने आते हैं. इन पर्यटकों से नेपालियों को भारी कमाई होती है. पोखरा का गाइड रामा सिंह बताता है कि हर साल अप्रैल से ले कर अक्तूबर तक सैलानियों की भरमार रहती थी. सैलानियों की वजह से ही अधिकतर नेपालियों की रोजीरोटी चलती रही है. भूकंप ने हजारों नेपालियों की रोजीरोटी छीन ली है. दरबार स्क्वायर, धरहरा टावर, जानकी मंदिर समेत नेपाल की 7 ऐतिहासिक इमारतें और धरोहर जमीन में मिल चुकी हैं. पर्यटकों का उन जगहों पर आनाजाना बंद हो चुका है.

गौरतलब है कि नेपाल के मशहूर दरबार स्क्वायर को तो यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित कर रखा था, जो भूकंप के बाद दुनिया के नक्शे से गायब हो चुका है. इस का असर नेपाल की माली हालत पर पड़ना ही था. नेपाल ने भूकंप के झटकों से उबरना शुरू किया तो मधेशी आंदोलन ने नेपाल के पर्यटन कारोबार और उस की माली हालत को पूरी तरह से तोड़ कर रख दिया है.

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