Lifestyle tips : क्या आप के आसपास भी कुछ लोग ऐसे हैं, जो अपने सरकारी नौकरी या फिर बड़े ओहदे का रोब झाड़ते हैं? अगर जवाब हां में है, तो यह कोई नई बात नहीं है.
इस मसले पर आशिमा का कहना है, "मेरी आर्मी कालोनी है. वहां बड़ी पोस्ट से रिटायर लोग रहते हैं, लेकिन अब भी उन में वही रोब है, जो अपनी नौकरी के समय हुआ करता होगा. आज भी वे अपने आगे किसी को कुछ समझते. उन की बीवियां तक अपने पति के नीचे रैंक वाले की बीवी से सीधे मुंह बात तक नहीं करती हैं. उन्हें लगता है ये हम से जूनियर हैं. कई बार ये बातें बहुत अखरती हैं और इसी वजह से हम उन्हें अपनी किटी पार्टी का हिस्सा नहीं बनाते."
Lifestyle tips : बात रुतबे की
सवाल है कि रिटायर होने के बाद भी बहुत से लोग अपना रुतबा क्यों नहीं छोड़ पाते हैं? दरअसल, ऐसे लोगों का नजरिया शुरू से खुद को बौस मनाने का होता है. घर हो या बाहर हर जगह इन का रुतबा होता है. इन्हें अपनी नौकरी में शुरू से लोगों ने सलाम ठोंका होता है, इसलिए रोब झाड़ना इन की फितरत का एक हिस्सा बन जाता है.
अगर ये लोग सही ढंग से भी बात करें, तो भी लगता है कि जैसे तड़ी में बोल रहे हैं. इनकी आवाज और स्टाइल ही कुछ ऐसा हो जाता है कि रोब लगता है. दूसरे शब्दों में कहें तो इतने सालों तक लोगों से अपने तरीके और अपनी शर्तों पर काम करवाने की आदत के तहत रोब झाड़ना इन की आदत में शुमार हो जाता है.
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल
सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन
सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
- 24 प्रिंट मैगजीन