जून की उमसभरी गरमी में डीयू, जो छात्रों के लिए आज एक ड्रीम यूनिवर्सिटी बन गई है, में ऐडमिशन की ख्वाहिश मन में लिए, हाथ में 95 प्रतिशत के 12वीं कक्षा के परीक्षा परिणाम के साथ साक्षी व सृष्टि नौर्थ कैंपस के एक कालेज से दूसरे कालेज में चक्कर लगालगा कर थक चुके हैं. उन्हें अपना दिल्ली यूनिवर्सिटी का मिशन ऐडमिशन का सपना असफल होता दिखाई दे रहा है.
‘‘यार, अब क्या होगा, हमारी सारी मेहनत बेकार हो गई. सालभर जम कर पढ़ाई की, सब से अच्छे कोचिंग सैंटर से कोचिंग ली. पूरे साल स्मार्टफोन, सोशल ऐक्टिविटीज यानी एफबी, वाट्सऐप सभी को अलविदा कर दिया. कोई पार्टी अटैंड नहीं की, कोई मूवी नहीं देखी, कहीं आउटिंग के लिए नहीं गए. हर हफ्ते स्कूल कोचिंग के टैस्ट दिए. रातरात भर जाग कर पढ़ाई की, 95 प्रतिशत मार्क्स भी आ गए. पूरी उम्मीद थी डीयू के अच्छे कालेज में मनपसंद विषय मिल ही जाएगा. ममापापा भी बहुत परेशान हैं. इतने अच्छे मार्क्स लाने का भी फायदा न हुआ.’’
साक्षी व सृष्टि होनहार स्टूडैंट्स हैं जिन्होंने हाई पर्सेंटेज के लिए पूरे साल पापड़ बेले क्योंकि उन का एक ही सपना था डीयू यानी पौपुलर यूनिवर्सिटी में उन्हें ऐडमिशन लेना लेकिन दिनोंदिन सुरसा के मुंह की तरह बढ़ती डीयू की हाई कटऔफ को पूरा करना आज किसी भी छात्र के लिए ऐवरेस्ट की चढ़ाई चढ़ने जैसा हो गया है. उन्हें लग रहा है कि वे अपनी जंग हार गए हैं और भविष्य की उन की सभी योजनाएं, सारे प्लान रेत के महल की तरह भरभरा कर ढह गए हैं.
डीयू हर छात्र का सपना
दिल्ली यूनिवर्सिटी में दाखिला लेना हर छात्र का सपना होता है. हर होनहार छात्र अपने उज्ज्वल भविष्य के लिए यहां दाखिला लेना चाहता है. डीयू की रैपुटेशन उन्हें आकर्षित करती है क्योंकि डीयू का नाम सुनते ही कंपनीज जौब देती हैं. डीयू का इंप्रैशन अपनेआप में अलग होता है लेकिन हाई कटऔफ उन के सपनों पर रोक लगा देती है और उन्हें प्राइवेट कालेजों की ओर रुख करना पड़ता है, जहां की रैपुटेशन वैसी नहीं होती, ऊपर से आसमान छूती फीस मातापिता की जेब पर भारी पड़ती है.
सक्षम को भी पूरा विश्वास था कि 97 प्रतिशत अंक के साथ उसे हिंदू कालेज में उस के मनपसंद विषय इंगलिश (औनर्स) में दाखिला मिल जाएगा और वह आगे चल कर कंपेरेटिव लिटरेचर में रिसर्च करेगा. लेकिन हाई कटऔफ के चलते उस की योजनाएं असफल हो गईं.
आसमान छूती कटऔफ लिस्ट
दिल्ली यूनिवर्सिटी की आसमान छूती कटऔफ लिस्ट के बाद कैंपस में दिख रहे नए छात्रों के चेहरों पर मायूसी का रंग देखने को मिल रहा है. आइए, नजर डालते हैं कुछ पौपुलर कालेजों की कटऔफ लिस्ट पर. बीकौम (औनर्स) की कटऔफ हिंदू कालेज में 99.75 प्रतिशत गई है वहीं हिस्ट्री (औनर्स), पौलिटिकल साइंस (औनर्स), हिंदी (औनर्स), संस्कृत (औनर्स), मैथ्स (औनर्स) और स्टेटिस्टिक्स (औनर्स) की सभी सीटें फुल हो चुकी हैं. ऐसा ही हाल किरोड़ीमल कालेज, लेडी श्रीराम कालेज का भी है. 11 कालेजों ने इंगलिश (औनर्स) के ऐडमिशन बंद कर दिए हैं. अधिकांश कालेजों में सैकंड कटऔफ लिस्ट में मात्र 0.25 प्रतिशत से 0.75 प्रतिशत की ही गिरावट आई है. 54 हजार सीटों के लिए 61 कालेजों में 2.7 लाख छात्रों ने अपना दांव लगाया है. देखते हैं कौन मिशन ऐडमिशन की जंग जीत पाता है.
शिकार सीबीएसई टौपर भी
अच्छे परीक्षा परिणाम के बाद भी मनपसंद कालेज या विषय में ऐडमिशन न मिलने का दर्द 95 प्रतिशत या उस से अधिक प्रतिशत लाने वाले छात्रों के साथसाथ सीबीएसई टौपर सार्थक अग्रवाल ने भी महसूस किया. कोई सीबीएसई बोर्ड में टौप कर के 99.6 प्रतिशत अंक लाए और उस के बाद भी उसे वेटिंग लिस्ट में चौथा नंबर मिले तो उस से कम अंक वाले छात्रों का क्या होगा, यह तो आसानी से समझा जा सकता है.
आप को जान कर हैरानी होगी कि सीबीएसई टौपर सार्थक अग्रवाल को भी सैंट स्टीफेंस कालेज की फ्रैश लिस्ट में जगह नहीं मिली. वेटिंग लिस्ट में उस का चौथा नंबर रहा और उसे श्रीराम कालेज औफ कौमर्स में इकोनौमिक्स (औनर्स) में दाखिला लेना पड़ा. कुछ छात्र तो ऐसे भी हैं जिन्हें 97 प्रतिशत अंक लाने के बाद भी स्पोर्ट्स कोटे से ऐडमिशन लेना पड़ा है. जब किसी छात्र को 1 या 2 अंकों से किसी कालेज में ऐडमिशन नहीं मिल पाता तो वह उस के लिए बहुत ही तकलीफदेह होता है.
आप को जान कर हैरानी होगी कि डीयू में कुल सीटों की महज 5 प्रतिशत सीटें ही स्पोर्ट्स और ईसीए यानी एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज के लिए होती हैं. और इस बार अच्छे प्रतिशत लाने वाले छात्र भी इस कोटे के तहत दाखिला लेने वालों की रेस में हैं.
हताशा भरी दौड़
बालभारती पब्लिक स्कूल, पीतमपुरा, दिल्ली की छात्रा ऐश्वर्या कपूर, जिस ने 12वीं कक्षा में 95.2 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हैं, का सपना था डीयू के अच्छे कालेज में बीकौम में ऐडमिशन लेना. इस के लिए पूरी रात जागजाग कर पढ़ना, घर में कर्फ्यू का सा माहौल, अपने इलाके के सब से अच्छे कोचिंग सैंटर से कोचिंग, अच्छी पर्सेंटेज लाने का दबाव, पेरैंट्स की जुड़ी उम्मीदें, यानी सारी मेहनत पर एक बार में ही पानी फिर गया जब उसे 95 प्रतिशत अंक लाने के बाद भी अपनी पसंद के कालेज में ऐडमिशन नहीं मिला.
ऐश्वर्या कपूर की मां मोनिका कपूर इस बारे में गुस्से व निराशा से कहती हैं, ‘‘क्या फायदा इतनी पढ़ाई, इतनी मेहनत, इतने पैसे खर्च करने का? पहले स्कूलों की महंगी फीस, फिर कोचिंग की फीस, बच्चों का दिनरात एक कर देना, उस के बाद भी अच्छे कालेज में ऐडमिशन न मिलना. बहुत फ्रस्ट्रेशन होती है इस सिचुएशन से. क्या 95 प्रतिशत अंक लाने वाला हमारा बच्चा नालायक है जो उसे डीयू में ऐडमिशन नहीं मिला? समझ नहीं आता हाई पर्सेंटेज की यह रेस कहां तक जाएगी. हम अपनी जिंदगीभर की जमापूंजी बच्चों की शिक्षा पर लगा देते हैं ताकि उन्हें उज्ज्वल व सुरक्षित भविष्य मिले लेकिन दिनोंदिन बढ़ती हाई कटऔफ और 1-1, 2-2 नंबर से बच्चों को ऐडमिशन न मिलना उन्हें हताश व निराश कर देता है.’’
ऐसे ही कुछ हालात का सामना कर रही है सीबीएसई बोर्ड में 95 प्रतिशत अंक लाने वाली सचदेवा पब्लिक स्कूल, रोहिणी, दिल्ली की छात्रा सृष्टि. उसे पूरी उम्मीद थी कि इतनी अच्छी पर्सेंटेज से उसे अपने मनचाहे कालेज में मनचाहा विषय मिल जाएगा. लेकिन दिनोंदिन बढ़ती हाई कटऔफ ने उस की सारी मेहनत पर पानी फेर दिया है.
सृष्टि की मां संगीता अपनी बेटी के ऐडमिशन न होने से बहुत निराश हैं, कहती हैं, ‘‘क्या मतलब रह जाता है इतनी हाई पर्सेंटेज लाने का? समझ नहीं आता आगे आने वाले वर्षों में क्या होगा? पढ़ाई का बढ़ता प्रैशर, महंगी होती शिक्षा, कोचिंग सैंटरों का चलन, वहां ऐडमिशन की मारामारी बच्चों के साथसाथ पेरैंट्स को भी हताश और निराश कर रही है.’’
हाई कटऔफ के चलते छात्रों को ऐसे विषय और कालेज में ऐडमिशन लेना पड़ता है जहां न तो विषय उन की पसंद का होता है और न ही कालेज. और उन्हें सालभर दूसरे क्षेत्रों में भी औप्शन ट्राई करते रहना पड़ता है. प्राइवेट कालेजों की महंगी फीस भरना मातापिता की मजबूरी होती है, जहां न तो पढ़ाई ज्यादा अच्छी होती है, न जौब की गारंटी होती है