‘‘डाक्टर साहिबा, मैं बहुत परेशान हूं. मेरे औफिस के कर्मचारी मुझे ले कर हर वक्त गौसिप करते हैं. ऐसा लगता है कि उन की आपसी बातचीत में चर्चा का विषय बस मैं ही होती हूं. मैं क्या खाती हूं, क्या पहनती हूं, कौन से गाने सुनती हूं, औफिस के बाद कहां और किस के साथ जाती हूं, किसे देख कर मुसकराती हूं…बस, यही सब. हर कोई मुझे कनखियों से देखता है और होंठ दबा कर रहस्यमयी तरीके से मुसकरा देता है. उन की हरकतों से कभीकभी तो इतना दम घुटता है कि औफिस जाने का मन ही नहीं करता. इसी समस्या के चलते मैं अब तक कई औफिस बदल चुकी हूं. यहां भी सब चटखारे लेले कर मेरी ही चर्चा करते थे. मेरी समझ में नहीं आता कि लोग मेरी लाइफस्टाइल और वर्किंगस्टाइल से इतनी ईर्ष्या क्यों करते हैं? कृपया मेरा मार्गदर्शन करें.’’

रोनिता कुंद्रा, उम्र 22 वर्ष (अखबार में डाक्टर की सलाह कौलम में प्रकाशित पत्र)

मिताली ने पहली जौब जौइन की. बड़े उत्साह के साथ उस ने औफिस जाना शुरू कर दिया. लेकिन बमुश्किल 8-10 दिन बीते होंगे. कई कलीग्स ने उसे प्रपोज करना शुरू कर दिया. कोई उसे कौफी पिलाने को उतावला था तो कोई मल्टीप्लैक्स में मूवी दिखाने को. एक ने तो मुंह पर कह दिया, ‘‘तुम बड़े खुले विचारों वाली लगती हो. चलो किसी होटल में चलते हैं.’’

मिताली ने बड़ी बेइज्जती महसूस की. रोंआसी हो कर उस ने उसी दिन से औफिस छोड़ दिया. मिताली ने कभी सोचा भी नहीं था कि लोगों के साथ बिंदास हो कर हंसीमजाक करने और वैस्टर्न स्टाइल के मौडर्न कपड़े पहनने से औफिस में उस के कैरेक्टर को ले कर इस तरह की धारणा बन जाएगी.

ऐसी समस्या का सामना औफिस जाने वाली युवतियों को कई बार करना पड़ जाता है. कलीग्स, क्लाइंट या बौस उन के काम में दिलचस्पी न ले कर पर्सनल लाइफ में ज्यादा रुचि लेने लगते हैं. दरअसल, ये युवतियां पहनावे, व्यवहार और हावभाव में असावधानी बरतती हैं और पेज थ्री सैलिब्रिटीज की तरह सजधज कर अपने औफिस या क्लाइंट के पास जाती हैं. इस वजह से लोगों में गलत संदेश चला जाता है और वे उन्हें ‘अवेलेबल’ या ‘चालू’ मान लेते हैं.

अगर आप चाहती हैं कि औफिस में जीना दुश्वार न हो, लोग आप को फैशन आइकन के रूप में न जान कर आप के काम के लिए पहचानें तो कुछ बातों पर ध्यान देना जरूरी है :

शोऔफ से बचें

याद रखें आप औफिस काम करने जाती हैं, नए फैशन का प्रदर्शन करने नहीं. आप को स्वत: अनुशासित हो कर अशोभनीय और अंग प्रदर्शन करने वाले कपड़ों से बचना चाहिए. नित नए हील सैंडिल, तड़कभड़क और ग्लिटर करने वाले कपड़े व एक्सेसरीज औफिस के लिए नहीं, पार्टियों के लिए होते हैं. गाढ़ी लिपस्टिक, कलर्ड आई शेडो और गालों पर रूज लगा कर औफिस जाएंगी तो स्वाभाविक है लोगों का ध्यान आप के काम पर कम मेकअप पर ज्यादा होगा.

पर्सनल न हों

औफिस में सहकर्मियों से दोस्ती हो जाए तो उसे औफिस तक ही निभाएं. न किसी को अपने घर आने का न्यौता दें, न खुद किसी के घर जाएं. हां, अपनी निजी जिंदगी के बारे में ज्यादा बातचीत कर के खुली किताब न बन जाएं. चाहे वह महिला सहकर्मी हो या पुरुष कलीग. बाद में ये बातें जंगल की आग की तरह फैल जाती हैं. महीने में एकाध बार किसी वजह से अपने सहकर्मी के लिए घर से टिफिन ले जाना अलग बात है, लेकिन रोजरोज किसी पुरुष सहकर्मी के लिए आप घर से ले जा कर खाना खिलाएंगी तो लोगों को उस का दूसरा अर्थ निकालने में देर नहीं लगेगी.

हाथमुंह पर नियंत्रण

सहकर्मियों के साथ बातचीत के दौरान किसी जोक के कारण या मजाक के कारण हंसनामुसकराना स्वाभाविक है, लेकिन अति उत्साहित हो कर ठहाके लगाना, ताली बजाना, उन के गाल पर चुटकी काटना, पीठ पर धौल जमाना या आंख मारना आप के लिए भले ही सिंपल व्यवहार या आदत हो, लेकिन सामने वाले को इस से गलत संकेत मिलता है. वह समझता है आप उस से ‘बहुत फ्रैंडली’ हो गई हैं. इसी प्रकार किसी के कान में फुसफुसा कर बात करने या काफी देर तक अकेले बैठ कर बातें करने से भी बचें.

विनम्र मगर दृढ़ बनें

औफिस में सभी सहकर्मियों के साथ विनम्र और आत्मीय व्यवहार करें और उन की यथासंभव मदद करें लेकिन अगर आप को लगे कि कोई सहकर्मी आप की विनम्रता को सीधापन या मूर्खता समझ कर आप को गलत तरीके से छू रहा है या कोई गलत हरकत कर रहा है तो पूरी दृढ़ता के साथ उस का विरोध करें. कोई द्विअर्थी बातों के जरिए गलत प्रस्ताव रखता हो तो पहली बार में ही मुंहतोड़ जवाब दे देने में ही समझदारी है ताकि वह अपनी सीमाओं को समझ जाए.

मोबाइल को संभाल कर रखें

पर्सनल मोबाइल या टैब में हम अपने खास मित्रों के कई ऐसे मैसेज सहेज कर रखते हैं जिन्हें सब के साथ शेयर नहीं किया जा सकता. कुछ निजी तसवीरें भी ऐसी हो सकती हैं, जिन्हें सीक्रेट रखना जरूरी है. ऐसे में सदैव सजग रहें कि कहीं आप का मोबाइल या टैब किसी दूसरे के हाथ न लग जाए. और वह ऐसे मैसेज या तसवीरों का गलत फायदा न उठा ले. बेहतर होगा पर्सनल गैजेट्स को लौक रखें.

सोशल मीडिया पर संभल कर

औफिस में लोग फेसबुक या ट्विटर पर आप को आसानी से खोज सकते हैं. बेहतर होगा कि कलीग्स को सोशल नैटवर्किंग पर न जोड़ें. उन्हें फ्रैंड लिस्ट में शामिल करने से आप की निजता छिन जाएगी. कई बार खुराफाती दिमाग के लोग यहां मौजूद आप की तसवीरों को गलत ढंग से भी पेश कर सकते हैं इसलिए सोशल मीडिया पर बेहद सतर्क रहें.

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