Matrimony Trends : आर्थिक वर्ण व्यवस्था कभी मानव कल्पना से परे बात थी लेकिन अब समाज और सोच का हिस्सा बन गई है. एक ही जाति के लोग आपस में आर्थिक हैसियत की बिना पर फर्क करने लगे हैं. यह भी भारतीय सामाजिक संरचना से मेल खाती बात नहीं थी लेकिन अब है.
आईएएस अधिकारी नेहा मारव्या का दर्द
2011 के बैच की मध्य प्रदेश काडर की आईएएस अधिकारी नेहा मारव्या का दर्द, भड़ास या कुंठा कुछ भी कह लें आखिर सोशल मीडिया के जरिए फूट ही पड़ा. आईएएस अधिकारियों के लिए बने एक व्हाट्सएप ग्रुप में बीती 20 दिसंबर को उन्होंने अंग्रेजी में लिखा -
“मुझे 14 साल की नौकरी में एक बार भी फील्ड की पोस्टिंग नहीं मिली. साढ़े तीन साल मुझे पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में उपसचिव बना कर बैठाया गया. फिर ढाई साल से राजस्व विभाग में उपसचिव बिना काम के बनाया हुआ है. 9 महीने से मैं सिर्फ औफिस आती हूं और चली जाती हूं. दीवारों में मुझे कैद कर के रख दिया गया है. मैं अकेले होने का दर्द बहुत अच्छे से समझ सकती हूं.”
बस इतना कहना था कि मीडियावीर अगलापिछला सब खोद लाए कि नेहा मारव्या ने शिवपुरी में पदस्थ रहते एक बार ज्योतिरादित्य सिंधिया से और एक बार उन की मंत्री बुआ यशोधराराजे सिंधिया से पंगा लिया था. इतना ही नहीं एक बार तो उन्होंने कलैक्टर की टैक्सी का बिल रोक लिया था क्योंकि वह निर्धारित किराए से कोई 8 हजार रुपए ज्यादा था. और एक बार उन्होंने अपने आला अफसर का गलत आदेश मानने से इंकार कर दिया था और एक बार तो उस वक्त हद हो गई थी जब उन्होंने.....
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