सोशल मीडिया पर कई ऐसे इन्फ्लुएंसर्स उभर कर आएहैं जो रातोंरात मशहूर हो गए. इनमें से कुछ तो काम की बातेंबताते या दिखाते हैं लेकिन अधिकतरऐसेहैं जो हेट, मिसलीडिंग कंटेंट और टौक्सिक मर्दानगी को बढ़ावा देते हैं. एंड्रू टैट का नाम इसी सूची में सबसे ऊपर आता है. यह ब्रिटिश इन्फ्लुएंसर है. इंस्टाग्राम, टिकटौक व अन्य दूसरे प्लेटफौर्म पर उस के कंटेंट पर प्रतिबंध के बावजूद इस के फौलोवर्स अलगअलग नामों से उस के फेन पेज बना कर वीडियोज सोशल मीडिया पर सर्कुलेट करते हैं. हैरानी यह कि ट्विटर जैसे प्रोफैशनल प्लेटफौर्म पर एंड्रू टैट के 1 करोड़ से अधिक फौलोवर्स हैं.

टैट के लिए सोशल मीडिया ठीक वैसे ही साबित हो रहा है जैसे एवेंजर फिल्म के विलेन थेनोस के हाथ में 6 इनफिनिटी स्टोन्स थीं जिस से उस ने आधी आबादी को एक चुटकी में खत्म कर दिया था. हालांकि थेनोस के लिए जेंडर मायने नहीं रखता था लेकिनएंड्रू टैटको महिलाओं से सख्त नफरत है. वह अपने फौलोवर्स, जो सिर्फ मर्द हैं, काअपनेमहिलाविरोधीकंटेंट से रोज ब्रेनवाश करता है.

एंड्रू टैट खुद को एक “मिसोजिनिस्ट” क्लेम करता है जिस पर उसे कोई झिझक नहीं है. एंड्रू टैट पर रोमानिया में रेप, ह्यूमन ट्रैफिकिंग और ग्रुप क्राइम करने जैसे आरोप लगे हैं. उसे और उसके भाई ट्रिस्टन टैट को इस तरह के आरोपों में लिप्त पाए जाने के चलते दिसंबर 2022 में गिरफ्तार भीकिया गया था.उस पर आरोप हैं कि वह महिलाओं का यौन शोषण कर उन्हें प्रोस्टिट्यूशन में धकेलताथा.

सिर्फसैक्सुअल हैरासमेंट ही नहीं इनदोनों भाइयों पर कानूनी मामलों में भी कार्रवाईचल रही है, जिसमें औनलाइन व्यापारों से उत्पन्न इनकम पर टैक्स न चुकाने के आरोप शामिल हैं. लेकिन सब से बड़ी बात उन विचारों का है जिसे एंड्रू टैट ने सोशल मीडिया के जरिए यूथ तक पहुंचाया है. वह कई मौकों परकहता आया है कि महिलाओं के लिएस्वतंत्रताजैसी कोई चीज़ नहीं होनी चाहिए. यह ठीक सभीधर्मोंकी किताबों में महिलाओं के लिए लिखी बातों की तरह है.

टैट का मानना है कि मर्दानगी का मतलब है शक्ति और अधिकार. टैट के अधिकतर रील्स इसी तरह के शेयर किए जाते हैं. उसे पोडकास्टमें बुलाया जाता है ताकि वह इसी तरह की बातें करे. टैट ने एक इंटरव्यू में कहा थाकि “रियलिस्ट होने के लिए सैक्सिस्टहोना जरूरी है”. उसका मानना है कि महिलाएं यौन उत्पीड़न के लिए जिम्मेदार खुद होती हैं.

टैट के मिसोजनिस्टविचार सोशल मीडिया के जरिएयुवाओं में फ़ैलरहे हैं. जुलाई 2024 में, महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा पर रिपोर्ट के लौन्च करने के दौरान डिप्टी चीफ कांस्टेबल मेगीब्लीथ ने कहा कि एंड्रू टैट जैसे इंफ्लुएंसर्स का प्रभाव युवा लड़कों पर खतरनाक रूप से बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि पुलिस अब इस खतरे से निपटने के लिए काउंटर टेरिरिज्म टीमों के साथ मिलकर काम कर रही है.

टैट खुद को एक सेल्फ मेड मिलिनियर बताता है. उस का दावा है कि उसने “वेबकैम बिजनेस” से अपनी संपत्ति बनाई. वह बताया है कि”मेरा काम था लड़कियों को मिलना, उनसे डेटिंग करना, उन्हें प्यार में फंसाना और फिर उन्हें वेबकैम पर काम करने के लिए तैयार करना ताकि हम साथ में अमीर हो सकें.”

वह अपने फौलोवर्स को बताता है कि महिलाएंकमज़ोर कैरेक्टर वाली होती हैं जो सिर्फसैक्स केलिए अच्छी हैं, और जिन सेफिजिकली, सैक्सुअली औरइमोशनलीएब्यूजकिया जा सकता है. वहमानता है कि किसी मर्द के लिए ऐसा सोचना उसे पिक अप आर्टिस्ट या पीयूए ग्रुप का हिस्सा बनाता है.दरअसल पीयूए विदेशों में चल रहे मर्दवादी और स्त्रीविरोधी लोगों का औनलाइन ग्रुप है.

टेट पहली बार 2016 में यूके के रियलिटी शो “बिग ब्रदर” में एक कंट्रोवर्शियल कंटेस्टेंट के रूप में सामने आया था. बिग ब्रदर काइंडियन वर्जन ‘बिग बौस’ है. वही बिग बौस जहां इन दिनोंसोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर भरे जा रहे हैं. हाल ही में एल्विश यादव और लव कटारिया जैसे मिसोजनिस्ट इन्फ्लुएंसर को यहां लाया गया औरउस से बड़ी हैरानी यह कि एल्विश यादव जैसा लफंगा इन्फ्लुएंसर इस शो से विनर बन कर निकलता है. और अब ख़बरों में इन्टरनेट के बदमाश रजत दलाल के आने की चर्चा है.

2022 में, आस्ट्रेलिया में डोमेस्टिक वायलेंस के रिसर्चरों ने एंड्रू टेट की यूथ में बढ़ती पहुंच के बारे में चेतावनी दी थी. इस चेतावनी में टेट को एक प्रीडेटर तक कहा गया जो युवाओं को कंजर्वेटिकऔर फंडामेंटालिस्ट बना रहा है.यहांतक कि ब्रिटेन में, स्कूल प्रशासकों ने स्टूडैंट्स के बीच टेट के प्रभाव की पहचान करने और उसका मुकाबला करने के लिए एक नया पाठ्यक्रम तकतैयार किया है.

ऐसा नहीं है कि टैट जैसे इन्फ्लुएंसर्स सिर्फ विदेशों में हैं. भारत में भी ऐसे कई इन्फ्लुएंसर्स हैं जो अपने कंटेंट में कुछ भी उलजलूल कहते रहते हैं खासकर महिलाओं के मामले में कहते समय वे जरा भी नहीं सोचते. ऐसा कहा जा सकता है कि बहुत मौकों पर वे जानबूझ कर कहते हैं.

उदाहरण के लिए एल्विशयादव को ‘रोस्ट’ की आड़ में महिलाओं के बारे में टिप्पणियां करना खासा पसंद है. एल्विश यादव ने अपने रोस्ट वीडियोज के ज़रिए प्रसिद्धि पाई लेकिनवह रोस्ट में लड़कियों के मेकअप, शरीर की बनावट, लड़कियों की पसंद न पसंद पर टिप्पणी करते दिखाई देता रहा है. यही नहीं गाड़ी चलाते हुए वह स्कूटी से जारही लड़कियों को खुलेआम छेड़ता दिखाई देता है और कमेंट पास करते दिखाई देता है.एल्विश यादव जहरीले सांपों की तस्करी का भी आरोपी है. ऐसे ही इन्फ्लुएंसर लक्ष्य चौधरी, दिग्विजय राठी, लव कटारिया, अनिरुद्धचार्या और देवकीनंदन महाराज हैं जिन की बातों और सोशल मीडिया में फैलाई जा रही रील्स में लड़कियां मूर्खों की तरह दिखती हैं. दिमाग से तेज लड़की को चालू दिखाया जाता है. कई इन्फ्लुएंसर अपनी रील्स में अपने दुखों, बरबादी और परेशानियों का कारण ही लड़कियों को दिखाते हैं.हर कोई खुद को फिल्म‘एनिमल’ केरणबीर कपूर (अल्फ़ा मेल) किरदार की तरह दिखाने की कोशिश करता है. इन तरह के इन्फ्लुएंसर्स की रील्स मेंसोफ्ट स्पोकनऔरलड़कियों से प्यार से बात करने वाले लड़कों को गेहोनेजैसा बताया जाता है.

इन जैसे इन्फ्लुएंसर्स का प्रभाव सिर्फ औनलाइन ही नहीं हो रहा है, बल्कि स्कूलों और कालेजों में भी देखा जा रहा है.लड़कों की भाषा में बदलाव आने लगा है. उनकी भाषा में इसी तरह के स्लैंग दिखाई देते हैं.इन इन्फ्लुएंसर्स का असरटीनएजर्स पर अधिक पड़ता है. इस तरह के इन्फ्लुएंसर्स पैदा हो रहे हैं क्योंकि वह लड़कियों को ले कर एक तरह की धारणा बन लेते हैं. लड़कियां गाड़ियां नहीं चला सकतीं, घर तोड़ती हैं, ‘गोल्ड डिगर’ होती हैं, हमेशा धोखा देती हैं, वगेरहवगेरह का प्रचारप्रसार सोशल मीडिया के माध्यम ही हो रहा है, जिसे यही इन्फ्लुएंसर्स बढ़ावा देते हैं.

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