सदियों से परंपरा चली आ रही है कि बच्चे मातापिता का खयाल रखते हैं. आज आप अपने मातापिता का खयाल रखेंगे, तो कल आप के बच्चे आप का खयाल रखेंगे. वैसे भी, बच्चे जो आप को करते हुए देखेंगे, वही वे सीखेंगे. हां, लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि पहले कई सारे भाईबहन होते थे और वे मांबाप की देखभाल मिलजुल कर कर लेते थे. अब की पीढ़ी के साथ दिक्कत यह है कि अब एक भाई और एक बहन हैं. अब यह परेशानी है कि बीवी अपने मांबाप की या अपने सास ससुर की देखभाल करे या फिर बीवी चारों की देखभाल करे. लेकिन इसे ही तो मैनेज करने की कला आप को आनी चाहिए.
बेटे मांबाप का खयाल इसलिए भी रखें क्योंकि यह गिव और टेक यानी कि लेने का देना है. अगर आप ने आज अपने मातापिता का धयान नहीं रखा तो कल बुढ़ापा तो आप का भी आना है और तब आप के बच्चों द्वारा आप का धयान भी नहीं रखा जाएगा क्योंकि आप के बच्चे वही करेंगे जो वे आप को करते हुए देखेंगे. अगर आज आप का व्यवहार अपने मातापिता के साथ सही नहीं है तो कल आप भी वही सब भुगतने के लिए तैयार हो जाएं. यहां हमारा मकसद आप को डरानाधमकाना बिलकुल नहीं है बल्कि हम तो यही कहना चाहते हैं कि आप जो बोएंगे वही काटेंगे.
जिस तरह से आज आप की जान आप के बच्चों में बस्ती है और आप उन से दूर होने के बारे में सोच भी नहीं सकते बिलकुल इसी तरह आप के मातापिता भी आप से दूर होने की कल्पना तक नहीं कर कर सकते. फिर जब आप अपने बच्चों से दूर नहीं होना चाहते तो उन्हें ही क्यों दूर करना. आज भले ही आप का अपना परिवार, बीवीबच्चे हैं पर मातापिता का परिवार भी तो आप से ही है. उन्हें भी अपने परिवार का हिस्सा ही समझें, उन्हें बोझ न मानें.
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
- 24 प्रिंट मैगजीन