गाय का सब से बड़ा धार्मिक महत्त्व ‘गौदान’ को ले कर ही है. आज के दौर में कोई भी ब्राह्मण ‘गौदान’ नहीं लेना चाहता. आज ‘गौदान’ का संकल्प ले कर उस की कीमत के बराबर नकद देने का चलन है. गाय की कीमत के बराबर बहुत कम लोग दान देते हैं. दान लेने वाले ब्राह्मण को यह इस कारण स्वीकार होता है क्योंकि वह गाय पालने की ?ां?ाट से बच जाता है. आज अगर गाय दान में ली जाती तो वे सड़कों पर भटकती न मिलतीं. पूरा समाज अगर गाय को देवतुल्य मानता, तो गाय का इतना निरादर न होता. गाय की हालत बताती है कि उस को ले कर केवल वोटबैंक और प्रचार की राजनीति काम कर रही है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव की बैंच ने जावेद की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए जावेद के अपराध को ले कर कम चर्चा की, जबकि गाय के महत्त्व को ले कर अधिक लिखा. जस्टिस शेखर कुमार यादव ने गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने का सु?ाव दिया. इस फैसले में गाय के तमाम ऐसे गुणगान लिखे हैं जो जमानत की सुनवाई से अलग थे. हमारे देश में गाय एक चुनावी मुद्दे की तरह है, जिस को ले कर होहल्ला तो बहुत होता है पर उस का जमीनी सच अलग होता है. भारतीय जनता पार्टी ने गाय को धर्म से जोड़ा. इस से उस को वोट भले मिल गए पर गाय के नाम पर धार्मिक तानाबाना टूट रहा है.

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गाय को ले कर देश में मौबलिंचिंग की तमाम घटनाएं घटीं. सड़कों पर गायों को टहलते देखा जा सकता है. कई बार सड़कों पर गाय दुर्घटना का कारण बनती है. कई बार खुद दुर्घटना का शिकार भी हो जाती है. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने गांवगांव जानवरों के आश्रय स्थल खुलवाए, जहां गाय को रखे जाने की व्यवस्था की गई. वहां भी गाय की हालत दयनीय है. भूखीप्यासी गाय के समाचार छपते रहते हैं. गाय को वोट लेने के लिए देवतुल्य तो बना दिया गया पर उन के लिए उचित व्यवस्था नहीं की गई.

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