अभी तक जमीनजायदाद खरीदने की जिम्मेदारी मर्दों पर होती थी, मगर समय बदल रहा है. पढ़ाईलिखाई और अच्छी नौकरी के साथ अब महिलाएं भी प्रौपर्टी के मार्केट में नजर आने लगी हैं. ऐसे में हर तरह की जानकारी जरूरी है ताकि बिल्डर और ब्रोकर के हाथों वे छली न जाएं. कामिनी भटनागर साउथ दिल्ली के संतनगर इलाके में गली नंबर 3 में रहती हैं. 7 साल पहले उन की शादी केशव भटनागर से हुई थी. दोनों का एक पुत्र रवि है जो अभी 5 साल का है. घर में केशव की मां भी थीं. कामिनी का परिवार आराम से जिंदगी बसर कर रहा था मगर कोविडकाल ने सबकुछ तबाह कर दिया.

कोरोना इस परिवार पर कहर बन कर टूटा. बेटे को छोड़ सभी कोरोना की चपेट में आ गए. कामिनी तो किसी तरह रिकवर कर गई मगर सास और पति इस की पकड़ से नहीं निकल पाए. 19 फरवरी, 2021 को कामिनी की सास रमावती भटनागर की मौत हो गई और उस के एक महीने बाद ही उन के पति भी कोरोना के कारण चल बसे. दोनों के इलाज में कामिनी की सारी जमापूंजी खर्च हो गई. अब कामिनी अपने नन्हे बेटे के साथ अकेली हैं. उन के पास नौकरी नहीं है. रुद्रपुर की रहने वाली कामिनी दिल्ली शहर से ज्यादा वाकिफ भी नहीं हैं. वे संतनगर वाला फ्लैट बेच कर बेटे के साथ अपने मायके रुद्रपुर लौट जाना चाहती हैं, मगर इस में सब से बड़ी बाधा बन रहा है अनऔथोराइज जमीन पर बना उन का फ्लैट. उन्होंने कई ब्रोकरों के चक्कर काटे, मगर फ्लैट के लिए कोई ग्राहक नहीं मिल रहा है.

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