उत्तर प्रदेश के कासगंज जिला मुख्यालय से कोई 14 किलोमीटर दूर है गांव होडलपुर, जो सोरों थाना क्षेत्र में आता है. होडलपुर छोटा सा गांव है. यहां के बच्चे पढ़ाई के लिए सोरों और कासगंज जाते हैं. इसी होडलपुर गांव में डालचंद का परिवार रहता है. डालचंद खातापीता किसान है.

उस के 4 बेटे और 2 बेटियां हैं. 2 विवाहित बेटे विनोद और महेंद्र हिमाचल प्रदेश में नौकरी करते हैं. दोनों बेटियों की भी शादी हो गई है. अब घर में पत्नी सोमवती और 2 बेटे कुंवरपाल और रामनरेश रहते हैं.

कुंवरपाल का मन पढ़ाई में बिलकुल नहीं लगता था. हाईस्कूल पास करने के बाद वह गांव के लोगों की भैंसें दूहने का काम करने लगा, जबकि रामनरेश इंटरमीडिएट पास कर चुका था.

कुल मिला कर डालचंद की जिंदगी ठीकठाक चल रही थी पर कुंवरपाल को ले कर वह पिछले कुछ समय से चिंतित था. दरअसल, इसी गांव की दूसरी गली में रामकिशोर अपनी 6 बेटियों और पत्नी के साथ रहता था.

रामकिशोर की दूसरे नंबर की  बेटी नेहा इंटरमीडिएट पास करने के बाद आगे की पढ़ाई कर के अपना भविष्य सुधारना चाहती थी. लेकिन अचानक उस के दिल के द्वार पर कुंवरपाल ने दस्तक दे दी थी. कुंवरपाल और नेहा एकदूसरे को पसंद करने लगे. धीरेधीरे आशिकी शुरू हुई, जिस ने जल्दी ही दीवानगी का रूप ले लिया. दोनों अपनी दुनिया बसाने के सपने देखने लगे.

दोनों की जाति एक ही थी, इसलिए उन्हें पूरा विश्वास था कि आगे चल कर ये रिश्ता परवान चढ़ जाएगा. नेहा और कुंवरपाल की लुकछिप कर मुलाकातें होने लगीं. मोबाइल के जरिए दोनों एकदूसरे के संपर्क में रहते थे, पर इश्क के दुश्मन तो हर जगह होते हैं. गांव में कुछ लोग ऐसे भी थे, जिन्होंने इस प्रेमी युगल की नजरों के भावों को भांप लिया.

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