शाहिद कपूर की फिल्म ‘कबीर सिंह’ बाक्स औफिस पर अपना कमाल दिखा रही है 200 करोड़ रुपए कमाई के क्लब में शाहिद कपूर स्टार्टर फिल्म शामिल होने जा रही है. मगर क्या आपने यह फिल्म देखी हैं या इसकी स्टोरी सुनी है. दरअसल यह मूवी एक साइको बीमारी से पीड़ित शख्स की कहानी बताती है, जो गुस्सैल है,  और महिलाओं के साथ कभी भी कैसी भी हरकत कर सकता है जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते. मूवी तो आप थिएटर में देखेंगे, मगर हम आज बात कर रहे हैं हमारे बीच, हमारे शहर में सायको पीड़ितों अर्थात मानसिक रोगियों के बारे में….

शाहिद कपूर की यह फिल्म आज के समय की सच्चाई को प्रस्तुत करती है. हमारे आस-पास भी ऐसे पात्र हैं जिन्हें हम देखते हैं और नजरअंदाज करते हैं. हम यह चिंतन करने को तैयार नहीं हैं की यह आदमी ऐसी असाधारण हरकतें क्यों कर रहा है थोड़ा सा प्यार थोड़ा सा सम्मान और देख रेख से यह साइको पीड़ित स्वस्थ हो सकता है.

संदीप रेड्डी वांगा निर्देशित इस फिल्म में सच्चाई का समावेश है, जीवन का सत्य है. इसलिए जहां शाहिद कपूर की आलोचना हो रही है वहीं बड़ी प्रशंसा भी हो रही है. मगर शाहिद कपूर इस फिल्म का रिएक्शन बड़े मजे से देख सुन नो कमेंट के मूड में है. भारतीय  फिल्म दुनिया अर्थात बौलीवुड और हौलीवुड दोनों जगह ऐसी फिल्में अक्सर बनी है महान एक्टर्स ने इनमें काम किया है और अमर हो गए हैं.

हमारे बीच भी है कबीर !

जी हां! हमारे बीच भी ‘कबीर सिंह’ मूवी सदृश्य किरदार है. विगत 28 मई 2019 को छत्तीसगढ़ के औद्योगिक नगर कोरबा के कोतवाली क्षेत्र में कुछ ऐसी ही विचित्र  घटना घटी. मामला पुलिस थाना पहुंचा और पुलिस ने रपट लिख कर छानबीन प्रारंभ कर दी,  मगर कोई सूत्र हाथ नहीं आया .
दरअसल हुआ यह कि छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल के संयंत्र में कार्यरत मधु (काल्पनिक नाम) नामक महिला के आवास पर रात्रि 1 बजे कोई दस्तक देता है. महिला अकेली होती है, वह दरवाजा खोलती है तो देख कर दंग रह जाती है और घबरा जाती है. एक शख्स पूर्ण ” नग्न “घर के बाहर खड़ा था हाथ में चाकू है वह इंजीनियर महिला को धक्का देता है और उसके आवास में बलात, प्रविष्ट होने लगता है. महिला घबरा जाती है मगर साहस देखिए वह उसका हाथ पकड़ लेती है जिसमें वह शख्स चाकू पकड़ा हुआ है. दोनों में छीना झपटी होती है, हल्ला होता है  वह व्यक्ति महिला को धक्का देकर भाग जाता है मगर इस धक्का-मुक्की में इंजीनियर महिला को चाकू से हल्का घाव हो जाता है महिला थाना पहुंच रपट लिखाती है. पुलिस अचंभित थी की यह कैसी घटना है, आदमी नग्न वह भी हाथ में चाकू लेकर आखिर क्या करने महिला के आवास पर आया था. क्या महिला को डराना था, अस्मत लूटनी थी या उस शख्स का इरादा लूट का था? पुलिस ने मौन, मामला दर्ज कर जांच प्रारंभ कर दी मगर कई दिनों तक इसका खुलासा नहीं हो पाया.

दरअसल वह शख्स एक साइको मरीज  था,  जैसा  “कबीर सिंह” फिल्म में शाहिद कपूर अभिनय करता हुआ उस साइको पीड़ित की दास्तां बयां कर रहा है. रंग,समय, परिस्थितियां अलग हो सकती हैं मगर समस्या एक है वह है मानसिक रुग्णता.

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शाहिद के पहले दिग्गजों ने निभाए रोल

शाहिद कपूर ने कबीर सिंह में साइको पेशेंट की भूमिका निभाई है. जिसमें साइको पीड़ितों के मामले में भी देश भर में चर्चा शुरू हो गई है. केंद्र सरकार ने 2016 में साइको अर्थात मानसिक रोगियों के अधिकारों को लेकर मेंटल हेल्थ केयर बिल 2016 कानून पारित किया है जिसमें मानसिक बीमारियों से पीड़ित लोगों को सुरक्षा और इलाज का अधिकार दिया गया है अब आगे मानसिक रोगियों के साथ संवेदना के साथ बर्ताव किया जाएगा शायद यह संभव होने लगे.

शाहिद के पूर्व अभिनेता ट्रेजेडी किंग दिलीप कुमार ने फिल्म ‘अमर’ में, राजेश खन्ना ने ‘रेड रोज’ में और संजीव कुमार ने फिल्म खिलौना में साइको पीड़ित के रोल निभाए हैं. ऐसा ही  रोल कुछ कुछ शाहरुख खान ने दीवाना और डर फिल्मों में निभाया है. यहीं नहीं हौलीवुड में मार्लीन बैडो  स्ट्रीटकार नेम्ड डिजायर, गौड फादर जैसी फिल्में कर इतिहास में अमर हो गए.

आखिर पकड़ा गया कबिर सिंह

21 जून को औद्योगिक नगरी कोरबा के बुधवारी बाजार बस्ती में एक घटना घटित हुई जिसकी रिपोर्ट कोतवाली पुलिस में दर्ज हुई. कोतवाल दुर्गेश शर्मा ने पाया की एक शख्स अपनी नाबालिग बहन को छेड़ता है. यह असामान्य बात है. जब विद्युत कौलोनी की इंजीनियर महिला की रिपोर्ट देखी जाती है तो शख्स का हुलिया व्यवहार वही पाया जाता है जो अपनी बहन के साथ छेड़छाड़ कर गायब है. ऐसे में पुलिस उसकी गिरफ्तारी करती है और पूछताछ में वह शख्स टूट जाता है. महिला इंजीनियर के आमना सामना  होने पर महिला उसे पहचान जाती है.

यह व्यक्ति था अविनाश कुमार संत. दरअसल लंबे समय से यह शख्स ऐसी हरकतें करता रहा. दुर्गेश शर्मा कोतवाल हमारे संवाददाता से बातचीत में खुलासा करते हैं कि सात वर्षों से यह शख्स इसी तरह अनेक हरकतों को अंजाम दे चुका है.

मगर ऐन केन, बचता रहा. हाल में एक दफे धारा 151 के तहत उस पर प्रतिबांधत्मक कार्यवाही भी पुलिस द्वारा की गई थी. यह नशा करता है मानसिक रूप से रूग्ढ़ है और ऐसी हरकतें नशे के हालात में करता है. पुलिस ने अपना कर्तव्य निभाया या कहें औपचारिकता और अविनाश कुमार को जेल भेज दिया गया.

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क्या मानसिक रोगियों के अधिकार हैं ?

आज जब सारी दुनिया में मानवता की बात होती है. गे से लेकर गाय तक की अधिकारों की बात हो रही है, ऐसे में मानसिक रोगियों को क्या जेल भेज कर कानून अपना काम खत्म कर लेगा. देखा जाए तो समलैंगिकों के अधिकारों से छोटा अधिकार साइको पीड़ितों का नहीं है. फिल्म ‘कबीर सिंह’ के बहाने आज मानसिक पीड़ितों के अधिकारों और समाज के उनके प्रति दायित्वों की भी चर्चा होगी. क्योंकि एक साइको पीड़ित क्या कर रहा है वह नहीं जानता है, नशे और बीमारी की हालत में  किया गया अपराध वैसे भी कठोर दंड को रोकता है. आने वाले समय में ऐसे पीड़ितों को जेल भेजने की जगह मानसिक चिकित्सालय में इलाज करवा सभ्य समाज में शामिल करना भी सरकार और समाज का दायित्व है.

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