कोई कहता है कि कुष्ठ रोग (लेप्रोसी) गलत काम करने की वजह से होता है. किसी की यह राय है कि यह बीमारी पिछले जन्मों के पापों का नतीजा है. कोई यह राग आलापता रहता है कि रिश्तेदारी में सेक्स करने से कुष्ठ की बीमारी हो जाती है. कोई यह ढिंढोरा पीट रहा है कि मां-बाप की सेवा नहीं करने वाला कुष्ठ का शिकार होता है. किसी की यह दलील है कि बच्ची का बलात्कार करने वालों को भगवान कुष्ठ की बीमारी देता है. कुष्ठ बीमारी को लेकर समाज में पोंगापंथियों ने जम कर भरम फैला रखा है. बाबाओं ने यह प्रचार कर रखा है कि गलत काम करने, गलत संबध बनाने, खून गंदा होने या सूखी मछली खाने से कुष्ठ रोग होता है. इसके नाम पर कई बाबानुमा ठग अपनी दुकान चला रहे हैं और आम लोगों की मेहनत की कमाई को लूट रहे हैं.

हकीकत में यह सारी बातें झूठ और अफवाह ही हैं. पटना के मशहूर डाक्टर दिवाकर तेजस्वी कहते हैं कि जिस किसी को कुष्ठ रोग हो जाता है, उस मरीज को ज्यादा देखभाल और सहानूभूति की जरूरत होती है, लेकिन ऐसा हो नहीं पाता है. परिवार और समाज उससे नफरत करने लगता है और उसे ठुकरा कर दर-दर भटकने और तिल-तिल कर मरने के लिए छोड़ देता है. यह माइक्रो बैक्टिरियल लेप्री से फैलता है. इस बीमारी को सही तरीके से इलाज किया जाए जो पूरी तरह से ठीक हो जाता है. साल 1991 में आई एमडीटी दवा से यह बीमारी पूरी तरह से ठीक हो सकती है.

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