Life Partner : जीवनसाथी की मृत्यु के बाद उस से बिछुड़ना हो या तलाक के बाद अलग होना, दोनों ही स्थितियों में जीना मुश्किल हो जाता है, इसलिए समय रहते ही जीवनसाथीरूपी कोहिनूर की कद्र करें, ताकि उस के संग खुशहाल जीवन जी सकें.
साथी जो आप के जीवन का सब से महत्त्वपूर्ण हिस्सा था, दूर चला जाता है तो आप की दुनिया में रूखापन आ जाता है, समय रुक सा जाता है. हर जगह निराशा, अकेलापन और उदासी छा जाती है. ऐसे कठिन समय में खुद को संभालना और आगे बढ़ना एक बड़ी चुनौती हो सकती है. 60 वर्ष की उम्र के बीच में कोई अकेला रह जाए तो वह गम कभी भूलता नहीं है.
स्थिति तलाक की हो, विधवा होने की या फिर विधुर होने की हो, बच्चे मां के पास रह जाते हैं, तब पिता के लिए और दिक्कत. न तो कोई दूसरी लड़की मिलती है न ही कोई साथी. आज जो पतिपत्नी हैं वे एकदूसरे को संभाल कर रखें. दोनों एकदूसरे के लिए नायाब हैं. जिन के पास है वे यह समझें कि उन के पास कोहिनूर का हीरा है.
पता तो तब चलता है जब तलाक हो जाता है, साथी बिछुड़ जाता है, आप अकेले रह जाते हैं. बहुत कम लोग हैं जो बाद में जिंदगी अच्छी तरह बिता सकते हैं. लड़कियां फिर भी ज्यादा अच्छी तरह मैनेज कर लेती हैं क्योंकि उन के पास बच्चे होते हैं. उन के मांबाप सपोर्ट करते हैं. युवावस्था है तो फ्लर्टिंग करने वाला कोई न कोई मिल ही जाता है. लेकिन अकेले आदमी को कुछ नहीं मिलता, वह मारामारा फिरता है.
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