Supreme Court : लोकतंत्र के संदर्भ में, यह लंबे समय से चर्चा का सबब है कि अगर कोई जेल में बंद है तो क्या उसे चुनाव लड़ने से रोक दिया जाए या फिर चुनाव लड़ कर वह जनप्रतिनिधि बन सकता है? एक बार फिर देश की सबसे बड़ी अदालत ने इस मामले में कुछ कहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली दंगों में आरोपी पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन की याचिका पर सख्त टिप्पणी कर दी है. कोर्ट ने कहा कि ऐसे लोगों को चुनाव लड़ने से रोका जाना चाहिए जो दंगों में शामिल होने के आरोपी हैं. यह फैसला न केवल दिल्ली दंगों के आरोपियों के लिए बल्कि समाज के लिए भी एक महत्वपूर्ण संदेश है.
दंगे और हिंसा किसी भी समाज के लिए घातक हैं. यह न केवल जानमाल की हानि का कारण बनते हैं बल्कि समाज की एकता और सामाजिक सौहार्द को भी नुकसान पहुंचाते हैं. ऐसे में दंगों के आरोपियों को चुनाव लड़ने से रोकना आवश्यक है. यह न केवल न्याय के लिए बल्कि समाज की सुरक्षा के लिए भी जरूरी है.
इस के अलावा, दंगों के आरोपियों को चुनाव लड़ने से रोकने से यह संदेश भी जाता है कि अपराध किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. यह समाज में एक सकारात्मक संदेश का संचार करता है और लोगों को अपराध के खिलाफ खड़े होने के लिए प्रेरित करता है.
हालांकि, यह भी महत्वपूर्ण है कि दंगों आतंकवाद और अन्य सामान्य अपराधों के आरोपियों को चुनाव लड़ने से रोकने के लिए कानूनी प्रक्रिया का पालन किया जाए. इस के लिए अदालतों को स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से काम करने की आवश्यकता है. साथ ही, यह भी जरूरी है कि समाज में अपराध के खिलाफ जागरूकता बढ़ाई जाए और लोगों को अपराध के खिलाफ खड़े होने के लिए प्रेरित किया जाए.
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