झारखंड हाई कोर्ट रांची के चीफ जस्टिस सुभाष चंद्र ने रूद्र नारायण राय बनाम पियाली राय चटर्जी मामले में फैसला सुनाते हुए यजुर्वेद और मनुस्मृति के श्लोक का हवाला देते कहा कि ‘हे महिला तुम चुनौतियों से हारने लायक नहीं हो. तुम सब से शक्तिशाली चुनौती को हरा सकती हो.‘
अदालत ने मनुस्मृति के श्लोक का हवाला देते कहा कि ‘जहां परिवार की महिलाएं दुखी होती है वह परिवार जल्द ही नष्ट हो जाता है. जहां महिलाएं संतुष्ट रहती है वह परिवार हमेशा फलताफूलता है. वृद्ध सास की सेवा करना बहू का कर्तव्य है. वह अपने पति को मां से अलग रहने के लिए दबाव नहीं बना सकती है.’
रूद्र नारायण राय बनाम पियाली राय चटर्जी मामले में कोर्ट ने गुजारा भत्ता देने के आदेश को निरस्त कर दिया. कोर्ट ने नाबालिग बेटे के परवरिश के लिए 15 हजार की राशि को बढ़ा कर 25 हजार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि पत्नी के लिए अपने पति की मां और नानी की सेवा करना अनिवार्य है.’ कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद ‘51-ए’ का हवाला देते कहा कि इस में एक नागरिक के मौलिक कर्तव्यों को बताया गया है. इस में हमारी समग्र संस्कृति की समृद्ध विरासत को महत्व देने और संरक्षित करने का प्राविधान है. वृद्ध सास या दादी सास की सेवा करना देश की संस्कृति है.’
धर्म के नाम पर औरतों का शोषण
धर्म के नाम पर औरतों का किस तरह से शोषण होता है. पौराणिक कहांनियों के जरीए इस को महिलाओं के मन में ठूंस कर भर दिया गया है. हिंदू धर्म में विवाह संस्कारों में लड़की को दान देने की वस्तु बताया गया है. इस को कन्या दान कहा गया है. इस को सब से बड़ा दान बताया गया है. इस का महत्व बहुत अधिक बताया गया है. कहा गया है कि मायके से लड़की की डोली जाती है और ससुराल से उस की अर्थी ही निकलती है. दान के बारे में कहा गया कि दान देने के बाद फिर उस पर दान देने वाले का अधिकार नहीं रहता है.