धार्मिक कट्टरता व्यक्ति को नुकसान पहुंचाती है. व्यक्ति इन चक्करों में समय और अनापशनाप पैसा बरबाद करता है. इस की जड़ में तमाम धर्म हैं जहां से निकल कर कर्मकांड अंधविश्वास का रूप ले लेते हैं. ऐसे में जरूरी है कि साइंटिफिक टैंपरामैंट बनाया जाए. दिल्ली के बुराड़ी इलाके में घटी ललित भाटिया के परिवार की सामूहिक आत्महत्या का मामला किसे याद नहीं. इस घटना ने सभी के रोंगटे खड़े कर दिए थे. आखिर महानगर में ठीकठाक खातेपीते परिवार को ऐसा क्या हुआ कि मकान के अंदर परिवार के 11 सदस्यों की लाशें ऐसे टंगी रहीं जैसे छत पर सूखते कपड़े टंगे रहते हैं.

मामला अंधविश्वास का था. मोक्ष के बाद उस कथित भगवान तक पहुंचने का था जिस का डर और लालच दुनियाभर के सभी धर्मों के पंडेपुरोहित अपनेअपने अनुयायियों को बांचा करते हैं. मामला धार्मिक कुरीतियों को कट्टरता से फौलो करने का था. उस सामूहिक आत्महत्या कांड के मास्टरमाइंड ललित की डायरी से तो यही जानने को मिला कि किस तरह पूरा परिवार धार्मिक कर्मकांडों में जकड़ा हुआ था और वह इस कृत्य को भगवान तक पहुंचने का रास्ता मानता था. जिस की प्लानिंग और प्रैक्टिस पूरा परिवार हर रात किया करता था. प्रैक्टिस के दौरान फंदे पर लटकने से पहले पूरा परिवार हवन किया करता था. इस के बाद डायरी में लिखे तरीके के अनुसार फंदों पर लटक जाया करता था. पुलिस के अनुसार ललित की डायरी में लिखा था कि उस के मृतक पिता की आत्मा का परिवार को निर्देश था कि ‘यह भगवान का रास्ता है और जब वे यह कर्मकांड कर रहे होंगे तब मैं (मृतक पिता) खुद प्रकट हो कर सब को बचा लूंगा.’

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