Happiness Tips : ‘अब तुम्हारी उम्र हो गई है शादी की’ ‘उम्र निकल गई, तो अच्छी लड़की या लड़का नहीं मिलेगा एडजस्ट करना पड़ेगा’, ‘चौइस नहीं बचेगी’ आदिआदि. सिर्फ पेरैंट्स ही नहीं, सोसायटी भी ये डायलौग बोलबोल कर शादी का प्रैशर बनाना शुरू कर देते हैं. क्या सच में शादी के बिना जीवन व्यर्थ है?

हमारे समाज में आज भी 25 क्रौस करते ही इंडियन पेरैंट्स को अपने बच्चों की शादी की चिंता सताने लगती है. आज भी अधिकांश लोग सोचते हैं जिंदगी का मकसद शादी कर के घर बसाना और बच्चेआ पैदा करना है. प्रोफैशनली सेटल होने के बाद उन का नैक्स्ट टारगेट बच्चों की शादी होता है वे ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि उन का मानना है कि समय से शादी फिर समय से बच्चे लाइफ का एक जरूरी हिस्सा है, जिस के बिना उन के बच्चों की जिंदगी सेटल नहीं मानी जाएगी.

भले ही उन की अपनी शादी में अनेक प्रौब्लम्स हों. वे यह बात समझ नहीं सकते कि लाइफ शादी के बिना भी खूबसूरत हो सकती है. दरअसल वे शादी और बच्चों को खुश होने का पैमाना, जिंदगी में सेटल होने का पैरामीटर और बुढ़ापे का सहारा मानते हैं. उन्होंने खुद शादी इस डर से की होती है कि बुढ़ापे में मेरा क्या होगा, मेरी प्रौपर्टी का क्या होगा, अकेले जीवन कैसे बीतेगा.

शादी एक पर्सनल डिसीजन

शादी करने में कोई बुराई नहीं है लेकिन ये पूरी तरह पर्सनल निर्णय होना चाहिए कि कोई शादी करना चाहता है या नहीं. दरअसल, शादी समाज द्वारा दिया गया एक लेबल है और आप जरूरत या इच्छा न होने पर भी अगर शादी करते हैं तो यह एक अपराध है क्योंकि तब आप अपने साथसाथ जिस से शादी करते हैं उस व्यक्ति के जीवन के दुख का रीजन भी बनेंगे.

सोशल मीडिया पर प्रीवेडिंग शूट, शादी, हनीमून, बेबी शावर की फोटोज देखने में बहुत लुभावनी लगती हैं, लेकिन रियल लाइफ में इन सब सामाजिक रीतिरिवाजों से गुजरने के बाद जब रियलटी सामने आती है तो सारे सपने हवा हो जाते हैं और तब शादी बच्चे सब किसी बोझ से कम नहीं लगते.

शादी जिंदगी का हिस्सा हो सकती है, खुशी की गारंटी नहीं

प्रैशर में आ कर, फ्यूचर के बारे में सोचसोच कर शादी के बारे में सोच कर प्रैशर में आने से अच्छाक है कि अपने सपनों के बारे में सोचा जाए. अपनी जरूरतों को समझा जाए, अपनी पहचान के बारे में सोचा जाए क्योंकि केवल शादी, पतिपत्नी और बच्चे ही आप की पहचान नहीं. किसी के साथ शादी के बंधने का निर्णय तभी लेना चाहिए जब आप उस के साथ पूरा जीवन बिताने को तैयार हों.

शादी करना आसान है लेकिन शादी के बाद वह रिश्ता निभा पाना उतना ही मुश्किल है. समझिए कि, एक अनहैप्पी मैरिज से बेहतर हैप्पिली सिंगल रहना है. शादी सिर्फ इसलिए न करें कि समाज क्या कहेगा या दूसरे लोग शादी कर रहे हैं.

शादी करना कहीं गले की फांस न बन जाए

अगर कोई शादी करने के बारे में सोच रहा है तो उसे अच्छी तरह ये जान लेना चाहिए कि आप जिस वजह से शादी करने का फैसला ले रहे हैं वो सही है भी या नहीं क्योंकि गलत वजह से शादी करना न केवल आप के लिए भारी पड़ सकता है बल्कि आप के होने वाले पार्टनर की भी जिंदगी को मुश्किल बना सकता है. विवाह दो लोगों उन के परिवार को एक साथ जोड़ता है. ये किसी की भी लाइफ का एक बेहद जरूरी फैसला होता है, जिसे बड़े सोचविचार के बाद लेना चाहिए. कभीकभी जल्दबाजी में, प्रैशर में या किन्हीं गलत कारणों से भी शादी करने का फैसला कर लेते हैं, जिस पर बाद में पछताना पड़ता है.

शादी अपनी मर्जी या इच्छा से करें प्रैशर में नहीं

शादी करने का फैसला कभी भी किसी प्रैशर में नहीं लेना चाहिए. फिर चाहे वह प्रैशर परिवार, दोस्तों या समाज का ही क्यों न हो. आप को हमेशा अपने दिल की सुननी चाहिए. परिवार की इच्छा पूरी करने के लिए शादी करना कोई वजह नहीं होनी चाहिए. अगर कोई भी लड़का या लड़की शादी करने के लिए तैयार नहीं हैं या उसे शादी जरूरी नहीं लगती तो उसे शादी नहीं करनी चाहिए.

पैसा, शादी की सक्सेस का राज नहीं

कुछ पेरैंट्स अपने बच्चों पर शादी का प्रैशर इसलिए भी बनाते हैं कि सामने वाले के पास बहुत पैसा है और इस से उन्हें फायदा होगा, पैसा उन के बच्चों को खुश रखेगा. ऐसा बिल्कुल न सोचें क्योंकि ये शादी करने की बिल्कुल गलत वजह है. एक सफल शादी प्यार, सम्मान और समझ पर चलती है, न कि सामने वाले के पैसे या स्टेटस पर.

अकेलापन दूर करने के लिए

लोग मानते हैं कि शादी करने से आप को जीवनभर के लिए एक साथी मिल जाता है. अकेलापन दूर होता है लेकिन अगर आप का लाइफ पार्टनर आप की पसंद का नहीं हो, दोनों के विचार न मिलते हों तो शादी करने के बाद भी आप को अकेलापन ही मिलेगा. इसलिए अकेलापन दूर करने के लिए शादी करना शादी करने की सही वजह या गारंटी नहीं है कोई भी शादी तभी सफल होती है जब शादी करने वाले दो दोनों लोग एकदूसरे से प्यार करते हैं और एकदूसरे की कंपनी को एन्जौय करते हैं.

शादी बच्चे के लिए, बुढ़ापे के सहारे के लिए

अगर कोई शादी सिर्फ बच्चे की चाह में अपना परिवार बढ़ाने के लिए कर रहा है, कि बच्चे बुढ़ापे में उन का सहारा बनेंगे तो ये शादी करने की बिल्कुल भी सही वजह नहीं है. बच्चे की परवरिश एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है और उस जिम्मेदारी को पूरी करने के बदले ये एक्सपेक्ट करना कि बुढ़ापे में बच्चे उन की केयर करेंगे उन का सहारा बनेंगे ये सही नहीं है. इस बात की क्या गारंटी है कि जिस वजह से आज आप शादी और उस के बाद बच्चे को दुनिया में लाने का निर्णय ले रहा है वह वजह पूरी होगी, यह अपेक्षा रखना ही गलत है.

मूव औन करने के लिए शादी

कुछ लोग सिर्फ इसलिए भी शादी करना चाहते हैं क्योंकि वे अपने एक्स को भूलना चाहते हैं या उस से मूव औन करना चाहते हैं. ऐसा बिल्कुल न करें. ऐसा करने से आप के साथसाथ आप जिस से शादी कर रहे हैं दोनों की जिंदगी नरक बन सकती है.

शादी का रिश्ता अब सात जन्मों का नहीं रहा

हिंदू धर्म में शादी का रिश्ता केवल एक जन्म का नहीं बल्कि सात जन्मों का माना जाता है, जिस में दो लोग एक साथ जीवनभर साथ रहने और परिवार शुरू करने का फैसला करते हैं. यह बंधन कई तरह के नियमों, रीतिरिवाजों, विश्वासों और व्यवहारों द्वारा नियंत्रित होता है, जिस में दो लोग एकदूसरे के हर दुख और सुख में एक साथ खड़े होने, एकदूसरे की कमियों को पूरा करने का वचन देते हैं लेकिन अपने आसपास अगर गौर से देखा जाए तो सचसच बताइएगा कि आप को कितने खुशहाल वैवाहिक रिश्ते दिखाई दे रहे हैं.

देख कर हैरानी होती है कि अब शादियां सात जन्म तो छोड़िए 7 साल, 7 महीने, 7 दिन और कुछ तो 7 घंटे भी नहीं चल पा रहीं. छोटी सी बात पर हुई तकरार अलगाव का कारण बन रही है. दिनोंदिन तलाक, धोखाधड़ी, पार्टनर के मर्डर जैसे मामले देखने में आ रहे हैं.

शादी से जरूरी खुद की खुशी जरूरी

सोसाइटी, फैमिली के प्रैशर में शादी कर के परिवार शुरू करने से ज्यादा जरूरी आप का खुश रहना है. यदि आप को लगता है आप किसी से शादी कर के खुश रह सकते हैं, तो जरूर शादी करिए. लेकिन यदि आप को लगता है कि आप अकेले ज्यादा खुश रह सकते हैं, तो आप शादी बिना के भी जीवन बिता सकते हैं खुश रह सकते हैं.

बढ़ रही है युवाओं में शादी नहीं करने की सोच

आजकल के युवा शादी करने में विश्वास नहीं कर रहे हैं. खासतौर पर वे युवा जो हाइली एजुकेटेड हैं, अच्छी सैलरी या अच्छी इनकम है, फिर चाहे वह लड़का हो या लड़की. इस के अलावा, वे जब अपने आसपास के बिगड़ते रिश्तों के उदाहरण देखते हैं, बढ़ती महंगाई के कारण अपनी छोटीछोटी खुशियों के लिए लोगों को स्ट्रगल करते देखते और अपने कंफर्ट और आजादी को खोते देखते हैं, तो वे शादी के बंधन में न बंधना ही बेहतर समझते हैं. वे बुढ़ापे में अकेले होने की कल की चिंता के वजह से आज की आजादी और अपनी मर्जी से जिंदगी जीने की चाहत से बिल्कुल भी समझौता नहीं करना चाहते हैं.

अगर नहीं करनी शादी

अगर किसी को लगता है कि शादी उसे खुशी नहीं देगी, वह बिना शादी के भी खुश रह सकता है और उस ने शादी न करने का निर्णय ले लिया है तो उसे अपना सोशल सर्कल बढ़ाना चाहिए, प्रोफैशनल और पर्सनल दोनों. दोस्त बनाने चाहिए फिर चाहें वे दोस्त मैरिड हों या अनमैरिड.

बैचलर्स के लिए फ्रैंड्स बनाना ईजी

अनमैरिड लोगों के लिए फ्रैंड्स बनाना और निभाना दोनों आसान है क्योंकि तब कोई उन से यह पूछने वाला, टोकाटाकी करने वाला नहीं होता. “इतनी रात को कहां थे, किस दोस्त के साथ थे, कब आ रहे हो, रोज क्यों जाते हो.”

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