Gold Loan : बैंक और फाइनैंस कंपनियां गोल्ड लोन के मीठे जाल में फंसा कर महिलाओं के गहने हड़प रहे हैं. यह दरअसल महिलाओं की सारी जमापूंजी को छीन लेने की एक सोचीसमझी साजिश है. जानिए गहनों को निगलने के लिए कैसे एकतरफा नियम है.
फिल्म ‘मदर इंडिया’ देखने वाली पीढ़ी को याद होगा कि कैसे राधा ने अपने बेटे शामू की शादी का खर्च पूरा करने के लिए अपने सोने के कंगन साहूकार सुखी लाला के पास गिरवी रखे थे. हर माह सूद वसूलने के बाद भी सुखी लाला की नीयत उन सोने के कंगनों पर खराब हो गई थी. वह राधा के कंगन हड़प लेने के चक्कर में था, तभी राधा का बेटा बिरजू सुखी लाला के पास से वे कंगन चुरा लाता है. मगर चोरी का इलजाम लगने के बाद बिरजू को गांव से बाहर निकाल दिया जाता है और बिरजू डाकू बन जाता है.
उस डाकू को गोली मारने को महिमामंडित करने के लिए ‘मदर इंडिया’ बनाई गई ताकि जनता को संदेश मिले कि गिरवी रखे गहने तो हमेशा के लिए चले जाते हैं. यह महानता का काम नहीं था, यह कोरा षड्यंत्र था अमीर साहूकारों का धंधा बनाए रखने का.
सच तो यह है कि डाकू बिरजू नहीं, बल्कि वह साहूकार सुखी लाला था जिस की नीयत राधा के कंगनों पर खराब हो गई थी और सूद की रकम पाने के बाद भी उन्हें वह लौटाना नहीं चाहता था.
सोने के प्रति दशकों पहले का लालच आज भी ज्यों का त्यों है. आज तमाम सरकारी और गैरसरकारी बैंक व प्राइवेट बैंकिंग वित्तीय संस्थान साहूकार सुखी लाला की भूमिका में हैं जिन की गिद्ध नजरें औरतों के सोने पर टिकी रहती हैं, जिसे अपने पास गिरवी रखने के लिए पहले तो वे खूब चिकनीचुपड़ी बातें कर ग्राहकों को फांस लेते हैं और फिर पहला मौका मिलते ही वे उस सोने को हड़प जाते हैं. सरकार पूरी तरह इन संस्थानों के साथ है, जनता का सोना हड़पने की तमाम कोशिशें जारी हैं.
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