Gold Loan : बैंक और फाइनैंस कंपनियां गोल्ड लोन के मीठे जाल में फंसा कर महिलाओं के गहने हड़प रहे हैं. यह दरअसल महिलाओं की सारी जमापूंजी को छीन लेने की एक सोचीसमझी साजिश है. जानिए गहनों को निगलने के लिए कैसे एकतरफा नियम है.

फिल्म ‘मदर इंडिया’ देखने वाली पीढ़ी को याद होगा कि कैसे राधा ने अपने बेटे शामू की शादी का खर्च पूरा करने के लिए अपने सोने के कंगन साहूकार सुखी लाला के पास गिरवी रखे थे. हर माह सूद वसूलने के बाद भी सुखी लाला की नीयत उन सोने के कंगनों पर खराब हो गई थी. वह राधा के कंगन हड़प लेने के चक्कर में था, तभी राधा का बेटा बिरजू सुखी लाला के पास से वे कंगन चुरा लाता है. मगर चोरी का इलजाम लगने के बाद बिरजू को गांव से बाहर निकाल दिया जाता है और बिरजू डाकू बन जाता है.

उस डाकू को गोली मारने को महिमामंडित करने के लिए ‘मदर इंडिया’ बनाई गई ताकि जनता को संदेश मिले कि गिरवी रखे गहने तो हमेशा के लिए चले जाते हैं. यह महानता का काम नहीं था, यह कोरा षड्यंत्र था अमीर साहूकारों का धंधा बनाए रखने का.

सच तो यह है कि डाकू बिरजू नहीं, बल्कि वह साहूकार सुखी लाला था जिस की नीयत राधा के कंगनों पर खराब हो गई थी और सूद की रकम पाने के बाद भी उन्हें वह लौटाना नहीं चाहता था.

सोने के प्रति दशकों पहले का लालच आज भी ज्यों का त्यों है. आज तमाम सरकारी और गैरसरकारी बैंक व प्राइवेट बैंकिंग वित्तीय संस्थान साहूकार सुखी लाला की भूमिका में हैं जिन की गिद्ध नजरें औरतों के सोने पर टिकी रहती हैं, जिसे अपने पास गिरवी रखने के लिए पहले तो वे खूब चिकनीचुपड़ी बातें कर ग्राहकों को फांस लेते हैं और फिर पहला मौका मिलते ही वे उस सोने को हड़प जाते हैं. सरकार पूरी तरह इन संस्थानों के साथ है, जनता का सोना हड़पने की तमाम कोशिशें जारी हैं.

इस साजिश के पीछे अमीरों के बैंक और उन में काम कर रहे कर्मचारी जुटे हुए हैं. ऐसी खबरें आएदिन अखबारों की सुर्खियों में रहती हैं जब बैंक में अपने घर का सोना गिरवी रखने के बाद ग्राहक बैंक द्वारा ठगा जाता है.

अभी 3 अप्रैल, 2025 की न्यूज है जब रायचूर पुलिस में एक कम्प्लैंट हुबली के विद्यानगर में बैंक औफ महाराष्ट्र के जोनल अधिकारी सुजीत डिसूजा ने रायचूर में गांधी चौक के पास बैंक औफ महाराष्ट्र शाखा के प्रबंधक के नरेंद्र रेड्डी के खिलाफ दर्ज करवाई. नरेंद्र रेड्डी गोल्ड लोन में हेरफेर कर बैंक का 10.9 करोड़ रुपया ले कर फरार हो गया था.

कितना सुरक्षित आप का सोना

11 जनवरी, 2025 को पाली जिले में धनवर्षा गोल्ड लोन ब्रांच, जिस में कुछ लोगों ने अपना सोना गिरवी रखा हुआ था, के लौकर से असली सोने के गहने निकाल कर नकली जेवर रख दिए गए. जो सोना बैंककर्मियों ने गायब किया उस की कीमत 1.25 करोड़ रुपए के लगभग थी. पीडि़त चांदनी गहलोत, हितेश टांक, सत्यनारायण टांक, किशन लाल, इशिता गहलोत, अमरचंद इस घटना के बाद से सकते में हैं. अब बैंक भी नहीं बता रहा कि उन का सोना उन्हें वापस मिलेगा भी या नहीं. पुलिस में केस दर्ज हो चुका है. पुलिस कछुए की गति से काम कर रही है.

12 दिसंबर, 2024 को दिल्ली के नजदीक नोएडा में गोल्ड लोन देने वाली कंपनी की मैनेजर ने ही करोड़ों का सोना गायब कर दिया. मामला थाना सैक्टर 20 में दर्ज हुआ है. क्षेत्र के सैक्टर 18 स्थित एक गोल्ड लोन उपलब्ध कराने वाली कंपनी में कार्य करने वाली महिला मैनेजर के खिलाफ एफआईआर हुई है, जिस ने करोड़ों रुपए के सोने के जेवरात की धोखाधड़ी कर ली. इस मामले में सहायक ब्रांच मैनेजर ने थाना सैक्टर 20 में मुकदमा दर्ज करवाया है.

मैनेजर का कहना है कि सैक्टर 18 स्थित उन की ब्रांच से कुछ दिनों पहले 15 लाख रुपए का गोल्ड लोन का पैकेट उन के यहां काम करने वाली ब्रांच मैनेजर ने चुरा लिया. ब्रांच मैनेजर अपने कपड़ों में पैकेट छिपाती हुई सीसीटीवी कैमरे में कैद हुई है.

15 दिसंबर, 2024 को रोहतक, हरियाणा के एक बैंक का मैनेजर डेढ़ करोड़ रुपए का सोना ले कर चंपत हो गया. परेशान ग्राहक आज भी बैंक के चक्कर काट रहे हैं. रोहतक के भिवानी चुंगी पर एक निजी बैंक की ब्रांच है, जो लोगों का सोना गिरवी रख कर लोन देती है. बैंक मैनेजर 11 दिसंबर को सुबह 14 पैकेट सोना व 12 दिसंबर को सुबह 10 बजे 11 पैकेट सोना ले कर बैंक से गायब हो गया. कर्मचारियों को जब शक हुआ तो उन्होंने उच्च अधिकारियों को इस की जानकारी दी.

इस के बाद उच्च अधिकारियों ने बैंक के सभी सीसीटीवी फुटेज खंगाले, जिस में बैंक मैनेजर सभी पैकेट ले जाता हुआ दिखाई दिया. जिस समय मैनेजर यह पैकेट ले कर जा रहा था उस वक्त अन्य कर्मचारी भी बैंक में मौजूद थे, लेकिन किसी को भी शक न हुआ और मैनेजर मौके से सोना ले कर फरार हो गया. इस सोने की कीमत डेढ़ करोड़ रुपए से अधिक थी.

बैंकों के कर्मचारियों को पहले इस रिपोर्ट में लिया गया है क्योंकि यही ग्राहकों को दिखते हैं. भारतीय रिजर्व बैंक, वित्त मंत्रालय और बैंकों के बोर्डों में बैठे जो लोग भारीभरकम डौक्यूमैंट बनाते हैं वे किसीकिसी को दिखते हैं पर असली सुखी लाला वे ही हैं.

सोने पर किसी की भी नीयत खराब होते देर नहीं लगती. बैंक के लौकर में आप का सोना कितना सुरक्षित है, इस का अंदाजा इन खबरों से आसानी से लगाया जा सकता है. ये तो चोरी की वारदातें हैं जो आएदिन बैंकों में घट रही हैं. इस के अलावा आप का सोना वित्तीय संस्थानों के नियमों के तहत भी हड़प लिया जाता है. सोने का बाजार जितना तेजी से ऊपर चढ़ रहा है, उस के मुकाबले अन्य सभी व्यापार फीके हैं.

मोदी सरकार ने पहले नोटबंदी कर आप, खासकर, गृहिणियों की बचत का सारा नकद पैसा बाहर निकलवा लिया. उन्हें बैंकों में जमा करवा लिया. इस में से बहुत सा पैसा कमीशन एजेंटों ने उड़ा डाला जिन्होंने आधी रात की डकैती को जामा पहनाया था.

अब तमाम बैंक और वित्तीय संस्थान गृहिणियों के गहने भी निकलवाने की जुगत में हैं. उन के द्वारा जो गोल्ड लोन के बड़ेबड़े विज्ञापन दिए जा रहे हैं उन से ऐसा मैसेज जा रहा है जैसे आप का सोना आप की अलमारी में या लौकर में रखारखा सड़ रहा है. हर बैंक के बाहर गेटनुमा विज्ञापन लगे हैं कि गोल्ड लोन लो, मानो वहां मुफ्त खाने का लंगर लगा हो.

नए जमाने के महाजन

आरबीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश की सरकार के अपने कुल स्वर्ण भंडार में से करीब 414 मीट्रिक टन सोना विदेशी तिजोरियों में रखा हुआ है. मार्च 2024 के अंत तक आरबीआई के पास 822.1 टन सोना था. इस सोने का 413.8 टन हिस्सा विदेशी वौल्टों में रखा था. सोना व्यापार, सुरक्षा और अन्य वित्तीय कारणों से विदेश में रखा जाता है. रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण अनेक विदेशी बैंकों ने रूस को अपने यहां जमा सोने को निकालने पर प्रतिबंध लगा दिए थे, जिस से दूसरे कई देश चिंतित हैं.

हाल ही में आरबीआई 100 टन सोना ब्रिटेन से वापस लाया है. दुनियाभर में युद्ध और मंदी की बढ़ती आशंकाओं के बीच आरबीआई अपने स्वर्ण भंडार को भारत में स्थानांतरित करने की योजना बना रहा है. दूसरी तरफ देश के सरकारी व गैरसरकारी बैंक और फाइनैंस कंपनियां भारत के घरों में रखे गृहिणियों के जेवरों को भी बाहर निकालने के लिए गोल्ड लोन जैसे औफर्स का खूब प्रचारप्रसार कर रहे हैं.

सरकारी अधिकारियों की देखरेख में सोना कितना सुरक्षित है, इस की गारंटी कौन सा वित्त मंत्री, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, रिजर्व बैंक ले सकता है. जहां भी सोना रखा है वहां दोचार लोगों को ही पता है कि कितना सोना हिसाब में लिखा है और वास्तव में वौल्ट में (तिजोरी में) कितना है. कुछ सौ किलो सोने की हेराफेरी कर डाली जाए तो पीढि़यों तक हिसाब नहीं मिलाया जा सकता.

जमीन और सोना ऐसी चीजें हैं जिन के दाम समय के साथ बढ़ रहे हैं. पुराने समय में लोग जरूरत पड़ने पर अपनी जमीन महाजन या गांव के अमीर किसान के पास गिरवी रख कर पैसा उधार उठाते थे. जमीन पर चूंकि हमेशा से पुरुष अपना अधिकार मानता रहा है तो उस को बेचने या गिरवी रखने के लिए वह अपनी पत्नी या घर की किसी अन्य महिला से पूछने या मांगने की जरूरत नहीं सम झता था. लेकिन जिन के पास जमीन नहीं होती थी या जो जमीन गिरवी नहीं रखना चाहते थे, वे पत्नी के गहने गिरवी रखते थे जिस के लिए उन्हें पत्नी से बड़ी मानमनौअल करनी पड़ती थी.

सोना ऐसी चीज है जिस पर औरत का हक ज्यादा होता है. गहने औरत की संपत्ति भी हैं और उस का लालच भी. औरत के पास उस के गहनों के अलावा और कुछ भी ऐसा नहीं होता जो उसे आर्थिक रूप से मजबूत करता हो. उस के गहनों के साथ उस का भावनात्मक जुड़ाव भी होता है. जैसे, जो गहने उस को मायके से मिले होते हैं उन्हें वह जीवनभर अपने से अलग नहीं करना चाहती है. उन गहनों को खुद से अलग करना उस के लिए जान दे देने जैसा होता है.

घर पर कोई आर्थिक मुसीबत आने पर पुरुष जब स्त्री से उस के गहने मांगता है तो वह क्षण स्त्री के लिए बड़ा कष्टकारी होता है पर यह आश्वासन मिलने पर कि उस के गहने सिर्फ गिरवी रखे जाएंगे और अगली फसल पर पैसा आने, तनख्वाह मिलने या अन्य किसी स्रोत से पैसे जमा होने पर छुड़वा लेंगे तो स्त्री अपने गहने देने को तैयार हो जाती है. औरतों को महाजनों पर भरोसा कम होता है क्योंकि वे उन की चालाकी सम झती हैं जैसे बिरजू सुखी लाला की चालाकी सम झता था पर अपनी मां के हाथों मारा गया.

महाजन के पास गहने गिरवी रखने के बाद हर महीने उस का सूद चुकाना पड़ता था. कई बार ऐसा होता कि गांवदेहातों में अगली फसल खराब हो जाने पर, सूखा पड़ने या बाढ़ में फसल नष्ट होने पर यदि किसान सूद नहीं दे पाता था तो उस की जमीन या सोना महाजन हड़प जाता था. ऐसे में अधिकांश लोग गिरवी रखे अपने गहने और जमीन गंवा ही देते थे.

आज भी दूरदराज के गांवों में सूदखोर महाजन बैठे हैं. कई तो ऐसे हैं जो 12 से 24 फीसदी ब्याज पर जरूरतमंद व्यक्ति का सोना अपने पास गिरवी रखते हैं और फिर उस सोने को बैंक में 9 फीसदी ब्याज पर रख कर गोल्ड लोन उठा लेते हैं. यानी 3 से 15 फीसदी का मुनाफा कमाते हैं.

हालांकि अब ज्यादातर महाजनों और अमीर किसानों की जगह सरकारी व गैरसरकारी बैंकों, कोऔपरेटिव सोसाइटियों, नौन बैंकिंग फाइनैंस कंपनियों ने ले ली है. जो पहले तो खूब मीठीमीठी लुभावनी बातें कर के लोगों को उन के सोने के जेवर गिरवी रख कर लोन लेने के लिए रि झाते हैं और जरा सी गलती होने या किस्त चुकाने में देरी होने पर सोना हड़प कर जाते हैं.

औरतें सरकार और एयरकंडीशंड दफ्तरों में खुली गोल्ड लोन की दुकानों पर आसानी से भरोसा कर लेती हैं. वहां महाजन से ज्यादा खातिर की जाती है. मनचाही चायकौफी पिलाई जाती है. ‘अपनों जैसा’ व्यवहार गोल्ड दे कर लोन लेते समय किया जाता है.

आजकल गोल्ड लोन के इस तरह के इश्तिहारों से अखबारों के पन्ने रंगे नजर आ रहे हैं, टीवी चैनलों पर गोल्ड लोन के विज्ञापन छाए हुए हैं, सड़कों पर बड़ीबड़ी होर्डिंग्स में सस्ते गोल्ड लोन का लालच परोसा जा रहा है. दुकानों, बाजारों, बसअड्डों, मैट्रो स्टेशनों, रेलवे स्टेशनों और हवाई अड्डों पर गोल्ड लोन, गोल्ड लोन की चीखचील्लाहट मची है.

बौलीवुड के नामीगिरामी ऐक्टर गोल्ड लोन का प्रचार करते नजर आ रहे हैं. अक्षय कुमार मणप्पुरम गोल्ड लोन का प्रचार करते हुए कहते हैं, ‘आप के पास सोने की ताकत है तो पर्सनल या बिजनैस लोन क्यों लें, अपने सोने के बदले मिनटों में लोन पाएं.’

फिर वे कहते हैं, ‘अपने सोने के आभूषण गिरवी रख कर तुरंत नकद प्राप्त करें. गोल्ड लोन सब को मिलेगा अब घर बैठे.’

विज्ञापन कुछ ऐसे रि झाते हैं कि ग्राहक को अपने हाथपैर हिलाने की भी जरूरत नहीं है. कंपनी खुद उस के घर पर आ कर उसे नकद पैसे दे जाएगी. आखिर कंपनी या बैंक इतने उदार हृदय के क्यों हो रहे हैं?

सदी के महानायक अमिताभ बच्चन मुथूट फाइनैंस से गोल्ड लोन लेने के लिए लोगों को उकसा रहे हैं. विज्ञापनों में वे कहते हैं, ‘हाथी (मुथूट का लोगो) पर भरोसा करोगे तो पक्का जीतोगे.’ वे कहते हैं, ‘जब अपनों का साथ हो तभी होता है शुभारंभ. इसीलिए सिर्फ मुथूट फाइनैंस सदियों से देता आ रहा है हर नई शुरुआत में अपनों जैसा भरोसा.’ चायकौफी भी मनपसंद की मिलेगी.

यानी अमिताभ बच्चन कंपनी की तरफ ग्राहक का भरोसा जगा रहे हैं. मुथूट के लिए शाहरुख खान भी प्रचार कर रहे हैं, कह रहे हैं, ‘बुक माई गोल्ड लोन. फर्स्ट टाइम इन इंडिया.’ एक अन्य विज्ञापन कहता है, ‘पर्सनल लोन के मुकाबले गोल्ड लोन लेना ज्यादा आसान.’

आखिर एकाएक ऐसा क्या हो गया कि दुनियाभर के बैंक और कंपनियों की नजरें आप की अलमारी में रखे जेवरों पर गड़ गई हैं? जिन जेवरों को औरतें पीढ़ीदरपीढ़ी सहेजती आ रही हैं, जिन जेवरों से उन के खानदान की पहचान है, उस का गर्व है, जिन गहनों से उन का गहरा भावनात्मक जुड़ाव है, तमाम कंपनियां और बैंक उन्हें आप की अलमारी और लौकर से क्यों निकाल लेने पर उतारू हैं?

दरअसल, जिस तेजी से सोने के दाम बढ़ रहे हैं उस को देखते हुए ही आज दुनियाभर के सरकारी और गैरसरकारी बैंक, साहूकार, कोऔपरेटिव गोल्ड लोन के क्षेत्र में उतर आए हैं. माना जा रहा है कि 6 माह बीततेबीतते सोना डेढ़ लाख रुपए प्रति 10 ग्राम तक पहुंच सकता है. लिहाजा, इस समय पूरी कोशिश इस बात की हो रही है कि किसी तरह भारत की गृहिणी से उस का वह सोना बाहर निकलवाया जाए जो उस ने बरसों की मेहनत से जोड़जोड़ कर एकएक गहने के रूप में संजोया हुआ है.

औरतों के गहनों पर नजर

मुथूट ग्रुप के संयुक्त प्रबंध निदेशक अलेक्जैंडर जौर्ज मुथूट कहते हैं, ‘‘भारत में घरेलू आभूषणों के रूप में +25,000 टन सोना उपलब्ध है और इस का 5 फीसदी से भी कम सोने के ऋण के माध्यम से मुद्रीकृत किया जाता है. विकास की गुंजाइश बहुत अधिक है. मु झे विश्वास है कि हमारी नई गोल्ड लोन श्रेणी हमारी आर्थिक स्थिति को और मजबूत करेगी.’’

असल में यह सोना देश को नहीं, कंपनियों को और खर्चीली सरकार को मजबूत कर रहा है. असली सोना तो मंदिरों में भरा है पर किसी की हिम्मत है कि कहे कि सरकार इसे छीन ले. वक्फ एक्ट समर्थन करने वालों के मुंह पर मंदिरों के सोने के भंडार पर सोने के ताले लगे हैं.

रुद्र प्रताप एक छोटा सा अखबार निकालते हैं. उन की पत्नी एक छोटी सरकारी नौकरी में है. दोनों के 3 बच्चे हैं. 2 बेटियां और एक बेटा. रुद्र को उन के अखबार में कभीकभार ही विज्ञापन मिलते हैं जिस से अखबार का संचालन होता है. घर पत्नी की सैलरी से चलता है. फिर भी तीनों बच्चों की शादियां उन्होंने खूब धूमधाम से कीं.

वह इस कारण क्योंकि रुद्र प्रताप के पास उन के खानदान का पुराना सोना काफी मात्रा में था. 3 बच्चों की शादियां उन्होंने उसी सोने के कुछ हिस्से को बेच कर कीं.

सोने के बढ़ते दामों पर बातचीत करते हुए रुद्र बताते हैं कि जब उन्होंने 2009 में बड़ी बेटी की शादी की थी उस वक्त सोना करीब 15,000 रुपए प्रति 10 ग्राम था. 5 साल बाद जब दूसरी बेटी की शादी की तब सोने की कीमत दोगुनी हो गई यानी करीब 30,000 रुपए प्रति 10 ग्राम और एक साल पहले जब उन्होंने बेटे की शादी की तो सोने का दाम 60,000 रुपए प्रति 10 ग्राम पहुंच गया था जो अब 1 साल 2 महीने में बढ़ कर 1 लाख के करीब प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया है. सोने के दाम हर दिन ऊपर चढ़ रहे हैं.

अब तो धीरेधीरे चांदी के दामों में भी वृद्धि हो रही है. चांदी का इस्तेमाल अनेक प्रकार के गैजेट्स बनाने में भी होता है. चीन में चांदी की काफी खपत है. हैरानी नहीं होनी चाहिए यदि कुछ ही दिनों में सिल्वर लोन का शोर भी कानों में पड़ने लगे और महिलाओं के चांदी के गहने भी अलमारियों से निकल कर बैंकों में जमा हो जाएं.

वर्तमान समय में लोगों के जीवन स्तर और पैसा खर्च करने की प्रवृत्ति में बेतहाशा वृद्धि हुई है. कोरोना महामारी के बाद तो लोगों का जैसे जीवन पर से भरोसा ही उठ गया है. पता नहीं कब मौत आ जाए तो जितनी ख्वाहिशें हैं उन्हें अभी पूरी कर लो. बुढ़ापे के लिए बचा के रखने का कोई फायदा नहीं है. कुछ ऐसी मानसिकता लोगों पर हावी हो गई है.

बाजार ने भी इस मानसिकता को पकड़ लिया है और उस ने ऐश से जीवन जीने के लालच को बढ़ाया है. अब 18 साल का होने पर एक किशोर अपने मांबाप से साइकिल नहीं, सीधे बाइक की फरमाइश करता है. अमीर घर का हो तो सीधे कार की डिमांड होती है. मांबाप भी उसे बाइक या कार दिलाने में नानुकुर नहीं करते. आईफोन, कंप्यूटर, टेबलेट आदि सब तो अब आम हैं.

स्मार्टफोन अब सिर्फ शौक नहीं रहा बल्कि हर आदमी की जरूरत बन गया है. यहां तक कि बच्चों की भी. ऐसे में पुरुष अपनी सूखी सैलरी से परिवार की इच्छाएं पूरी नहीं कर सकता. जब वह गोल्ड लोन के बारे में सुनता है तो वह सोचता है कि बीवी के गहने जो बरसों से लौकर में पड़े हैं उन को बैंक में गिरवी रख कर लोन ही ले लो और किस्त चुकाते हुए एक निश्चित समयसीमा के बाद गहने वापस पा लो.

बैंक भी गोल्ड लोन के लिए बड़ी आकर्षक बातें कर के ग्राहक को लुभाते हैं, मगर असलियत तब खुलती है जब ब्याज के पैसों के साथसाथ व्यक्ति बीवी के गहने भी गंवा देता है.

नियम व शर्तों की पेचीदगियां

दरअसल गोल्ड लोन लेने की बातें जितनी सहज और आकर्षक लगती हैं, असलियत में वे उतनी ही भ्रामक, उल झी हुई और धोखाधड़ी से भरी हुई हैं.

कोई भी बैंक या उस का एजेंट ग्राहक को पूरी बातें या असलियत नहीं बताता है. आधीअधूरी जानकारी दे कर ग्राहक का सोना गिरवी रखवा लिया जाता है और बाद में जरा सी गलती होने पर बैंक ग्राहक का पूरा सोना हड़प कर जाता है. यानी पुरखों की सारी जमापूंजी और एक गृहिणी की संपत्ति एक झटके में हाथ से निकल जाती है. जब आप बैंक के खिलाफ ऐक्शन लेने की बात सोचते हैं तो बैंक कहता है कि आप ने खुद सारे टर्म्स एंड कंडीशन पर हस्ताक्षर किए हुए हैं.

जब आप गोल्ड लोन लेने के लिए किसी बैंक में जाते हैं तो वे आप के सामने 12 से 15 पेज के दस्तावेज रख देते हैं जो इंग्लिश में होते हैं और उन में जो कुछ बड़ी घुमावदार भाषा में लिखा होता है उसे उच्च इंग्लिश शिक्षा प्राप्त व्यक्ति भी ठीक से सम झ नहीं पाता. सो, एक कम शिक्षित आम व्यक्ति के लिए उस दस्तावेज को पढ़नासम झना कितना मुश्किल है, इसे आसानी से सम झा जा सकता है. आम आदमी तो उस एजेंट की बातों को ही सत्य सम झ कर उस के द्वारा दिए दस्तावेज पर उनउन जगहों पर हस्ताक्षर करता चला जाता है जहांजहां वह करने को कहता है.

व्यक्ति को लगता है कि बैंक कितना उदार है जो इतनी आसानी से मु झे लोन दे रहा है, बैंक का एजेंट खुद चल कर घर तक आया है, खुद सारा फौर्म भर रहा है पर उस को झटका तब लगता है जब सोना वापस करने का समय आने पर बैंक उसे उस की कोई न कोई गलती बता कर उस का सारा सोना हड़प कर जाता है.

क्या हो जब कर्ज न चुके

दरअसल प्रचार की आकर्षक बातों को किनारे रख कर यदि गोल्ड लोन की शर्तों पर ध्यान दें तो यहां भी कर्ज वाला नियम ही लागू होता है और इस नियम के अनुसार यदि आप समय से कर्ज नहीं चुका पाते हैं तो वित्तीय संस्थान को आप का सोना बेचने का हक है.

लोन चुकाने में देरी होने पर बैंक सोने की नीलामी कर सकता है. इस के लिए आएदिन अखबार के किसी कोने में छोटेछोटे अक्षरों में नीलामी की खबर दिखती होगी. आमतौर पर लोग इन खबरों को नहीं पढ़ते जिन में अमुक व्यक्ति का नाम, एड्रैस वगैरह लिखा जाता है कि चूंकि अमुक व्यक्ति ने लोन की किस्त समय से नहीं चुकाई, लिहाजा, तय शर्तों के अनुसार बैंक उस के सोने की नीलामी कर रहा है. कई बार तो ग्राहक को पता तक नहीं चलता और उस का सारा सोना नीलाम कर दिया जाता है.

लोन चुकाने में देरी होने पर आप का क्रैडिट स्कोर भी खराब हो जाता है और भविष्य में किसी अन्य प्रकार का लोन लेने में दिक्कत आती है. ये तमाम बातें कोई भी बैंक या बैंक का एजेंट ग्राहक को उस वक्त नहीं बताता है जिस वक्त वह उस को गोल्ड लोन के फायदे गिनवाते हुए फौर्म भरवा रहा होता है.

बैंक या बैंक का एजेंट गोल्ड लोन लेने वाले को यह भी नहीं बताता कि यदि सोने का भाव गिरता है तो आप को अतिरिक्त सोना गिरवी रखने के लिए भी कहा जा सकता है. सोने की कीमत में गिरावट आने पर बैंक ज्यादा सिक्योरिटी भी मांग सकता है या लोन की रकम कम कर सकता है. ऐसी अनेक बातें हैं जो 15 पेज के इंग्लिश में लिखे एग्रीमैंट फौर्म में घुमाफिरा कर लिखी होती हैं और उन पर वे आप के हस्ताक्षर ले लेते हैं कि आप को उन की सारी शर्तें मंजूर हैं. आप बिना फौर्म को पढ़े आंख मूंद कर हस्ताक्षर करते चले जाते हैं.

यह बात साफतौर पर सम झ लेनी चाहिए कि गोल्ड लोन का समय पर भुगतान करना बेहद जरूरी है. यदि आप समय पर भुगतान नहीं कर पाते तो लोन देने वाली संस्था आप के सोने को बेचने का अधिकार रखती है. सामान्यतया बैंक 3 महीने से 3 साल तक के लिए लोन देते हैं जबकि नौन बैंकिंग फाइनैंस कंपनी में यह अवधि अलग हो सकती है. इसलिए पहले से तय कर लें कि आप किस अवधि में लोन चुका सकते हैं और अपनी योजना के अनुसार ही लोन लें.

एक बात और सम झ लेनी चाहिए कि आप जितना सोना गिरवी रख रहे हैं उस का 75 फीसदी ही आप को लोन मिलेगा. यदि आप के जेवरों की कीमत एक लाख रुपए है तो आप को सिर्फ 75,000 रुपए ही लोन के रूप में मिलेंगे. सोने के बदले कर्ज लेने की दूसरी शर्त यह है कि जिस गोल्ड को आप गिरवी रख रहे हैं, वह कम से कम 18 कैरेट शुद्ध होना चाहिए.

सोने की शुद्धता की जांच बैंक खुद करता है मगर यह जांच वह आप के सामने नहीं करता. आम आदमी उस समय ज्यादा चूंचूं नहीं करता क्योंकि उस से कहा जाता है कि लोन चुकता करने के बाद यही जेवर उसे वापस मिल जाएंगे.

स्टेट बैंक औफ इंडिया 9 फीसदी से शुरू होने वाली ब्याज दरों पर 50 लाख रुपए तक का गोल्ड लोन प्रदान करता है. गोल्ड लोन की अवधि 3 साल तक हो सकती है (अगर ईएमआई में लोन का भुगतान किया जा रहा हो) और अगर बुलेट रीपेमैंट के जरिए लोन का भुगतान किया जा रहा है तो 3 महीने, 6 महीने और 12 महीने.

इन बातों के अलावा ऐसे कई खर्चे हैं जो बैंक शुरू में आप को नहीं बताते हैं. इन एक्स्ट्रा चार्जेज पर वे फौर्म भरते वक्त बात नहीं करते हैं जबकि गोल्ड लोन में भी दूसरे आम लोन की तरह प्रोसैसिंग फीस लगती है, जो बैंकों और नौन बैंकिंग फाइनैंस कंपनी के हिसाब से अलगअलग होती है. इस के अलावा प्रोसैसिंग फीस पर जीएसटी भी लगता है. लोन लेने के लिए प्रोसैसिंग फीस, वैल्यूएशन फीस, लौकर चार्ज, सर्विस चार्ज और एसएमएस चार्ज जैसे कई शुल्क लगते हैं जो एजेंट आप को नहीं बताता है.

बैंक या नौन बैंकिंग फाइनैंस कंपनी गहनों और सोने के सिक्कों के बदले ही लोन देते हैं. आप 50 ग्राम से ज्यादा वजन के सोने के सिक्के गिरवी नहीं रख सकते. वित्तीय संस्थान गोल्ड बार को भी गिरवी नहीं रखते हैं.

लूट नहीं तो क्या

तो, प्रचार की चमकदमक में गुमराह होने से बचें और सैलिब्रिटीज की लच्छेदार बातों में न आ कर गोल्ड लोन लेने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि आप इसे किस उद्देश्य के लिए ले रहे हैं और उस की किस्त आप समय से चुका पाएंगे या नहीं. आप की संपत्ति का उपयोग हमेशा गंभीर और अपरिहार्य परिस्थितियों में होना चाहिए. मामूली जरूरतों को पूरा करने के लिए या महल्ले वालों व रिश्तेदारों को अपनी शानोशौकत दिखाने के लिए अपनी संपत्ति गिरवी रखना सम झदारी नहीं है.

इस बात पर पूरा ध्यान दें कि आप के पास समय से किस्त चुकाने के साधन हैं या नहीं. समय पर भुगतान करना बेहद जरूरी है. यदि आप समय पर भुगतान नहीं कर पाते तो लोन देने वाली संस्था आप के सोने को बेचने का अधिकार रखती है. यह न सोचें कि आप का सोना उन के पास सुरक्षित है.

एक बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, जून 2024 में 6,696 करोड़ रुपए के दिए गए लोन के बदले सोने के जेवर औक्शन कर दिए गए क्योंकि उधार लेने वालों ने लोन चुकाया नहीं. यह पैसा छीना गया. अप्रैल 2024 से जून 2024 के 3 महीनों में 30 प्रतिशत लोन लेने वालों ने गहने नहीं छुड़ाए. बैंकों के लिए स्वर्णिम दिन हैं क्योंकि अब सोने की कीमत बढ़ गई है.

27 मार्च, 2025 को पश्चिम बंगाल के 24 परगना के स्टेट बैंक औफ इंडिया ने एक विज्ञापन जारी किया जिस में सईदा खातून के 22 कैरेट के 60 ग्राम सोने की 3 चूडि़यां नीलाम करने की सूचना थी. अब मई में सोने का दाम 1 लाख रुपए प्रति ग्राम है. सो, यह लूट नहीं है क्या, जो बैंकों ने मचाई है. अगर बैंक यह सोना औक्शन न करता तो ग्राहकों को लाभ ही लाभ होता.

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