दिलचस्प लेकिन चिंतनीय मामला भोपाल का है जो दुनिया का पहला तो नहीं, पर उन इनेगिने मामलों में शामिल हो गया है, जिस में पति की गलती या गुनाह, कुछ भी कह लें, को ढकने के लिए पत्नी ने न केवल पति का साथ दिया बल्कि उसे बचाने के चक्कर में खुद भी गुनाहगार बन बैठी.

शाहपुरा भोपाल का पौश इलाका है जहां के थाने में केरल निवासी 32 वर्षीया पुष्पा लक्ष्मी (बदला नाम) ने यह रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि डाक्टर कपिल लाहोटी और उन की डैंटिस्ट पत्नी सीमा लाहोटी ने जबरन उस का अबौर्शन कर दिया. पेशे से नर्स पीडि़ता ने अपने बयान में बताया था कि वह कपिल लाहोटी के संपर्क में एक साल पहले आई थी. जैसा कि ऐसे मामलों में होता है, दोनों को प्यार हो गया और फिर शारीरिक संबंध भी बन गए.

कपिल ने पुष्पा लक्ष्मी को बहैसियत ‘वो’ रखा और 4 महीने तक लिवइन में रहते उन के शारीरिक संबंध बनते रहे. कपिल ने उसे शादी का झांसा भी दिया था. कोलार इलाके में रह रही पुष्पा लक्ष्मी जब गर्भवती हो गई तो कपिल घबरा उठे. घबराने की दूसरी वजह यह थी कि बारबार कहने पर भी पुष्पा लक्ष्मी गर्भपात के लिए तैयार नहीं हो रही थी.

जैसेजैसे पुष्पा लक्ष्मी की कोख में कपिल के प्यार का बीज पौधा बन कर बढ़ता जा रहा था वैसेवैसे उन का ब्लडप्रैशर हाई होता जा रहा था. उन्होंने अपनी इस प्रेयसी से मिन्नतें कीं, प्रतिष्ठा की दुहाई दी, घर टूटने का वास्ता दिया लेकिन पुष्पा टस से मस नहीं हुई.

ऐसे वक्त में कपिल की मनोदशा वही पुरुष समझ सकता है जो इस हालत से हो कर गुजरा हो या फिर गुजर रहा हो. भोपाल के नजदीक विदिशा के रहने वाले कपिल की संपन्न और प्रतिष्ठित पारिवारिक पृष्ठभूमि हर कोई जानता है. समाज में लाहोटी परिवार का अपना रुतबा है, जो कपिल की एक गलती या बेवकूफी से मिट्टी में मिल गया है.

पत्नी का सहारा

एक तरफ खाई थी तो दूसरी तरफ कुआं था. 2 नावों की सवारी कर रहे कपिल लाहोटी को अब समझ आ रहा था कि वे एक समुद्री तूफान में फंस चुके हैं, ऐसे में सहारे के लिए उन्होंने इधरउधर निगाह दौड़ाई तो एकलौता सहारा उन्हें पत्नी सीमा में नजर आया.

पत्नी के सामने कैसे हिम्मत कर उन्होंने बेवफाई वाला सच बताया होगा, यह तो वही जानें लेकिन भावुक सीमा तड़प के साथ पति की मदद करने के लिए तैयार हो गई. तब उन्होंने मीलों लंबी चैन की सांस ली.

सिलसिला फिल्म की जया भादुड़ी और रेखा की तरह वे दोनों महिलाएं मिलीं. सीमा ने पुष्पा लक्ष्मी को समझाने की कोशिश की पर नतीजा वही ढाक के तीन पात निकला. वह अबौर्शन कराने के लिए तैयार नहीं हुई. वजह, कथित रूप से कपिल उस से मंदिर में शादी कर चुके थे.

इन दोनों का ही दर्द समझ पाना आसान काम नहीं. दोनों ही कपिल के विश्वासघात का शिकार हुई थीं. तमाम मर्यादाएं और सीमाएं भूलते कपिल ने पहली गलती पुष्पा से कथित प्यार करने की की थी और दूसरी यह भी की थी कि शारीरिक संबंधों के वक्त कोई सावधानी नहीं बरती थी. प्रेमिका गर्भवती हो जाए और फिर गर्भपात कराने को तैयार न हो, तो उस का मैसेज बहुत साफ रहता है कि वह प्रेमी के बच्चे की मां बनेगी और दूसरी का दर्जा उस से घाटे का सौदा न लगते हुए मंजूर है.

अभी तक पुष्पा लक्ष्मी के सांवले, सौंदर्य और छरहरे बदन में सुख के गोते लगा रहे कपिल को हकीकत का झटका लगा तो उन की रातों की नींद और दिन का चैन दोनों हराम हो गए. ऐसे में पत्नी का सहारा उन्हें संबल देने वाला साबित हुआ. सीमा ने उन्हें माफ नहीं किया था, लेकिन उन की एक ही भूल को सुधारने में उन का सहयोग करना कुबूल कर लिया था. इस के पीछे सीमा की मंशा इज्जत और कैरियर बचाने की थी.

लेकिन समस्या ज्यों की त्यों थी. पुष्पा लक्ष्मी मान नहीं रही थी. ऐसे में कपिल और सीमा ने उसे बहलाफुसला कर कुछ दिन अपने घर पर रखा और अक्तूबर के तीसरे सप्ताह में उसे जबरन दवा दे कर गर्भपात कर दिया. इस पर तिलमिलाई पुष्पा न्याय के लिए थाने जा पहुंची. अब लाहोटी डाक्टर दंपती सलाखों के पीछे हैं, लेकिन कई सवाल सोचने के लिए छोड़ गए हैं जो विवाहेतर संबंधों से ताल्लुक रखते हैं.

गलत और सही की लक्ष्मणरेखा

हैरत की तीसरी बात अभिजात्य वर्ग की प्रतिक्रियाएं रहीं. 10 में से 8 लोगों ने कहा कि कपिल लाहोटी ने गलती की. उन्हें सावधानी बरतनी चाहिए थी और कुछ लेदे कर मामला रफादफा कर देना चाहिए था. ऐसा होना तो अब आम है, लेकिन समझदार लोग सधे ढंग से चलते हैं. यानी, नैतिकता की बात बीते कल की हो चली है और संपन्न वर्ग ने विवाहेतर संबंधों को कुछ शर्तों पर स्वीकृति दे दी है. आधुनिकता का नया तकाजा इस मामले पर खरा उतरता नजर आया कि पुरुषों को संभल कर रहना चाहिए.

भोपाल के ही एक नामी सीनियर फिजीशियन की मानें तो इस में नया या हैरतअंगेज कुछ नहीं है सिवा इस के कि 38 वर्षीय कपिल मामले को मैनेज नहीं कर पाए. इन डाक्टर साहब के मुताबिक, कोशिश यह होनी चाहिए कि बात पत्नी, बच्चों और घर वालों तक न पहुंचे.

मैनिट भोपाल के एक प्रोफैसर का नाम न छापने की शर्त पर कहना है कि हर चौथा पति इस तरह के संबंधों या पार्टटाइम लिवइन में है. इन प्रोफैसर साहब के मुताबिक, सौदा जरूरत का है. दिक्कत प्रेमिका से उठ खड़ी होती है जब वह ज्यादा मुंह फाड़ने लगती है या फिर सचमुच प्यार करने लगती है.

सभ्य समाज के इन नए उसूलों से परे इन दोनों में से कोई यह नहीं समझ पा रहा या फिर जानबूझ कर नहीं कह रहा कि विवाहेतर संबंध न तो गैरकानूनी हैं और न ही अनैतिक कहे जा सकते हैं. हां, परिवार के लिहाज से जरूर ये अव्यावहारिक हैं जिस की सजा राज खुलने पर पुरुष को भीषण मानसिक यंत्रणा, पश्चात्ताप, आत्मग्लानि और घर में रहते बहिष्कृत हो कर भुगतनी पड़ती है. यानी पति की सारी कोशिश संबंधों के दौरान उन्हें ढके रखने की होनी चाहिए और इस में पैसों की चिंता तो बिलकुल नहीं करनी चाहिए.

चक्रव्यूह में पति

इस के सिवा कोई और चारा नहीं कि इन संबंधों को खारिज न किया जाए. लेकिन संबंध उजागर हो जाने पर पति की मनोदशा का विश्लेषण किया जाए, जिस का एक आदर्श उदाहरण कपिल लाहोटी हैं.

सीमा भले ही सहअभियुक्त हो, लेकिन उन्होंने पति को बचाने के लिए उन का साथ दिया. पुष्पा लक्ष्मी को बतौर सौत तो वे स्वीकार नहीं सकती थीं और न ही पति को माफ कर सकती थीं. उन की गलती यह है कि उन्हें इस मुसीबत से छुटकारा पाने के लिए जो सहज रास्ता लगा, वह उन्होंने चुना भले ही वह गैरकानूनी था.

लेकिन पति जिस चक्रव्यूह में फंस जाता है उसे देखा जाना भी जरूरी है. वह न इधर का रहता और न ही उधर का रहता. भले ही संभ्रात समाज अपनी सहूलियत के लिए ऐसे संबंधों का ज्यादा विरोध न करे लेकिन राज खुलने के बाद वह खुल कर दोषी का साथ नहीं देता, यानी पकड़े गए तो चोर, नहीं तो कोतवाल.

पकड़े गए पतियों को न तो पत्नी माफ करती, न ही बच्चे और न ही परिवारजन. हैरत की बात यह भी है कि सबकुछ ढकेमुंह चलता रहे तो इज्जत और रुतबा बरकरार रहता है और पकड़े गए तो एक दिन में पानी उतर जाता है.

इस दोहरेपन को पति के नजरिए से देखें तो निश्चित ही वह लापरवाही के क्षणों को कोसता नजर आएगा. पत्नी, घर वालों और बच्चों की निगाह में गिर जाना उस के लिए कानून की सजा, जो आमतौर पर मामूली ही होती है, से कहीं बड़ी होती है.

भोपाल के ही एक वरिष्ठ इंजीनियर इस मामले पर आपबीती सुनाते बताते हैं कि वे लगभग 15 वर्षों से पत्नी के साथ एक छत के नीचे अजनबियों की तरह रह रहे हैं. उन के मुताबिक, यह सजा असहनीय है कि पत्नी है तो, पर दिखाने के लिए. इन दोनों में तभी से शारीरिक संबंध नहीं बने हैं जब से इंजीनियर साहब का प्रेमप्रसंग उजागर हुआ था.

पत्नी ने रिश्तेदारी और बच्चों की खातिर घर नहीं छोड़ा और न ही तलाक की पेशकश की. लेकिन पति की बेवफाई से वे इतनी आहत हुईं कि अब उन से बात भी नहीं करती हैं. हां, घर में कोई आता है तो इतनी खूबसूरती से पेश आती हैं कि कभीकभी इंजीनियर साहब भी चकरा जाते हैं कि शायद पत्नी ने उन्हें माफ कर दिया. लेकिन उन की यह गलतफहमी या उम्मीद उस वक्त धूमिल हो जाती है जब मेहमानों के जाते ही पत्नी पहले सी बेरुखी दिखाते अपने कमरे में जा कर बंद हो जाती है.

इंजीनियर साहब शुरू में अकेले में रोते रहते थे, लेकिन अब इस माहौल के आदी हो गए हैं. पत्नी की उपेक्षा उहें कांटों सी चुभती है और बाहर पढ़ रहे दोनों बच्चे भी उन से बात नहीं करते. अपनी दास्तां सुनाते वे बेमन से शायद खुद को बहलाने की गरज में लंबी सांस भरते कहते हैं कि शायद यही मेरी सजा थी.

बरतें सावधानी

क्या पति के बहकने में पत्नी की भूमिका कुछ नहीं होती, यह सवाल ज्यादा माने नहीं रखता. संबंधों का यह वह दौर है जिस में कोई पत्नी पति की शर्ट सूंघ कर नहीं बता सकती कि वह कहीं और मुंह मार कर आ रहा है.

मिसाल कपिल लाहोटी की लें तो उन की गलती क्या है, संबंध बनाना या फिर उसे छिपाने में असफल रहना. जाहिर है दूसरी बात अहम है, पत्नी के तो कोई खास माने किसी की नजर में हैं नहीं.

सार यह कि सावधानी पति को ही बरतनी होंगी. पर क्या ऐसा होना मुमकिन है कि कोई पति खुलेआम इश्क लड़ाए और डिजिटल होते इस समाज में राज को राज रख पाए. इस पर हां कहना मुश्किल है, लेकिन प्रेरणा वे लोग देते हैं जो ऐसे संबंधों को सफलतापूर्वक निभा रहे हैं. लेकिन वे कब तक निभा पाएंगे, इस की कोई गारंटी नहीं. फिर भी पतियों को चाहिए कि वे अपनी तरफ  से सावधानी रखें :

–     आजकल हर कोई 15-16 घंटे काम कर रहा है. ऐसे में प्रेमिका के लिए अलग से वक्त निकालना हर किसी के लिए संभव नहीं. वजह, घरपरिवार एक ऐसी इकाई है जहां रोज दफ्तर या व्यवसाय की तरह हाजिरी लगानी पड़ती है.

–     एक ही शहर में हैं तो प्रेमिका के साथ मौलहोटल आदि में आनाजाना जोखिमभरा काम है. ऐसे में घूमनेफिरने या शौपिंग करने की जिद करे तो ना कहना उसे भड़काने जैसी बात है और हां कह कर सार्वजनिक स्थानों पर जाना आ बैल मुझे मारने जैसी बात है.

–     प्रेमिका जबतब फोन कर सकती है. ऐसे में आप कितने भी बड़े ऐक्टर हों, ज्यादा देर मोबाइल पर हैलोहैलो, कौन बोल रहे हैं या आवाज नहीं आ रही… जैसे बहाने बना कर उसे नजरअंदाज नहीं कर सकते. हां, इस बात पर जरूर खीझ सकते हैं कि औरतें होती ही बेवकूफ हैं. लाख समझाने पर भी उस ने बेवक्त फोन कर ही डाला.

–     अब छिपाइए पत्नी से चेहरे के रंग. एकदो बार कामयाब हो भी जाए लेकिन ऐसा हर बार नहीं होगा. प्रेमिका को ब्लौक करेंगे तो वह ऐसा बिफरेगी कि अगली बार फोन की जगह खुद ही घर आ टपक सकती है.

–     भोपाल जैसे बी श्रेणी के शहर में प्रेमिका का खर्च लगभग 20 हजार रुपए महीने बैठता है. यह एक रकम है जिस का हिसाबकिताब रखना या घालमेल करना संभव नहीं. बड़े व्यापारी तो इधरउधर के बहाने बना कर बहला सकते हैं, लेकिन नौकरीपेशा लोग दिक्कत में फंस जाते हैं. पत्नी को जब शक होता है, तो वह कैसे बाल की खाल निकालती है, यह भी कोई भुक्तभोगी ही बता सकता है.

–     प्रेमिका कैसी भी हो, उसे रोज आप से फोन पर बात करनी ही होती है. जब तक वह सैक्सी और रोमांटिक बातें करती है तभी तक अच्छी लगती है. लेकिन जब वह दूसरी बातों का रोना ले कर बैठ जाती है तो आप की इच्छा फोन फेंकने की होना स्वाभाविक है. लेकिन ऐसा आप कर नहीं सकते यानी आप से ज्यादा बेवफा इंसान कोई और नहीं.

–     जब वह यह पूछती है कि ऐसा कब तक चलेगा, मेरा क्या होगा, क्या मैं जिंदगीभर रखैल बन कर रहूंगी, मुझे एक बच्चा दे दो उसी के सहारे जिंदगी काट लूंगी. तब आप की पूरी ऊर्जा उसे समझने में खर्च हो जाती है. डर इस बात का रहता है कि अगर वह जिद पर अड़ गई तो लेने के देने पड़ जाएंगे.

–     कभीकभी वह इशारों में कहती है कि वह अब इस रिश्ते को ले कर थक गई है तो इस का सीधा सा मतलब यह निकलता है कि वह रिश्ते को सार्वजनिक कर देने की बात कर रही है. तब आप की हालत देखने लायक होती है कि अब क्या करें.

–     जब आप उस के साथ लौंग ड्राइव पर जाते हैं तो घर लौटते वक्त कितनी बार कार को बारीकी से देखते हैं कि उस काकोई छोटामोटा सामान न रह गया हो. चोर की दाढ़ी में तिनका अच्छेअच्छे क्लीनशेव वालों को परेशान कर डालता है. अब घर पहुंचने के कुछ पहले कार को नजरों से साफ करते रहिए.

–     पत्नी शक न करती हो, तो भी आप कभीकभी उस की निश्छलता और भोलापन देख कर ग्लानि से भर उठते हैं. लेकिन सहज रहने की कोशिश में कितने दयनीय हो जाते हैं, यह आप से बेहतर कोई नहीं जानता.

और आखिर में मुद्दे की बात, वह अनजाना डर है जो भूतप्रेत की तरह चौबीसों घंटे आप के साथ चलता है कि कहीं पकड़े गए तो क्या होगा, लोग क्या कहेंगे, पत्नी और बच्चे क्या करेंगे, दफ्तर में क्या इमेज बनेगी या कौर्पोरेट में क्या प्रतिक्रिया होगी. अगर आत्मविश्वास खोया तो धंधा तो चौपट होना तय है.

इसलिए ध्यान यह रखें कि प्रेमिका, प्रेमिका ही रहेगी जिसे रखैल जैसे बाजारू शब्द से नवाजना आप भले ही पसंद न करें लेकिन सच तो सच है कि वह कभी पत्नी की जगह नहीं ले सकती. पत्नी आप की पहचान है और बच्चे जिंदगी का मकसद हैं. इन से बेईमानी करेंगे तो आज नहीं तो कल, आप का हश्र भी लाहोटी परिवार सरीखा हो सकता है.

बेहतर होगा कि इस राह पर न चलें और चल पड़ें तो कुछ दूर जा कर वापस लौट आएं और कदमों के निशान न छोड़ें उन्हें मिटाने की जो भी कीमत हो, चुकाएं. याद यह भी रखें कि जितने दूर तक जाएंगे, कीमत और जोखिम उतने ही बढ़ते जाएंगे. अब फैसला आप के हाथ में है कि पत्नी या वो.

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