भाग 1- दुनिया के  मुसलमान अपनों के  शिकार

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ईसाईयत के बाद इसलाम को मानने वालों की तादाद दुनिया में सब से ज्यादा है. आज मध्यपूर्व दुनिया का वह इलाका है जहां ताकतवर मुसलिम देशों की खेमेबंदी बहुत तगड़ी है, लेकिन यहां रूस और अमेरिका के साथसाथ चीन की सक्रियता और हस्तक्षेप भी बहुत ज्यादा है. ये तीनों ही राष्ट्र नहीं चाहते कि मुसलिम देश कभी भी एकजुट हो कर उन से ज्यादा ताकतवर हो जाएं और पूर्व के तेल के भंडारों पर पश्चिम की पकड़ कमजोर पड़ जाए. इसलिए वे साजिशन इन को आपस में लड़ाए रखते हैं.

सीरिया जैसे अनेक मुसलिम देश जो शियासुन्नी  झगड़ों या सत्ता पर वर्चस्व के चलते गृहयुद्ध की स्थितियों से जू झ रहे हैं, चीन, रूस और अमेरिका उन को सैन्य मदद देने के बहाने उकसाने और लड़ानेमरवाने का काम कर रहे हैं.

दक्षिणपश्चिम एशिया इलाके का मुसलिम राष्ट्र सीरिया आज लगभग पूरी तरह बरबाद हो चुका है. बीते 10 वर्षों से सीरिया सिविल वार से जू झ रहा है. राजधानी दमिश्क को छोड़ कर देश के तकरीबन सभी शहर बरबाद हो चुके हैं. वहां नन्हेनन्हे बच्चे गोलियों से भून दिए जाते हैं, मगर कोई मानवाधिकार संगठन उन की बात नहीं करता. विश्व समुदाय सीरिया की हालत पर खामोश है. सीरिया की जंग को रोकने, वहां के हालात पर काबू पाने के लिए कोई ठोस काम नहीं हो रहा है. सीरिया की हालत हमेशा से ऐसी नहीं थी.

यह मुसलिम देश कभी काफी एडवांस और मौडर्न हुआ करता था. यहां कौफी शौप, फास्ट फूड जाएंट्स से ले कर बीच और नाइट क्लब तक थे, जहां लोगों की भरमार देखी जाती थी. वे लोग आधुनिक जीवन जीते थे. गृहयुद्ध शुरू होने के बाद भी राजधानी दमिश्क में लोग काफी समय तक ऐसी ही लाइफ जीते रहे. जबेसा में 1940 में प्राकृतिक गैस के भंडारों का पता लगा. वर्ष 1956 में यहां पैट्रोलियम की खोज हुई थी. इस के सुवायदिया, करत्सुई तथा रुमाइयां में प्रमुख तेल क्षेत्र हैं. ये तेल क्षेत्र इराक के मोसुल तथा किरकुक के पास के तेल क्षेत्रों के प्राकृतिक विस्तार हैं. पैट्रोलियम सीरिया का प्रमुख निर्यात है.

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