25 साल के नवल की पहली सैलरी आई तो उस के घर वालों ने कथा सुनने और मंदिर में दान देने में लगवा दी. नवल अपने दोस्तों के साथ पार्टी कर के बचे पैसे बैंक खाते में रखना चाहता था. घर वालों ने कहा कि अगर वह मंदिर और दानपुण्य में पैसा देगा तो भगवान उस की मदद करेंगे और वह तरक्की करेगा. उस ने यही किया. पहली सैलरी ही नहीं, उस के बाद हर माह घर के लोग कोई न कोई कार्यक्रम तय कर लेते थे. इस तरह नौकरी करने के बाद उस की जो भी छुट्टी मिलती थी उस वक्त वह कहीं न कहीं मंदिर घूमने के लिए परिवार के साथ जाता था. इसी के बाद कोविड आ गया था. उस की सेलरी में 20 प्रतिशत की कटौती कर दी गई.

कोविड में कटौती ने उस के सारे गणित को बिगाड़ दिया. उस के वे दोस्त मजे से अपनी कम हुई सैलरी में भी खुश थे जिन्होंने बचत की थी. उसे अब लग रहा था कि पैसे को दानपुण्य में खर्च न कर के अगर बचाया होता तो उस को मदद मिलती. अब वह दक्षिणा बैंक में पैसा जमा करने की जगह पर बचत खाते में पैसा जमा कर रहा है. उसे लग रहा है कि जरूरत पड़ने पर यही उस के काम आएगा. कोविड में जब उसे पैसे की जरूरत थी तब किसी ने मदद नहीं की थी. दक्षिणा बैंक उस के काम नहीं आया.

बचत में आई भारी गिरावट

भारत में कमाने वाले तेजी से बढ़ रहे हैं. लोगों की आमदनी बढ़ रही है. प्रति व्यक्ति आय भी बढ़ रही है. इस के बाद भी बचत में कमी आ रही है. भारत का घरेलू बचत 50 साल के निचले स्तर पर आ गया है. हाउसहोल्ड एसेट और लायबिलिटीज पर रिजर्व बैंक की ताजा रिपोर्ट के अनुसार साल 2022-23 के दौरान नेट हाउसहोल्ड सेविंग गिर कर 5.1 फीसदी रह गई है.

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