जिस जमीन को ले कर सोनभद्र में सामूहिक नरसंहार हुआ, वह वनक्षेत्र की जमीन है, जिसे हेराफेरी कर के बेचा और खरीदा गया था. इस जमीन के चक्कर में दबंगों ने 10 लोगों को मौत के घाट उतार दिया. जबकि 25 लोग घायल हुए. हकीकत में इस नरसंहार का जिम्मेदार सरकारी अमला ही है.

उस दिन 2019 की तारीख थी 17 जुलाई. उत्तर प्रदेश के जिला सोनभद्र के घोरावल स्थित गांव उम्भापुरवा का हालहवाल कुछ बिगड़ा हुआ था. दरजनों ट्रैक्टर, जिन की ट्रौलियों में 300 से ज्यादा लोग भरे थे, 148 बीघा जमीन को घेरे खड़े थे. उन में गांव का प्रधान यज्ञदत्त गुर्जर भी था, जिस के साथ आए कुछ दबंग हाथों में लाठीडंडे, भालाबल्लम, राइफल और बंदूक आदि हथियार लिए हुए थे.

दूसरी तरफ जब गांव वालों ने देखा कि दबंग उस 148 बीघा जमीन को जोतने आए हैं तो उन्होंने उन्हें खेत जोतने से रोकने का फैसला किया. वे लोग उन्हें रोकने के लिए आगे बढे़. गरमागरमी में बातचीत हुई, लेकिन दोनों ही तरफ के लोग अपनीअपनी जिद पर अड़े रहे. इस का नतीजा यह हुआ कि उन के बीच विवाद बढ़ गया.

ग्राम प्रधान के साथ आए लोगों ने गांव वालों पर हमला बोल दिया. लाठीडंडों से हुए हमले के बीचबीच में गोली चलने की आवाजें भी आने लगीं. गांव वाले बचने के लिए इधरउधर भागने लगे. कुछ लोग वहीं जमीन पर गिर पड़े. लगभग आधे घंटे तक नरसंहार चलता रहा.

उम्भापुरवा गांव सोनभद्र से 55-56 किलोमीटर दूर है. यहीं पर ग्राम प्रधान यज्ञदत्त गुर्जर ने 2 साल पहले करीब 90 बीघे जमीन  खरीदी थी. वह उसी जमीन पर कब्जा करने के लिए आया था. लेकिन स्थानीय लोगों ने उस का विरोध किया, जिस के बाद प्रधान के साथ आए लोगों ने आदिवासियों पर अंधाधुंध फायरिंग कर दी.

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