पंकज कज मिश्रा उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर (नोएडा) के गांव भंगेल में अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी शैली मिश्रा उर्फ निधि और एक 7 साल का बेटा था. पेशे से इलैक्ट्रिशियन पंकज नोएडा के ही सेक्टर-135 में स्थित जे.पी. कौसमोस सोसायटी में नौकरी करता था.
20 जून, 2019 की सुबह 8 बजे पंकज घर से काम पर जाने के लिए साइकिल पर निकला. कुछ देर बाद जब वह सेक्टर-132 स्थित एक आईटी कंपनी के नजदीक सुनसान जगह से गुजर रहा था, तभी मोटरसाइकिल से 2 लोग उस के पास पहुंचे और उन्होंने पंकज को रुकने का इशारा किया.
पंकज ने साइकिल रोक दी. इस से पहले कि पंकज बाइक सवारों को समझ पाता, उन में से एक ने पंकज पर गोली चला दी. गोली लगते ही पंकज साइकिल सहित वहीं गिर पड़ा. वहां से गुजर रहे किसी राहगीर ने इस की सूचना 100 नंबर पर पुलिस कंट्रोल रूम को दे दी.
चूंकि यह इलाका नोएडा के एक्सप्रैसवे थाने के अंतर्गत आता था, इसलिए पुलिस कंट्रोल रूम से यह सूचना एक्सप्रैसवे थाने को दे दी गई. सूचना मिलते ही थोड़े ही देर में एसआई अनूप कुमार यादव, दिनेश कुमार सोलंकी, गुरविंदर सिंह के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए.
पुलिस पंकज को नजदीक के एक प्राइवेट अस्पताल ले गई, जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. पुलिस ने मृतक के कपड़ों की तलाशी ली तो जेब में पहचान का कोई कागज नहीं मिला. जेब में सिर्फ एक मोबाइल फोन ही मिला. उस की शिनाख्त के लिए पुलिस ने मोबाइल फोन में मौजूद नंबरों पर काल करनी शुरू की.
इसी प्रयास में शारदा प्रसाद मिश्रा नाम के व्यक्ति से बात हुई. उस ने बताया कि यह नंबर उस के भाई पंकज मिश्रा का है जो नोएडा के भंगेल गांव में रहता है. पुलिस ने उसे अस्पताल बुला लिया ताकि लाश की शिनाख्त हो सके. शारदा प्रसाद अस्पताल पहुंच गया. पुलिस ने जब उसे उस युवक की लाश दिखाई तो उस ने उस की शिनाख्त अपने छोटे भाई पंकज मिश्रा के तौर पर कर दी.
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उस ने पूछताछ के दौरान थानाप्रभारी भुवनेश कुमार को बताया कि पंकज जे.पी. कौसमोस सोसायटी में इलैक्ट्रिशियन का काम करता था और घटना के समय अपने काम पर जा रहा था. शिनाख्त हो जाने के बाद लाश पोस्टमार्टम के लिए राजकीय अस्पताल भेज दी गई.
इस के बाद थानाप्रभारी भुवनेश कुमार फिर से वारदात वाली जगह पहुंचे. उन्होंने आसपास के लोगों से पूछताछ की तो कुछ लोगों ने बताया कि बाइक सवार 2 लोगों ने साइकिल सवार एक युवक को गोली मारी थी.
थानाप्रभारी भुवनेश कुमार ने शारदा प्रसाद मिश्रा की शिकायत पर अज्ञात हत्यारों के खिलाफ पंकज मिश्रा की हत्या का मामला दर्ज कर लिया. एसएसपी वैभवकृष्ण के निर्देश पर थानाप्रभारी भुवनेश कुमार टीम के साथ केस की जांच करने में जुट गए.
केस की गुत्थी सुलझाने के लिए उन्होंने जांचपड़ताल शुरू की. क्योंकि बदमाशों ने उस से किसी प्रकार की लूटपाट नहीं की थी, इसलिए इस संभावना को बल मिल रहा था कि शायद पंकज से किसी की कोई पुरानी रंजिश रही होगी, जिस के कारण मौका ताड़ कर उसे मौत के घाट उतार दिया गया.
पंकज भंगेल में एक किराए के मकान में रहता था. थानाप्रभारी पूछताछ के लिए उस के घर पर पहुंच गए. घर पर मृतक पंकज की पत्नी शैली मिश्रा मिली. थानाप्रभारी ने शैली मिश्रा से पंकज की दुश्मनी के बारे में पूछा तो उस ने किसी भी व्यक्ति के साथ रंजिश से साफ इनकार कर दिया.
मृतक के भाई शारदा प्रसाद मिश्रा से भी किसी से रंजिश आदि के बारे में पूछा गया. उस ने भी ऐसी किसी दुश्मनी से अनभिज्ञता जाहिर की. यह सब देख कर पुलिस ने हत्यारों तक पहुंचने के लिए अन्य संभावित कारणों के बारे में जांचपड़ताल की.
मृतक पंकज की पत्नी शैली मिश्रा से थानाप्रभारी ने और भी कई तरह के सवाल किए तो उस के बयानों में कुछ विरोधाभास मिला. इस पर पुलिस ने पंकज और शैली मिश्रा के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवा कर गहन जांचपड़ताल की. पता चला कि शैली मिश्रा की एक मोबाइल नंबर पर अकसर बातें होती थीं.
जब उस मोबाइल नंबर की भी काल डिटेल्स निकलवाई गई तो वह सुरेश सिधवानी नाम के एक युवक का निकला जो नोएडा के सेक्टर-82 में रहता था. पुलिस ने शैली से कुछ नहीं कहा, बल्कि सुरेश सिधवानी को पूछताछ के लिए उस के घर से उठा लिया. थाने में उससे सख्ती से उस के और शैली मिश्रा के बारे में पूछा गया तो उस ने सारा सच उगल दिया.
उस ने बताया कि पिछले 2 सालों से उस के और शैली मिश्रा के बीच गहरी दोस्ती है, जो अवैध संबंधों में बदल गई थी. उस ने और शैली ने योजना बना कर पंकज को रास्ते से हटाया है.
इस के बाद पुलिस ने शैली मिश्रा को भी भंगेल स्थित उस के घर से गिरफ्तार कर लिया. वहां उस ने पहले से हिरासत में लिए गए सुरेश सिधवानी को देखा तो उस के चेहरे का रंग उतर गया. अब उस के सामने सच बोलने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं था. लिहाजा पूछताछ में शैली ने भी स्वीकार कर लिया कि पंकज की हत्या उसी के इशारे पर की गई थी.
दोनों से विस्तार से पूछताछ करने पर पंकज की हत्या की जो कहानी सामने आई, इस प्रकार निकली-
मूलरूप से उत्तर प्रदेश के जिला अयोध्या का रहने वाला पंकज मिश्रा पिछले कई सालों से अपनी पत्नी शैली और 7 साल के बेटे के साथ नोएडा के भंगेल गांव में रह रहा था. वह जे.पी. कौसमोस सोसायटी में इलैक्ट्रिशियन का काम करता था. वहां से उसे जो तनख्वाह मिलती थी, उस से परिवार का गुजारा मुश्किल से हो पाता था.
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घरगृहस्थी चलाने में आ रही दुश्वारियों से दोनों हमेशा परेशान रहते थे. शैली सुंदर होने के साथसाथ कुछ पढ़ीलिखी भी थी. उस ने सोचा कि बेटे को स्कूल छोड़ने के बाद वह दिन भर घर में अकेली पड़ीपड़ी बोर होती रहती है, इसलिए उसे कहीं पर दिन की नौकरी मिल जाए तो काफी कुछ दुश्वारियां कम हो जाएंगी.
उस दिन जब पंकज अपनी ड्यूटी करने के बाद घर लौटा तो शैली ने उस से अपने मन की बात कही. शैली की बात सुन कर पंकज सोच में डूब गया. उस का दिल इस बात की गवाही नहीं दे रहा था कि शैली घर की दहलीज लांघ कर कहीं नौकरी करने जाए.
लेकिन घर की परिस्थितियां इस बात की ओर इशारा कर रही थीं कि उस की तनख्वाह में घर बड़ी मुश्किलों से चलता है. कई बार मुश्किलें आने पर उसे अपनी जानपहचान वालों से रुपए उधार मांगने पड़ते हैं, जिन्हें बाद में चुकाना भी काफी कठिन हो जाता है.
अगले भाग में पढ़ें: शैली की नौकरी करने से पंकज को क्यों ऐतराज था ?