निस्संदेह बिहार पिछड़ा हुआ राज्य है. संभवत: इसी वजह से बिहार में अपराध भी ज्यादा होते हैं. आश्चर्य की बात यह है कि सुशासन बाबू यानी नीतीश कुमार भी न तो बिहार की पुरानी छवि को सुधार पाए और न ही गरीबी की दर कम हुई. यह अलग बात है कि बिहार के ही कुछ लोगों ने बाहर जा कर अपनी मेहनत और लगन से अपनी और अपने परिवार की न केवल स्थिति सुधारी बल्कि अपना और बिहार का नाम भी रोशन किया.

लेकिन चंद लोगों की बात कर के हम हकीकत से मुंह नहीं मोड़ सकते. हकीकत यह है कि बिहार में अपराध कम होने के बजाय बढ़े ही हैं. अभी 31 दिसंबर को बिहार की एटीएस की टीम ने माधव दास नाम के एक ऐसे डकैत को पकड़ा है, जिस ने तमाम डकैतियों को ही अंजाम नहीं दिया बल्कि अनेक हत्याएं भी की थीं.

माधव दास को पकड़ने के लिए बिहार एटीएस के जवान कुछ दिनों से झारखंड के धनबाद में रंधीर वर्मा चौक के पास किराए के मकान में रह रहे थे. वहां रह कर उन्होंने कई दिनों तक माधव दास डकैत पर नजर रखी. फिर योजनानुसार 31 सितंबर, 2018 को सिटी सेंटर के पीछे वाले एक मकान पर चुपचाप धावा बोल दिया.

इस मकान में अमरेंद्र कुमार उर्फ माधव दास किराए पर रह रहा था. एटीएस की टीम ने माधव दास के कमरे को चारों ओर से घेर लिया. स्थिति ऐसी बन गई कि वह भागना भी चाहता तो नहीं भाग सकता था.

जब पुलिस उस मकान में पहुंची, तब मकान में माधव दास के साथ 2 महिलाएं और एक व्यक्ति पुलिस के हत्थे चढ़ गए. उस शख्स का नाम उपेंद्र दास था, जो माधव का बहनोई था.

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