कहते हैं कि बाल हट से बड़ा कोई हट नहीं होता. नन्हामुन्ना बच्चा अगर कोई जिद कर ले तो उसे समझाना अच्छेअच्छे उस्ताद के लिए भारी पड़ जाता है. ऐसे में आवश्यकता पड़ती है समझदारी की, होशियारी की और अनुभव की. अगर थोड़ी भी गलती हुई तो बाल हट को ले कर कुछ ऐसे घटनाक्रम सामने आ जाते हैं जो परिवार और समाज के लिए कलंक का टीका बन जाते हैं और सोचने पर मजबूर कर देते हैं.
ऐसे अनेक घटनाक्रम हमारे आसपास अकसर घटित होते रहते हैं जिन्हें हम देखते हैं और कई दफा अनदेखा कर देते हैं जो बाद में नासूर बन जाते हैं.
ऐसे ही घटनाक्रमों में से कुछ हम नीचे प्रकाशित कर रहे हैं-
पहली घटना – छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में एक किशोर अपनी मां से यह जिद करने लगा कि फलां खिलौने ले कर दीजिए. मां ने अनदेखी कर दी तो बच्चे ने घर में आग लगा दी. मुश्किल से परिवारजनों की जान बच पाई.
दूसरी घटना – छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में 10 वर्ष के एक बालक ने पिता से वाहन मांगा, कहा खरीद कर दीजिए. जब पिता ने नहीं खरीदा तो बालक ने घर में रखा हुआ डिटौल पी लिया. बालक को बहुत मुश्किल से बचाया जा सका.
आप को हम अब बताते हैं हाल ही में मध्य प्रदेश की संस्कारधानी के जाने वाले जबलपुर का घटनाक्रम- जबलपुर में एक छात्रा रंजना (बदला नाम) की मौत का मामला सामने आया है. रंजना 5वीं क्लास में पढ़ती थी. परिजनों के मुताबिक, वह घूमने जाना चाहती थी लेकिन उस की मां ने जाने के लिए मना कर दिया था. इस बात से गुस्से में आ कर रंजना फांसी के फंदे से लटक गई. फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है और जो जानकारियां सामने आ रही हैं वे चिंताजनक हैं.
दरअसल, घटना जबलपुर के धनवंतरी नगर थाना इलाके के जसूजा सिटी की है. रंजना की उम्र सिर्फ 10 साल थी. वह 5वीं क्लास में पढ़ रही थी. छात्रा अपने मातापिता की इकलौती संतान थी. एक दिन रंजना ने अपनी मां से भेड़ाघाट घूमने के लिए मनुहार की थी लेकिन मां ने उसे मना कर दिया था.
रंजना की मां उसे पढ़ाई और होमवर्क करने के लिए समझाने लगी. पुलिस ने बताया, वह घूमने की जिद पर अड़ी हुई थी लेकिन मां इस के लिए राजी नहीं हुई. इस बात से गुस्साई रंजना घर के ऊपर वाले कमरे में चली गई. वहां जा कर उस ने दरवाजे पर लगे परदे का फंदा बना कर अपनी इहलीला समाप्त कर ली.
जांच अधिकारी ने हमारे संवाददाता को बताया, मृतक छात्रा रंजना धनवंतरी नगर के जसूजा सिटी में रहने वाले भलावी परिवार की इकलौती बेटी थी. वह लिटिल वर्ल्ड स्कूल में कक्षा 5वीं की छात्रा थी. पुलिस ने पोस्टमार्टम करा कर शव को परिजन को सौंप दिया है. पुलिस ने बताया कि, वह मां से भेड़ाघाट घुमाने को ले कर जाने के लिए बोल रही थी. मां ने मना कर दिया. जिद करने पर मां ने डांट लगा दी. इस के बाद बच्ची ने खुदकुशी कर ली.
कुछ देर बाद जब मां ने ऊपर कमरे में जा कर देखा तो वहां का मंजर देख उस के होश उड़ गए. मां ने देखा कि बेटी फांसी के फंदे से लटकी है, जिसे देख मां चीखनेचिल्लाने लगी. महिला की चीखपुकार सुन कर वहां लोग आ पहुंचे. लोगों ने पुलिस को कौल कर मामले की जानकारी दी.
परिवारवालों का रोरो कर बुरा हाल हो गया. छोटी सी गलती और इतना बड़ा खमियाजा परिवार को भुगतना पड़ा. रंजना की मां ने अगर समझदारी से काम लिया होता तो शायद यह घटना घटित न होती.
शिक्षाविद और प्राचार्य डाक्टर संजय गुप्ता के मुताबिक अगर ऐसे हालात हैं कि बच्चे जिद्दी हैं तो मांबाप को बड़े ही मनोवैज्ञानिक तरीके से बच्चों को समझाना चाहिए. सब से पहले तो बच्चों के मनोभाव को समझना और पढ़ना मांबाप के लिए आवश्यक है.
डाक्टर जी आर पंजवानी के मुताबिक, समाज में ऐसी घटनाएं अकसर घट जाती हैं. इस के लिए मांबाप, परिजनों को दोषी नहीं ठहराया जा सकता. मगर, परिजनों को यह समझना होगा कि किस बच्चे का क्या स्वभाव है. अगर बच्चा उद्दंड, जिद्दी है तो उसे बड़े ही प्यार से स्नेह से समझाना जरूरी होता है. यह उम्र ऐसी होती है जब बच्चा कोई भी खतरनाक कदम उठा सकता है. मांबाप का कर्तव्य है कि वे बच्चों के स्वभाव को समझें.