डा. शफातउल्लाह खान मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग में डिप्टी डायरेक्टर के पद पर कार्य करता था. अपनी पत्नी आयशा और 2 बेटियों के साथ जबलपुर शहर के भंवरताल गार्डन के पास स्थित कृतिका अपार्टमेंट में रहता था. अपने पद व रुतबे के कारण पूरे अपार्टमेंट में उसे सब सम्मान देते थे. डा. शफातउल्लाह खान ने सन 1991 में जबलपुर की ही आशा श्रीवास नाम की लड़की से प्रेमविवाह किया था और शादी के बाद उस ने उस का नाम आयशा खान रख दिया था.

इतने ऊंचे और प्रतिष्ठा के पद पर नौकरी करने वाले डा. खान की एक कमजोरी यह थी कि वह अय्याश प्रवृत्ति का था. रंगीनमिजाजी के लिए पूरे विभाग में उस की पहचान थी और तो और विभाग में अपने मातहत काम करने वाली महिला कर्मचारियों को भी अपने जाल में फांस कर अपनी हसरतें पूरी कर लेता था.

वह धीरेधीरे 2 बेटियों का पिता बन गया, इस के बावजूद भी  वह नहीं सुधरा. आयशा को भी पति के किस्से सुनने को मिलते रहते थे. आयशा ने पति को कई बार समझाया कि अब तो उन्हें अपनी इस तरह की आदतें छोड़ देनी चाहिए. लेकिन डा. शफातउल्लाह खान पत्नी की बातें एक कान से सुन कर दूसरे से निकाल देता.

यदि आयशा उस से बहस करती तो वह उस पर ही चरित्रहीनता का आरोप लगाते हुए उस की पिटाई कर देता था. कोई भी औरत नहीं चाहती कि उस का प्यार किसी दूसरी महिला के साथ बंटे. पर आयशा मजबूर थी. वह पति के डर की वजह से यह सब न चाहते हुए भी सहन कर रही थी.

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