गरीब, मजदूर और रिकशा खींच कर पेट पालने वालों से ले कर देश के अरबखरबपति भी जब तक दिन में दोचार बार अंधविश्वासों और पाखंडों का पालन न कर लें तब तक उन का खाना हजम नहीं होता. देश की सब से रईस महिला नीता अंबानी के अंधविश्वास उन की तरह ही हाईप्रोफाइल होते हैं जिन्हें देख उन पर तरस ही आता है. आईपीएल में अपनी टीम मुंबई इंडियन की जीत के बाद अंबानी परिवार के एक फैमिली पंडित चंद्रशेखर शर्मा ने खुलासा किया कि उन की यजमान की टीम बेहतर खेल से नहीं, बल्कि चंडी पूजा नाम के एक पाखंड के चलते जीती थी.

कोई चंडी पूजा के माहात्म्य पर शक न करे, इसलिए नीता ट्रौफी ले कर मुंबई के सिद्धि विनायक मंदिर भी गईं और राधाकृष्ण मंदिर में तो उन्होंने मूर्तियों के साथसाथ ट्रौफी को भी पुजवा डाला. कइयों की आदर्श नीता इस ड्रामे से यही साबित करना चाह रही थीं कि सफलता मेहनत और लगन से नहीं, बल्कि तरहतरह के ढोंगधतूरों से मिलती है.

अय्यर की ऊंच-नीच

वरिष्ठ कांग्रेसी नेता मणिशंकर अय्यर बोलने के मामले में भाजपा या दूसरी पार्टी के नेताओं से उन्नीस नहीं हैं. चुनावप्रचार के दौरान एक बार फिर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नीच कहा तो बरबस ही वैदिक युग याद हो आया जिस में ऊंची जाति वालों को श्रेष्ठ और नीची जाति वालों को नीच कहा जाता था. लोकतंत्र में भी यह सामाजिक वर्गीकरण बरकरार है.

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2019 का लोकसभा चुनाव इस बात के लिए ज्यादा याद किया जाएगा कि इस के प्रचार के दौरान मुद्दे की बातें कम हुईं और लगभग तमाम नेता होली का त्योहार सा मनाते एकदूसरे पर कीचड़ उछालते लोकतंत्र का यह महापर्व मनाते रहे, जिस की शुरुआत भाजपा की तरफ से ही हुई थी. समाज सभ्य और शिक्षित हो गया है, ऐसा कहने की कोई वजह नहीं, लेकिन यह आभास जरूर हो गया कि हम विश्वगुरु बनने के मार्ग पर अग्रसर हैं.

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