उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर की बात है. एक बिजनैसमैन के बेटे अनूप की शादी तय हो रही थी. परिवार ने लड़की की जातिबिरादरी और दहेज में क्याक्या मिलेगा, इस सब की छानबीन कर ली थी. लड़का डाक्टर था. जहां वह नौकरी कर रहा था वहीं काम कर रही एक नर्स सरला से उस का प्रेमसंबंध चल रहा था. सरला और अनूप ने शादी करने का मन बना रखा था.
घर वालों के दबाव में आ कर अनूप ने उन की पसंद की लड़की ज्योति से शादी की बात मान ली थी. ज्योति गोरखपुर की रहने वाली थी, इसलिए शादी के लिए वह परिवार सहित कानपुर ही आ गई थी. जिस दिन अनूप और ज्योति की शादी होने वाली थी उसी दिन अनूप की प्रेमिका सरला भी वहां आ गई और पंडाल पर पहुंच कर हंगामा करने लगी. यह देख कर ज्योति और उस के घर वालों ने शादी करने से इनकार कर दिया. तब अनूप को शादी सरला के साथ ही करनी पड़ी. अनूप के घर वालों ने सरला से उस की जाति के बारे में कोई सवाल भी नहीं किया.
प्रदेश की नौकरशाही और राजनीति में दखल रखने वाले लोगों को ही लें, तो लगेगा कि दूसरी शादी में जाति का सवाल नहीं उठता है. एक बड़े अफसर हैं, उन की शादी जब पढ़ रहे थे तब उन की ही जाति की एक लड़की के साथ हुई थी. उस समय उन की आयु 20 और पत्नी की
18 साल रही होगी. पति तो पढ़लिख कर आगे बढ़ता गया, लेकिन पत्नी घरेलू कामकाज और बच्चों में फंस गई. दोनों के रहनसहन में भी बदलाव आ गया. पत्नी अब पति के मुकाबले कहीं ठहर नहीं पा रही थी.