समाज में बुजुर्गों की संख्या बढ़ रही है. भारत में लगभग 13.8 करोड़ बुजुर्ग रहते हैं जो कुल आबादी का लगभग 10 प्रतिशत है. संख्या के साथ ही साथ बुजुर्गों की परेशानियां बढ़ रही हैं. हैल्पऐज इंडिया ने बुजुर्गों की परेशानियों को ले कर भारत के 22 शहरों में बड़े पैमाने पर विभिन्न सामाजिक एवं आर्थिक श्रेणियों में रहने वाले 4,399 बुजुर्गों और उन की देखभाल करने वाले 2,200 युवाओं पर एक सर्वे किया. हैल्पऐज इंडिया ने विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस के अवसर पर इस सर्वे को सार्वजनिक किया है. इस रिपोर्ट का नाम ‘ब्रिज द गैप’ रखा गया. इस के जरिए बुजुर्गों की आवश्यकताओं को सम झने की कोशिश की गई है.
पिछले 2 वर्षों से हैल्पऐज ने बुजुर्गों पर कोरोना महामारी के प्रभाव पर शोध किया. इस रिपोर्ट में न केवल अस्तित्व संबंधी मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया बल्कि जो बुजुर्ग दिनप्रतिदिन के आधार पर सहते हैं उन के संपूर्ण अनुभव को सम झने का प्रयास भी किया गया. हैल्पऐज इंडिया के सीईओ रोहित प्रसाद कहते हैं, ‘‘इस साल जो थीम रखी है वह है ‘ब्रिज द गैप’. बुजुर्ग दुर्व्यवहार को सम झने के साथसाथ बुजुर्गों की सुरक्षा व उन की सामाजिक एवं डिजिटल जानकारी के महत्त्व को भी उस में शामिल किया गया है.’’
बुढ़ापे में भी काम करना चाहते हैं बुजुर्ग
‘ब्रिज द गैप’ सर्वे में पता चलता है कि 47 फीसदी बुजुर्ग आय के लिए परिवार पर निर्भर हैं. 34 फीसदी पैंशन एवं नकद हस्तांतरण पर निर्भर हैं. हैल्पऐज इंडिया के निदेशक ए के सिंह ने उप्र की सर्वे रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्षों पर चर्चा करते हुए बताया कि 63 फीसदी बुजुर्गों ने बताया कि उन की जो आय है वह पूरी नहीं है. इसी दौरान 35 फीसदी बुजुर्गों ने कहा कि वे आर्थिक रूप से सुरक्षित महसूस नहीं करते. इस का हवाला देते हुए कि उन के ‘बचत/आय से अधिक खर्च हैं’. 37 फीसदी बुजुर्गों को अपनी पैंशन पर्याप्त नहीं लगती है. इस के लिए बुजुर्ग बुढ़ापे में भी काम करना चाहते हैं.
हैल्पऐज इंडिया के निदेशक ए के सिंह कहते हैं, ‘‘इन हालात को देखते हुए यह पता चलता है कि बुजुर्गों की आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा दोनों तरह की सुरक्षा पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है. जिन के पास कोई आय का कोई पर्याप्त साधन या पैंशन नहीं है उन को हर माह 3,000 रुपए की पैंशन मिलनी चाहिए.
यह कटु सत्य है कि 82 फीसदी बुजुर्ग काम नहीं कर रहे हैं. 52 फीसदी बुजुर्ग काम करने को तैयार हैं और उन में से
29 फीसदी जितना हो सके, काम करना चाहते हैं. 76 फीसदी बुजुर्गों को लगता है कि उन के लिए ‘पर्याप्त और सुलभ रोजगार के अवसर’ उपलब्ध नहीं हैं. लगभग 32 फीसदी बुजुर्ग खाली समय का सदुपयोग करने के लिए स्वयंसेवा करने और समाज में योगदान देने के इच्छुक हैं. वे ‘वर्क फ्रौम होम’ को बेहतर मानते हैं. 28 फीसदी ने कहा कि काम करने वाले बुजुर्गों को अधिक सम्मान मिले. 33 फीसदी ने कहा कि सेवानिवृत्ति की आयु में वृद्धि की जाए.
घर वालों के साथ समझते हैं सुरक्षित
बुजुर्गों ने यह माना कि वे परिवार के साथ ही सुरक्षित महसूस करते हैं. 85 फीसदी बुजुर्गों ने कहा कि उन के परिवार उन के खानपान का उत्तम ध्यान रखते हैं और अच्छा खाना देते हैं.
41 फीसदी का कहना है कि उन का परिवार उन की चिकित्सकीय खर्च का खयाल रखता है. सर्वे में एक अच्छी बात यह है कि 87 फीसदी बुजुर्गों ने कहा कि आसपास स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हैं. 85 फीसदी बुजुर्गों ने कहा कि ऐप आधारित औनलाइन स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं थीं.
85 फीसदी के पास कोई स्वास्थ्य बीमा नहीं है. केवल 8 फीसदी सरकारी बीमा योजनाओं के अंतर्गत आते हैं. 52 फीसदी बुजुर्गों ने बेहतर स्वास्थ्य बीमा और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के माध्यम से अपने बेहतर स्वास्थ्य की आकांक्षा व्यक्त की है. 69 फीसदी यह बताते हैं कि घर से अधिक सहयोग होना चाहिए जिस से कि बुजुर्गों का जीवन कट सके.
बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार
अधिकांश भारतीय परिवारों में बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार एक संवेदनशील मसला है. ‘ब्रिज द गैप’ सर्वे में पता चलता है कि बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार होता है. 50 फीसदी बुजुर्गों को लगता है कि समाज में बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार होता है. दुर्व्यवहार को दो तरह से देखा जाता है. 41 फीसदी बुजुर्गों को लगता है कि उन के साथ अनादर हो रहा है.
23 फीसदी को लगता है कि उन की उपेक्षा की जाती है. 25 फीसदी कहते हैं कि उन के साथ शारीरिक गालीगलौज, पिटाई और थप्पड़ भी होती है. 8 फीसदी बुजुर्गों ने दुर्व्यवहार के लिए 53 फीसदी रिश्तेदारों, 20 फीसदी संतानों 26 फीसदी ने बहू को जिम्मेदार माना.
दुर्व्यवहार के कारणों पर चर्चा करते हुए बुजुर्गों ने बताया कि अनादर
33 फीसदी, मौखिक दुर्व्यवहार 67 फीसदी, उपेक्षा 33 फीसदी, आर्थिक शोषण 13 फीसदी होता है. एक भयावह यह कि 13 फीसदी बुजुर्गों ने पिटाई और थप्पड़ के रूप में शारीरिक शोषण के बारे में भी बताया. दुर्व्यवहार सहने वालों में से 40 फीसदी बुजुर्गों ने कहा कि उन्होंने दुर्व्यवहार का सामना करने की प्रतिक्रिया के रूप में ‘परिवार से बात करना बंद कर दिया’.
परिवार होता है खास
परिवार महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है. दुर्व्यवहार की रोकथाम के संबंध में 41 फीसदी बुजुर्गों ने कहा कि ‘परिवार के सदस्यों को परामर्श’ की आवश्यकता है, जबकि
49 फीसदी बुजुर्गों ने कहा कि दुर्व्यवहार से निबटने के लिए सरकार को सामाजिक समस्या व्यवस्था पर जोर देने के बारे में सोचने की जरूरत है. 46 फीसदी बुजुर्गों को किसी भी दुर्व्यवहार नियंत्रण के बारे में पता नहीं है. केवल 5 फीसदी बुजुर्गों को मातापिता और वरिष्ठ नागरिकों को भरणपोषण और कल्याण अधिनियम 2007 के बारे में जानकारी है.
77 फीसदी बुजुर्गों के पास स्मार्टफोन नहीं है. जरूरत इस बात की है कि बुजुर्गों को स्मार्टफोन का प्रयोग करना सीखना चाहिए. इस से उन की तमाम परेशानियां हल हो सकती हैं. इस का उपयोग
42 फीसदी कौलिंग के लिए, 19 फीसदी सोशल मीडिया के लिए और 17 फीसदी बैंकिंग के लिए करते हैं. 34 फीसदी बुजुर्ग चाहते हैं कि वे स्मार्टफोन चलाना सीख लें. बुजुर्गों की हालत देख कर लगता है कि समाज और सरकार दोनों को मिलजुल कर काम करना चाहिए, जिस से बुजुर्गों का जीवन आराम से कट सके.