जर्दा, पर्दा और गर्दा की अपनी पहचान खोता जा रहा भोपाल इन दिनों कुत्तों के आतंक के लिए सुर्ख़ियों में है. 16 जनवरी को एकदो नहीं बल्कि 45 लोगों को कुत्तों ने काट लिया. इस के 7 दिनों पहले ही कारोबारी इलाके एमपी नगर में महज डेढ़ घंटे में 21 लोगों को कुत्तों ने काटा था. छिटपुट घटनाओं की तो गिनती ही नहीं. लेकिन दहशत उस वक्त भी फैली थी जब अयोध्या इलाके में रहने वाले एक मजदूर परिवार के 7 महीने के मासूम को कुत्तों के झुंड ने घसीट कर काटकाट कर मार डाला था. उस बच्चे का एक हाथ ही कुत्तों ने चबा डाला था.

हर शहर की तरह भोपाल भी कुत्तों से अटा पड़ा है. कुत्तों की सही तादाद का आंकड़ा नगर निगम के पास भी नहीं लेकिन पालतू कुत्तों की संख्या केवल 500 है. इतने ही लोगों ने अपने पेट्स का रजिस्ट्रेशन कराया है वरना तो पालतू कुत्तों की तादाद 10 हजार से भी ज्यादा है. लेकिन नई समस्या पालतू या आवारा कुत्तों की संख्या से ज्यादा उन का आतंक है जिस का किसी के पास कोई हल या इलाज नहीं.

इलाज तो कुत्तों के काटे का भी सभी को नहीं मिल पाता क्योंकि डौग बाइट्स के बढ़ते मामलों के मद्देनजर अस्पतालों में एंटी रेबीज इंजैक्शनों का टोटा पड़ने लगा है. 10 जनवरी को कुत्ते के काटने के बाद जब 45 लोग एकएक कर जयप्रकाश अस्पताल पहुंचे थे तब कुछ को ही ये इंजैक्शन मयस्सर हो पाए थे.

कुत्तों का आतंक हालांकि पूरे देश और दुनिया में है लेकिन भोपाल के हादसों ने सभी का ध्यान अपनी तरफ खींचा है सिवा सरकार और नगर निगम के, जिन का तर्क यह है कि हम कुत्तों पर कोई कार्रवाई करें तो झट से डौगलवर्स आड़े आ जाते हैं. इन में भी युवतियों की तादाद खासी है. जैसे, नगर निगम अमला आवारा कुत्तों के खिलाफ कोई ऐक्शन लेता है तो ये पेटलवर्स जाने कहां से टपक पड़ते हैं. बीती 14 जनवरी को जब नगर निगम की टीम आवारा कुत्तों को पकड़ने पिपलानी इलाके पहुंची तो एक डौगलवर युवती उस से भिड़ गई और झूमाझटकी भी की. नगर निगम ने इस युवती के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी. जान कर हैरानी होती है कि भोपाल में कोई 7 डौगलवर्स के खिलाफ अब तक नगर निगम अमला एफआईआर दर्ज करा चुका है.

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