Bengaluru water crisis: कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में भारी जल संकट खड़ा हो गया है. बेंगलुरु भारत का तीसरा सब से बड़ा नगर और पांचवा सब से बड़ा महानगर है जहां की आबादी लगभग 1 करोड़ है. बड़ीबड़ी इमारतों, पोश कालोनियों और चमचमाते सड़कों वाले बेंगलुरु के बोरवेल सूख गए हैं, बोरवेल मतलब जमीन से निकलने वाला पानी.

कुछकुछ इलाकों में तो लोगों को नहाने व कपड़े धोने की दिक्कत छोड़ो, पीने के पानी तक की किल्लत हो रही है. आलम यह है कि पीआर नगर (पांडुरंगा नगर), वाइटफील्ड, मराठाहल्ली, बलेंदुर जैसे पोश एरिया तक इस की चपेट में हैं. इन इलाकों में आरओ प्लांट पर लोग 5 रुपए दे कर 20 लीटर पानी खरीद रहे हैं. हर रोज इस प्लांट पर सुबह 7 बजे से पानी के लिए लंबी लाइन लगनी शुरू होती है, जो महज दो घंटों में बंद हो जाती है. यानी हालत ठीक वैसे ही है जैसे दिल्ली, मुंबई के झुग्गी बस्ती इलाकों में टैंकर के आगे लाइन लगने पर होती है.

और अगर इन इलाकों में सुबह 9 बजे तक पानी नहीं खरीदा गया तो पूरा दिन प्यासा रहना पड़ सकता है. हालत यह है कि लोगों की पानी की जरूरत पूरी करने के लिए बेंगलुरु वाटर सप्लाई और सीवरेज बोर्ड को एडवाइजरी जारी करनी पड़ रही है, जिस में पानी की बर्बादी करने वालों को लंबाचौड़ा जुर्माना थमाया जा रहा है. होली के दिन 26 मार्च को 22 परिवारों पर लगभग 1.1 लाख का जुर्माना लगाया भी गया.

हालांकि इस हालात को भारत की हर कच्ची झुग्गी बस्तियों में रहने वाले गरीब लोग आसानी से समझ सकते हैं पर मामला यहां अमीरों की कालोनी का आ बना है जो महंगे 3-4 बीएचके अपार्टमेंट्स, काली चमचमाती सड़कों, सुविधाओं से लेश जगहों में रहते हैं. मगर सवाल यह कि देश की इतनी हाईटेक सिटी जो हर मायने में एडवांस कही जा सकती है वहां पानी जैसी मूलभूत जरूरत के लिए लोगों को क्यों जूझना पड़ रहा है?

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