Anant Ambani Wedding: उद्योगपति मुकेश अंबानी और नीता अंबानी के छोटे बेटे अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट के प्री-वेडिंग फंक्शन का आयोजन जामनगर में चल रहा है. 1 मार्च से 3 मार्च तक चलने वाले इस ग्रैंड फंक्शन में शामिल होने के लिए देश से ही नहीं बल्कि अनेक विदेश से भी अनेक सितारे पहुंच चुके हैं.

पूरा जामनगर शहर देसी और विदेशी सितारों की चमक से दमक रहा है. शादी के इस फंक्शन में शाहरुख खान, अमिताभ बच्चन, जाह्नवी कपूर, दिशा पटानी, सचिन तेंदुलकर जैसी अनेक हस्तियों सहित इंटरनेशनल हस्तियां – माइक्रोसौफ्ट फाउंडर बिल गेट्स, ब्लैक रौक के सीईओ लैरी फिंक, फेसबुक मेटा सीईओ मार्क जुकरबर्ग, डिज्नी सीईओ बौब आइगर, हौलीवुड सिंगर रिहाना शामिल हुई हैं.

आमतौर पर भारतीय शादियों के फंक्शन शादी की तय तारीख से कई दिन पहले से शुरू हो कर शादी के बाद भी कई दिन तक चलते रहते हैं. फिर यहां तो शादी देश के सब से बड़े उद्योगपति के बेटे की है. यह फंक्शन तो तीन चार महीने चलना ही है. अनंत अम्बानी की शादी में पहले प्री वेडिंग फंक्शन एक मार्च शुरू होगा और उन की शादी जुलाई में होगी.

भारतीय शादियां काफी धूमधड़ाके वाली होती हैं. दूरदूर के रिश्तेदारों और दोस्तों को ढूढ़ढूढ़ कर बुलाया जाता है. मेहमानों का जमघट लगता है. कई कई दिन तक घरों में रौनक लगी रहती है, नाच गाना चलता है. रात रात भर विवाह की रस्में होती हैं. खूब पैसा खर्च किया जाता है. पंडितों पुरोहितों पर भी खूब चढ़ावा चढ़ाया जाता है ताकि शादी नाम की संस्था को मजबूती मिल सके.

शादी संस्था पूरी दुनिया में कायम है. भारत में शादी के बाद जल्दी से जल्दी लोग बच्चे पैदा करने लगते हैं. दुनिया के अनेक देशों में ऐसा ही होता आया है. हालांकि अनेक पाश्चात्य देशों में शादी के बिना भी औरतें बच्चे पैदा करने लगीं और उन के देश-समाज द्वारा उन्हें स्वीकृति भी मिल गई. बहुतेरी ऐसी विदेशी महिलाएं हैं जिन्होंने बच्चे तो पैदा किए मगर अपने पार्टनर से शादी नहीं की. वे शादी के बंधन से आजाद खुशीखुशी अपने बच्चों के साथ रह रही हैं. ये सोच अब धीरेधीरे दुनिया के अन्य देशों में फैल रही है और भारत भी इस से अछूता नहीं है.

आजाद रहने की इस इस सोच के चलते एशिया के अनेक देशों में शादी नामक संस्था की नींव तो कमजोर हो ही चुकी है, बच्चा पैदा करने की मजबूरी से भी औरतों ने खुद को आजाद कर लिया है. दरअसल अब पढ़ीलिखी और उच्च पदों पर बैठी महिलाएं घरगृहस्थी की जिम्मेदारियों में खुद को फंसाना नहीं चाहतीं हैं.

मल्टीनेशनल कंपनियों में काम करने वाली लड़कियों के आगे पैसा कमाने के बहुत अच्छे औफर होते हैं, विदेश जाने और दुनिया के देशों में एक्स्प्लोर करने के सुंदर सपने उन की आंखों में होते हैं, तो ऐसे में वे शादी कर के और बच्चे पैदा कर के अपनी आजादी और सपनों को खोना नहीं चाहती हैं.

महिलाओं की सोच में आए बदलाव के चलते कई देश हैं जो अपनी घटती जनसंख्या से परेशान हैं क्योंकि उन की औरतें बच्चा पैदा नहीं करना चाहती हैं. सिंगापुर अपनी घटती जनसंख्या से परेशान है. सिंगापुर की सरकार ने खुलासा किया है कि उन के देश में कुल प्रजनन दर एक प्रतिशत से भी कम होकर 0.97 प्रतिशत हो गई है. यह सिंगापुर के इतिहास में सब से निचले स्तर पर है. कुल प्रजनन दर, बच्चों की वह औसत संख्या है, जो एक महिला अपने प्रजनन काल के दौरान पैदा करती है.

साल दर साल आ रही गिरावट

सिंगापुर के प्रधानमंत्री कार्यालय की मंत्री इंद्रानी राजाह ने सिंगापुर की पार्लियामेंट को यह जानकारी दी है कि सिंगापुर में जन्म दर औसत 2.1 प्रतिशत से कम हो गई है. इन आंकड़ों के साथ ही सिंगापुर उन देशों में शामिल हो गया है, जिन में जनसंख्या खतरनाक स्तर पर कम हो रही है. अभी दक्षिण कोरिया में प्रजनन दर दुनिया में सब से कम यानी 0.72 प्रतिशत है. सिंगापुर में साल 2021 में प्रजनन दर 1.12 प्रतिशत थी, जो कि 2022 में कम हो कर 1.04 प्रतिशत हो गई और 2023 में ये आंकड़ा गिर कर 0.97 प्रतिशत हो गया है.

बूढ़ी हो रही है सिंगापुर की जनसंख्या

सिंगापुर में साल 2023 में 26,500 शादियां हुईं और 30,500 बच्चे पैदा हुए. सिंगापुर इन दिनों जनसंख्या के मोर्चे पर दोहरे संकट से जूझ रहा है. जहां एक तरफ सिंगापुर में जन्म दर और प्रजनन दर तेजी से नीचे गिर रही है और ज्यादा बच्चे पैदा नहीं हो रहे, वहीं दूसरी तरफ सिंगापुर की आबादी बूढ़ी हो रही है. ऐसा ही रहा तो आने वाले कुछ वर्षों बाद सिंगापुर में काम करने वाले लोगों की कमी हो जाएगी, जिस का असर सिंगापुर की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा.

इन वजहों से कम हो रही जनसंख्या

सिंगापुर में जनसंख्या कम होने की कई वजहें हैं. कोरोना के दौरान तलाक की संख्या में बढ़ोतरी, बच्चों के पालन-पोषण में होने वाले खर्च में बढ़ोतरी, महिलाओं पर बच्चों की परवरिश का दबाव, काम और परिवार के बीच असंतुलन प्रमुख वजहें हैं. सिंगापुर में परिवार छोटे हो रहे हैं और अधिकतर दम्पत्तियों पर दोहरी मार पड़ रही हैं, एक तरफ जहां उन्हें बच्चों के पालन पोषण पर ध्यान देना पड़ रहा है, वहीं उन्हें अपने बुजुर्ग मातापिता का भी ख्याल रखना पड़ रहा है.

ऐसे में काम और परिवार के बीच संतुलन बनाना चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है. गिरती जनसंख्या से सिंगापुर की जनसांख्यिकी में बदलाव आएंगे और साथ ही अर्थव्यवस्था में भी गिरावट आने की आशंका है. हालांकि वहां की सरकार लोगों को बच्चे पैदा करने के लिए प्रेरित कर रही है और इस के लिए कई तरह की सुविधाएं भी दी जा रही हैं, लेकिन सरकार की कोशिशों का कोई सकारात्मक असर होता नहीं दिख रहा है.

एशिया के 3 और देश इन दिनों जन्मदर में रिकौर्ड गिरावट का सामना कर रहे हैं. इन देशों में दुनिया की सब से अधिक आबादी वाला चीन, तकनीक के महारथी जापान और दक्षिण कोरिया शामिल है. चीन, दक्षिण कोरिया और जापान में लोग शादी करने और बच्चे पैदा करने से दूर भाग रहे हैं. इन तीनों देशों की सरकारें बच्चों को जन्म देने के लिए तरहतरह के औफर दे रही हैं. होने वाले मातापिता को सब्सिडी और पैसे दिए जा रहे हैं बावजूद इस के औरतें बच्चे पैदा करने को तैयार नहीं हैं.

विशेषज्ञों का कहना है कि जीवन यापन और बच्चों की शिक्षा की उच्च लागत, स्थिर वेतन, विवाह और बच्चों की देखभाल के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण इस के लिए जिम्मेदार है. दक्षिण कोरिया, जो दुनिया की सब से कम प्रजनन दर से जूझ रहा है, उस ने 2023 में अपने जनसांख्यिकीय संकट को और भी बदतर होते देखा है. इस के बावजूद यह देश अपने नागरिकों को बच्चे पैदा करने के लिए सैकड़ों अरब डौलर का प्रोत्साहन दे रहा है. लेकिन, दक्षिण कोरिया अकेला नहीं है. चीन और जापान सहित कई एशियाई सरकारों ने अपने नागरिकों को अधिक बच्चे पैदा करने के लिए मनाने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन उन को असफलता ही हाथ लग रही है.

चीन में जन्म दर में कमी

2023 में चीन की जनसंख्या में लगातार दूसरे वर्ष गिरावट आई है. रिकौर्ड कम जन्म दर और सख्त लौकडाउन खत्म होने पर कोविड महामारी से हुई मौतों की लहर ने मंदी को तेज कर दिया. इस का चीनी अर्थव्यवस्था की विकास क्षमता पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ने की आशंका है.

चीन के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो ने कहा है कि 2023 में चीन में लोगों की कुल संख्या 2.08 मिलियन या 0.15 प्रतिशत घट कर 1.409 बिलियन हो गई है, यह 2022 में 850,000 की जनसंख्या गिरावट से काफी ऊपर थी, जो 1961 में माओत्से तुंग युग के महान अकाल के बाद पहली बार हुई थी.

एससीएमपी के अनुसार, रहने और शिक्षा की उच्च लागत चीनी मातापिता को अधिक बच्चे पैदा करने से रोक रही है. इस के बावजूद मातापिता को नकद पुरस्कार और घरों पर सब्सिडी सहित कई प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं.

हांग्जो सरकार नए मातापिता को तीसरा बच्चा पैदा करने पर 2,800 डौलर दे रही है. दक्षिण पूर्वी चीन का वेनझोउ शहर मातापिता को प्रति बच्चे $416.70 की सब्सिडी दे रहा है. चीनी शहरों ने जोड़ों को 30 दिनों तक का सवैतनिक विवाह अवकाश लेने की अनुमति दी है. पहले यह संख्या सिर्फ 3 थी. झेजियांग प्रांत में चांगशान काउंटी ने 25 और 138 डौलर से कम उम्र की दुल्हनों को शादी के लिए प्रस्ताव दिया है. इस में कहा गया है कि वह “आयु-उपयुक्त विवाह और बच्चे पैदा करने” को बढ़ावा देने के लिए ऐसा कर रहा है.

दक्षिण कोरिया

दक्षिण कोरिया की प्रजनन दर, जो पहले से ही दुनिया में सब से कम है, 2023 में गिर कर एक नए रिकौर्ड पर पहुंच गई. एक दक्षिण कोरियाई महिला के प्रजनन जीवन के दौरान अपेक्षित शिशुओं की औसत संख्या 2022 में 0.78 से गिर कर 0.72 हो गई है.

2018 के बाद से, दक्षिण कोरिया आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) का एकमात्र सदस्य रहा है जिस की दर 1 से नीचे है. लगभग 50 मिलियन नागरिकों वाले इस देश में जन्मों की संख्या भी 7.7 प्रतिशत घट कर केवल 230,000 रह गई है. सांख्यिकी कोरिया में जनसंख्या जनगणना प्रभाग के प्रमुख लिम यंग-इल का कहना है कि नवजात शिशुओं की संख्या, जन्म दर और अपरिष्कृत जन्म दर (प्रति 1,000 लोगों पर नवजात शिशु) सभी 1970 के बाद से सब से निचले बिंदु पर हैं.

दक्षिण कोरिया में बच्चे को जन्म देने की औसत आयु 33.6 है, जो ओईसीडी में सब से अधिक है. देश ने पहले अनुमान लगाया था कि 2024 में इस की प्रजनन दर 0.68 तक गिरने की संभावना है. ऐसी स्थिति प्रवृत्ति को उलटने के प्रयास में अरबों खर्च करने के बावजूद है क्योंकि जनसंख्या लगातार चौथे वर्ष कम हो रही है.

देश ने नागरिकों को शिशुओं के मातापिता के लिए मासिक भत्ते को बढ़ाने और बंधक दरों को कम करने जैसे प्रोत्साहन की भी पेशकश की है. वर्ष 2006 से दक्षिण कोरिया ने जोड़ों के लिए नकद सब्सिडी, बच्चों की देखभाल सेवाओं और बांझपन उपचार जैसी योजनाओं पर 270 अरब डौलर से अधिक खर्च किए हैं.

जापान

दक्षिण कोरिया और चीन का पड़ोसी देश जापान भी इसी समस्या से जूझ रहा है. तेजी से बूढ़े होते जापान ने घोषणा की है कि 2023 में वहां जन्मे बच्चों की संख्या गिर कर एक नए निचले स्तर पर पहुंच गई है. आने वाले आधा दर्जन वर्षों में इस प्रवृत्ति को उलटना देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.

स्वास्थ्य और कल्याण मंत्रालय के अनुसार, 2023 में जापान में 758,631 बच्चों का जन्म हुआ, जो पिछले वर्ष की तुलना में 5.1 प्रतिशत कम है. 1899 में जापान द्वारा आंकड़े संकलित करना शुरू करने के बाद से यह जन्मों की सब से कम संख्या थी.

जापान में विवाहों की संख्या 5.9 प्रतिशत गिर कर 489,281 जोड़ों पर आ गई है, जो 90 वर्षों में पहली बार आधे मिलियन से नीचे है. इसे जन्म दर में गिरावट का प्रमुख कारण माना जा रहा है. पैतृक परंपरा पर आधारित पारिवारिक मूल्यों के कारण जापान में विवाह के बाहर जन्म दुर्लभ है.

फौरेन पौलिसी की रिपोर्ट के अनुसार, जापान ने 2023 में घोषणा की कि वह अपनी कम जन्मदर को ठीक करने के लिए 22 बिलियन डौलर खर्च करेगा. इस में 2023 की शुरुआत तक बच्चों की देखभाल पर खर्च को दोगुना करना और बाल नकद लाभ के लिए आय सीमा बढ़ाना शामिल है. लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि जीवनयापन की बढ़ती लागत, वेतन स्थिरता और लैंगिक असमानता के कारण यह काम करने की संभावना नहीं है, जो कई महिलाओं को मातृत्व और कैरियर के बीच चयन करने के लिए मजबूर करता है.

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