शादी के बाद लड़की ढेर सारे सपने लिए अपने ससुराल पहुंचती है, पर अपने ही घर में रहने के लिए उसे बहुत कुछ सहना पड़ता है.

दिल्ली के शाहदरा इलाके में वसुधा अरोड़ा अपने पति नितिन अरोड़ा के साथ अपने सासससुर के घर रहती हैं. परिवार में सासससुर, अरोड़ा दम्पति और एक देवर को मिलाकर कुल 5 लोग रहते हैं. शादी के कुछ महीने तक तो सब ठीक चला लेकिन फिर सास और बहू में वही तकरारें होने लगीं जो अकसर हर घर में होती हैं. चूंकि घर ससुर की संपति थी इसलिए झगड़े में हमेशा सास का पलड़ा ही भारी रहता था. हालांकि कई बार सास की गलती होती तो कई बार बहू की वजह से विवाद होता. जब बात बढ़ती तो सासससुर की यही धमकी होती कि घर मेरे पति का है, ज्यादा जबान लड़ाई तो दोनों को बाहर कर दूंगी.

दिल्ली जैसे शहर में एक नौकरी पेशा आदमी के लिए किराए पर घर लेना आसान नहीं है. वो भी तब जब उसकी 2-2 बेटियाँ हों. इसलिए नितिन और वसुधा अपनी गलती न होने पर भी सिर्फ इसलिए खामोश रह जाते कि उन्हें कभी भी घर से निकाला जा सकता है. एक बार झगडा इतना बढ़ा कि नौबत मारपीट तक आ गई. देवर ने भाभी और भाई पर हाथ उठा दिया. मामला पुलिस तक पहुंचा. पुलिस ने भी सासससुर का पक्ष लिया और नितिन-वसुधा  से कहा कि पिता चाहे तो अपनी औलाद को कभी भी अपनी प्रोपर्टी से अलग कर सकता है. इसलिए या तो किराए का घर खोज लो या फिर चुपचाप रहो.

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