पतिपत्नी के बीच विश्वास की डोर से बंधा प्रेम सर्वस्व समर्पण चाहता है और जब इस बंधन के बीच किसी तीसरे का पदार्पण होता है तो इस का अंत हमेशा दुखदायी होता है. सुनंदा की मौत ने एक बार फिर से समाज को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि कैसे वह पतिपत्नी के अटूट बंधन के बीच तीसरे के लिए मर्यादा रेखा खींचे. ‘पतिपत्नी और वो’ से जुड़े पहलुओं का विश्लेषण कर रहे हैं जगदीश पंवार.
17 जनवरी को केंद्रीय मंत्री शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर की मृत्यु की खबर से लोग भौचक रह गए. इस खबर ने भारत और पाकिस्तान दोनों देशों में हलचल मचा दी. सुनंदा दिल्ली के होटल लीला में संदिग्ध अवस्था में मृत पाई गई थीं. चर्चा गरम थी कि सुनंदा और शशि थरूर की शादीशुदा जिंदगी में पाकिस्तान की मेहर तरार नाम की एक पत्रकार के आने से दोनों के बीच काफी तनाव हो गया था. इसी वजह से सुनंदा की मृत्यु को ले कर सवाल उठने शुरू हो गए.
मामला दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच को सौंपा गया है. एसडीएम ने परिवार के किसी भी सदस्य पर मौत को ले कर किसी तरह का संदेह नहीं जताया. शुरुआती जांच रिपोर्ट कहती है कि सुनंदा की मौत दवाओं के ओवरडोज से हुई. उन के शरीर पर चोट के निशान भी पाए गए. मौत अप्राकृतिक बताईर् गई है लेकिन सुनंदा के पुत्र शिव मेनन ने मां की मौत को ले कर किसी पर कोई आरोप नहीं लगाया. न ही परिवार के किसी अन्य सदस्य ने.
सुनंदा बीमार भी बताई गईं. उन्हें टीबी की बीमारी थी. वे डिप्रैशन में थीं. उन की दवाएं चल रही थीं.
शशि, सुनंदा और वो
सुनंदा की मौत के 2-3 दिन पहले से मीडिया में आ रही खबरें बता रही थीं कि पतिपत्नी के रिश्तों में मेहर तरार के कारण दरार आ गई. मृत्यु के 2 दिन पहले से प्रिंट और इलैक्ट्रौनिक मीडिया में सुनंदा पुष्कर के पति शशि थरूर के पाकिस्तानी पत्रकार मेहर तरार से संबंध खासी सुर्खियों में थे. थरूर और मेहर की ट्वीटर पर की गई चैटिंग्स सार्वजनिक हो चुकी थी और सुनंदा उन्हें ले कर काफी परेशान थीं.
मृत्यु वाले दिन भी तमाम अखबार और टैलीविजन चैनल दोनों पतिपत्नी के खटासभरे संबंध की खबरों से भरे थे. मेहर ट्वीटर पर शशि से अपने प्यार का इजहार कर रही थीं और खुद के कारण सुनंदा और शशि के रिश्तों में आ रहे तनाव पर भी दुख जताया था.
पाकिस्तान के अखबार में लिखे अपने लेख में मेहर ने शशि थरूर की तारीफ करते हुए यहां तक लिखा था कि उन की आवाज में जादू है. मेहर ने खुद कहा था कि वे शशि से दो बार मिल चुकी हैं. शशि थरूर और मेहर की पहली मुलाकात दुबई में तथा दूसरी भारत में हुई थी.
ऐसी तमाम बातों के चलते सुनंदा की मेहर के साथ झड़प भी हुई थी. सुनंदा ने कहा था कि उन के पति शशि थरूर का पाकिस्तानी पत्रकार के साथ अफेयर है और वे तलाक लेने की सोच रही हैं. हालांकि खबर थी कि शशि थरूर का ट्वीटर अकाउंट हैक कर लिया गया है. हैक करने के बाद उन पर मेहर तरार को गलत संदेश भी भेजे गए लेकिन बाद में सुनंदा ने कहा था कि अकाउंट हैक नहीं हुआ, उन्होंने अपने पति के ट्वीटर अकाउंट से मेहर को मैसेज भेजे थे.
मौत, विवाद और रहस्य
मौत से 2 दिन पहले सुनंदा ने मेहर पर आरोप लगाए थे कि जब वे इलाज करवाने के लिए 3 से 4 महीने बाहर गई थीं तब तरार ने उन के पति के पीछे पड़ उन की शादी तोड़ने की कोशिश की थी. सुनंदा ने यह आरोप भी लगाया था कि उन के पति के उस पत्रकार के साथ विवाहेतर संबंध हैं. इस के बावजूद सुनंदा खुश दिखने की कोशिश करती दिखाई दीं. उन्होंने कहा कि थरूर और वे दोनों खुशहाल हैं.
फिर ऐसा क्यों हुआ कि वे मरने से एक दिन पहले मंत्री पति के लोदी एस्टेट स्थित बंगले को छोड़ कर होटल लीला में आ गईं?
52 वर्षीय सुनंदा की शादी 2010 में शशि थरूर के साथ हुई थी. तब से दोनों किसी न किसी कारण चर्चा में रहते आए थे. पिछले साल आईपीएल की कोच्चि टस्कर्स टीम में सुनंदा की हिस्सेदारी विवादों में रही. कहा गया कि शशि थरूर ने 50 करोड़ रुपए में टीम की हिस्सेदारी सुनंदा को दिलाई थी. भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने शशि थरूर पर निशाना साधते हुए सुनंदा को उन की 50 करोड़ रुपए की प्रेमिका बताया था.
ट्वीटर पर दोनों ‘पतिपत्नी’ के बड़ी तादाद में प्रशंसक थे. दोनों की यह तीसरी शादी थी. थरूर की पहली शादी तिलोत्तमा मुखर्जी से हुई थी. बाद में उन्होंने कनाडा की क्रिस्टा जाइल्स से विवाह किया था.
सुनंदा कश्मीर के सोपोर जिले की रहने वाली थीं. आतंकवाद के चलते उन का परिवार जम्मू में आ गया. उन के पिता पुष्कर नाथ दत्त आर्मी में अफसर थे और उन के 2 भाइयों में एक सेना में तथा दूसरा बैंक में जौब करते हैं. सुनंदा ने श्रीनगर गवर्नमैंट कालेज से ग्रेजुएशन किया और उसी दौरान होटल मैनेजमैंट से स्नातक किए कश्मीरी पंडित संजय रैना से शादी कर ली पर वह शादी अधिक दिनों तक न चल पाई.
1989 में वे दुबई चली गईं. यहां सेल्स अधिकारी बनीं और सुजीत मेनन से दूसरी शादी कर ली. सुजीत से उन्हें बेटा शिव मेनन हुआ. दुबई में ही सुनंदा की मुलाकात शशि थरूर से हुई थी. कुछ समय बाद सुजीत मेनन की एक दुर्घटना में मृत्यु हो गई. सुनंदा की दुबई में शशि थरूर से हुई दोस्ती शादी में तबदील हो गई.
मेहर का अर्थशास्त्र
उधर, मेहर तरार पाकिस्तान के एक अच्छेखासे परिवार से ताल्लुक रखती हैं. उन्होंने वेस्ट वर्जीनिया यूनिवर्सिटी, मोरगनटाउन, अमेरिका से पत्रकारिता  में डिगरी ली और ‘डेली टाइम्स’ में सहायक संपादक बन गईं. आजकल  वे फ्रीलांस स्तंभकार हैं. मेहर की शादी लाहौर में हुई थी पर वह अधिक न चल पाई. उन का 13 साल का एक बेटा है.
दरअसल, समाज में इस तरह के रिश्ते कोई नई बात नहीं है. पतिपत्नी के रिश्ते में तीसरे की मौजूदगी की वजह से बरबादी के किस्से आम हैं. आएदिन ऐसे मामले सामने आते रहते हैं. जब से स्त्रीपुरुष बने हैं, ये रिश्ते चलते आ रहे हैं. इन रिश्तों को सरकारी, सामाजिक, धार्मिक पाबंदियां, वर्जनाएं और नियमकायदों के बावजूद रोका नहीं जा सकता.
तमाम तरह की मर्यादाओं को लांघ कर पनपे ऐसे रिश्तों को अवैध कहा जाने लगा, लेकिन ये रिश्ते हैं प्राकृतिक. स्त्री चाहे किसी और की हो, पुरुष चाहे किसी दूसरी का हो, पर आकर्षण को रोका नहीं जा सकता. यह दोनों की फितरत है. स्त्री किसी पुरुष को पाना चाहती है तो पुरुष किसी स्त्री को.
तीसरे की दखलंदाजी
स्त्रीपुरुष द्वारा ‘अपने’ के अलावा ‘तीसरे’ में प्रेम की तलाश करना आदिम प्रवृत्ति है. नयापन खोजना और भोगना मानवीय स्वभाव है, कमजोरी है. अवैध रिश्तों की पहुंच उम्र, जाति, धर्म, अमीरी, गरीबी और भूगोल जैसी तमाम सीमाओं से परे है.
विज्ञान इन रिश्तों के लिए व्यक्ति के भीतर कैमिकल को जिम्मेदार मानता है. यह किसी के अंदर कम तो किसी में अधिक मात्रा में पाया जाता है. मनोविज्ञान कहता है, स्त्रीपुरुष के बीच आकर्षण का तयशुदा कोई पैमाना नहीं है.
प्रेम में कोई संवेदनशील होता है, कोई बेहद लापरवा, कोई भावुक, कोई सिर्फ शरीर का भूखा या भूखी. प्रेम में जिम्मेदारी के भाव लुप्त होने लगे हैं. जहां दोनों के अपने बच्चे हैं वहां जिम्मेदारी देखी जा सकती है. पर बच्चे किसी तीसरे के हों तो वहां कम जिम्मेदारी होगी. समाज में खासतौर से किसी सैलिब्रिटी स्त्री या पुरुष के एक से ज्यादा संबंध चर्चित होते हैं और उन संबंधों में घातकता दिखाईर् देती है तो स्त्री को मर्दखोर और पुरुष को लेडीकिलर कहा जाने लगता है.
इन रिश्तों में धर्म का अपना अलग राग है, जिस का कोई वैज्ञानिक, तार्किक आधार नहीं है. पतिपत्नी के बीच मधुर संबंध कायम रहें, इस के लिए धर्म के दुकानदारों ने फायदे के मुताबिक फार्मूले तय कर रखे हैं. जन्मपत्री मिलाने से ले कर देवीदेवताओं की उपस्थिति का ग्रंथों से हवाला दे कर सात फेरे तक के प्रपंच रचे गए हैं. इस से पहले मंगल दोष, कालसर्प दोष, पितृदोष, नाड़ीदोष जैसे शादी के लिए अशुभ लक्षण बता कर पैसा वसूली के रास्ते निकाले गए हैं. मगर तमाम धार्मिक उपायों के बावजूद सफल शादी की कोई गारंटी नहीं.
वर्ष 2010 में केरल के उच्च ब्राह्मण शशि थरूर और कश्मीरी ब्राह्मण सुनंदा पुष्कर की शादी बाकायदा मलयालम धार्मिक रीतिरिवाजों से संपन्न हुई थी फिर ऐसी क्या कमी रह गई कि 3 साल भी दोनों के रिश्ते प्रेमपूर्वक न रह सके.
दिक्कत यह है कि प्रेम के मामले में अब गंभीरता कम रह गई है. जिम्मेदारी का एहसास घटता जा रहा है. प्रेम  अब इंस्टैंट प्रेम बनता जा रहा है. असली  प्रेम की राह कठिन है. पे्रम प्रकृति प्रदत्त है. भावनाओं की स्वाभाविक परिणति है. दिक्कत दो की खुशहाल जिंदगी में हमेशा तीसरे के आने से शुरू होती है. इसे न पुरुष बरदाश्त कर सकता है न स्त्री. खासतौर से स्त्री प्रेम में ही नहीं, सौतियाडाह में भी झुलसती है.
प्रेम की संकरी गली 
सौतन तो काठ की भी बुरी. प्रेम को बंटते देखना किसी को भी बरदाश्त नहीं. अपने प्रेम को कोई बांटना नहीं चाहता. अगर वह प्रेम छिटकता प्रतीत होता है तो मिटा देने या मिट जाने की भावना प्रबल हो उठती है.
प्रेम सर्वस्व समर्पण कर सकता है. प्रेम लुट जाना चाहता है पर बंटना नहीं. अपने प्रेम में किसी दूसरे को साझा करना बरदाश्त नहीं, प्रेम की गली को शायद इसीलिए अति संकरी बताया गया है. प्रेम समर्पण, त्याग का प्रतीक, पर्याय है, अपना सर्वस्व न्योछावर कर सकता है तो प्रतिशोध पर उतरा प्रेम सबकुछ नष्ट भी कर देता है. प्रेम जितना निर्मल, शांत होता है उतना ही क्रोधी और अशांत भी हो सकता है.
गार्हस्थ्य जीवन की सुखशांति पतिपत्नी के आपसी प्रेम में ही निहित है. पतिपत्नी के बीच तीसरे का प्रवेश रोकने और अपने प्रेम को बरकरार रखने के लिए आत्मनियंत्रण ही उपाय है. परकीया प्रेम में दिल चलायमान, चंचल होगा, इधरउधर भटकेगा तो रिश्तों में कलह, टूटन, घुटन और उजाड़ निश्चित है. पत्नी और प्रेमिका दोनों को एकसाथ साधना बड़ा मुश्किल काम है. यह दो नावों पर सवारी करने जैसा है, जिस में खतरे ही खतरे हैं.
हल नहीं है खुदकुशी
लेकिन खुद को या किसी दूसरे को मिटा देना, प्रेम की अदालत का न्याय नहीं है. आत्महत्या तो जिंदगी से भागना है. कई उदाहरण हैं जहां दो की जिंदगी में तीसरा आया तो एक हट गया और अपना अलग रास्ता बना लिया. सुनंदा का मामला अगर सच में आत्महत्या का है तो उन के पास मौत के अलावा और विकल्प थे जो उन्होंने पहले भी चुने थे. यानी एक और शादी.
क्या समाज में एक ऐसी मर्यादारेखा हो सकती है कि जिस तरह किसी दूसरे की चलअचल संपत्ति को पराया समझा जाता है, उसे पाने की कोई नहीं सोच सकता, उसी तरह चाहे स्त्री हो या पुरुष अगर वह किसी और का है तो उसे परायी संपत्ति समझा जाए और उसे कोई पाने की न सोचे? ऐसी मानसिकता उत्पन्न हो, इस के लिए हर स्तर पर प्रयास किए जाने चाहिए.

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