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संपादकीय
Romantic Story: गिरफ्त
काएक यह कदम उठा कर उस ने ठीक भी किया है या नहीं, यह वह अब तक समझ नहीं, पा रही थी, पर जो भी हो फ्लाइट का टिकट तो बुक हो ही चुका है.
भाग - 1
कुछ अनाम रिश्ते होते हैं. हर रिश्ते की नीयत जरूर होती है, जैसे शोभा और सुशांत के रिश्ते की थी. लेकिन मनीषा इस पेचीदा रिश्ते में उलझ कर रह गई थी. क्या इस गिरफ्त से वह सुशांत को आजाद करा पाई?
भाग - 2
मोबाइल की घंटी लगातार घनघना रही थी. नहीं, उसे अब सुशांत से कोई बात नहीं करनी और वह गर्लफैंड. वह खुद को बुरी तरफ अपमानित अनुभव कर रही थी.
भाग - 3
दूसरे दिन सुशांत सुबह ही उसे लेने आ गया था, ‘‘मैं तो रातभर सो ही नहीं पाया मनीषा, और आज औफिस से मैं ने छुट्टी ले ली है.
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