हाथों में लाठी, डंडा, फरसा, चाकू और अनेक धारदार हथियारों के साथ बच्चे, बूढ़े, जवान व औरतें गेहूं की फसल को रौंदते हुए ऐसे आगे बढ़ रहे थे, जैसे पूरा गांव किसी हमले की तैयारी में हो. उन के साथ कुछ लोग पीछे उलटी खटिया पर फूलमालाओं से लदे एक शख्स को बिठा कर आगे बढ़ रहे थे. पीछे बैंडबाजे की आवाज पर लोग थिरक रहे थे. सब से पीछे पुलिस के आला अफसरों के साथ भारी पुलिस बल चल रहा था. पता चला कि उस गांव के देवता के नाराज हो जाने से गांव के ऊपर प्रेतात्मा का साया मंडराने लगा था, क्योंकि उन के गांव के देवता को दूसरे गांव के लोग चुरा ले गए थे. लिहाजा, इस गांव के लोग दूसरे गांव वालों से अपने ग्राम देवता को छुड़ाने जा रहे थे.

यह वाकिआ उत्तर प्रदेश में बस्ती जिले के गांव दुधौरा का था. वहां एक दिन एक औरत की फिसल कर गिरने से मौत हो गई, तो गांव के लोगों में किसी ने यह अफवाह फैला दी कि उन के ग्राम देवता के चोरी हो जाने से ग्राम देवता नाराज हो गए हैं. तभी तो गांव पर भूतप्रेतों का साया मंडराने लगा है. इस अंधविश्वास के चलते गांव के लोग भूतप्रेतों से छुटकारा पाने के लिए गोरखपुर के हरपुर बुदहट नाम के एक तांत्रिक के पास गए, जहां श्यामनारायन नाम के उस तांत्रिक ने गांव वालों को बताया कि गांव के ग्राम देवता को दूसरे गांव के लोग चुरा कर ले गए हैं. तांत्रिक ने यह भी कहा कि भूतप्रेतों से छुटकारा दिलाने के लिए अब तो बस एक ही उपाय है कि वे फिर से ग्राम देवता की विधिविधान से स्थापना करें. इस के लिए गांव के लोगों को अपने ग्राम देवता को दूसरे गांव से छीन कर लाना होगा. उस ठग तांत्रिक के बताए मुताबिक लोग ग्राम देवता की स्थापना की तैयारी में जुट गए और तय दिन पर डीहराजा यानी उस तांत्रिक से दुधौरा गांव में भूत भगाने और ग्राम देवता को दोबारा लाने की तैयारी शुरू कर दी. उस ठग तांत्रिक को फूलमालाओं और रुपएपैसों से लाद कर उलटी खटिया पर बिठाया गया और पूरे गांव का चक्कर लगवाया. इस दौरान हजारों की तादाद में लोग हाथों में चाकू, कुल्हाड़ी, लाठी समेत कई धारदार हथियार ले कर एक जगह इकट्ठा हुए, जहां उस तांत्रिक द्वारा भूत पकड़ने का खेल शुरू किया गया.

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