16 नवंबर, 2014 को मुरादाबाद जनपद के अमरोहा के अदलपुर ताज गांव से 16 श्रद्धालु एक टाटा मैजिक में सवार हो कर बरेली के आंवला में होने वाले एक सत्संग में भाग लेने के लिए सुबह 6.30 बजे निकले. जैसे ही वह कुंदरकी के पास पहुंचे तभी तेज गति से आ रहे भूसे से लदे ट्रक ने टक्कर मार दी. हादसा जबरदस्त था. चीखपुकार मची, लेकिन बहुत जल्द चीखें शांत हो गईं. सभी लोग खून से लथपथ थे. सड़क खून से लाल हो गई. मैजिक की टीन के टुकड़ों ने लोगों के शरीर को छलनी कर दिया. किसी तरह लोगों को निकाला गया. हादसे में 10 महिलाओं सहित 12 लोगों की मौत हो गई. पोस्टमार्टम हाउस पर लाशों की कतार लग गई. यह देख कर हर कोई गमजदा था. सत्संग में जा रहे लोगों के साथ यह कोई पहला हादसा नहीं था. 4 साल पहले रामपुर रोड पर इसी तरह के हादसे में 22 लोगों की मौत हो गई थी. इस से पहले सत्संग में जा रही बस के दुर्घटनाग्रस्त होने से 17 लोगों की जान चली गई थी.

गाजियाबाद निवासी हरवीर की बात करें तो उस की माली हालत अच्छी नहीं थी. उसे किसी ने सलाह दी कि वह गंगा नहाए तो न सिर्फ उस के पाप धुल जाएंगे बल्कि आर्थिक रूप से भी वह संपन्न हो जाएगा. खुशहाली का यह टोटका उसे शौर्टकट भी लगा और अच्छा भी. इस के लिए उस ने शुभदिन वट अमावस्या,

28 मई, 2014 के दिन का चुनाव भी कर लिया.

वह जानता था कि अमावस्या के चलते भारी भीड़ रहेगी, इसलिए 27 मई की अर्द्धरात्रि को एक वैन में खुद हरवीर, उस की पत्नी शीला, 7 माह की बेटी लवी, 8 साल की चंचल, 10 साल की संध्या, 2 भतीजे-4 वर्षीय वंश, 5 वर्षीय यश, उस के जीजा मुकेश, जोकि दिल्ली के मंगोलपुरी से उसी शाम पुण्य लाभ की मंशा से आए थे, उन की पत्नी गीता, 24 वर्षीय बेटी प्रियंका, प्रियंका की डेढ़ वर्षीय बेटी चाहत, मुकेश की दूसरी विवाहित बेटी रिंकी, उस का पति विजय व उन का 4 साल का बेटा गौरव सवार हो कर ब्रजघाट के लिए निकल गए. वैन में कुल 14 लोग सवार थे. सब से पहले पुण्य पाने की चाहत में सभी ने तड़के

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