महिलाओं को धार्मिक क्रियाकलापों में व्यस्त रखने के पीछे धर्म के ठेकेदारों की साजिश है ताकि उन की दुकानदारी चलती. आज महिलाएं हर मारेचे पर पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिला कर न केवल आगे बढ़ रही हैं बल्कि कई मामलों में पुरुषों को पीछे छोड़ भी रही हैं. ऐसे में केरल के सुन्नी मुसलिम नेता कनथापुरम एपी अबूबकर मुस्लीयर ने यह बयान दिया, ‘‘महिलाएं कभी पुरुषों के बराबर नहीं हो सकतीं क्योंकि वे केवल बच्चे पैदा करने के लिए होती हैं. औरतों की भूमिका तय है और वे सिर्फ बच्चे पैदा कर उन का लालनपालन करें. महिलाओं में मानसिक मजबूती और दुनिया को नियंत्रित करने की शक्ति नहीं होती क्योंकि यह ताकत पुरुषों में होती है. लैंगिक समानता ऐसी चीज है जो कभी वास्तविकता में तबदील होने वाली नहीं है. यह इसलाम व मानवता के खिलाफ है व बौद्धिक रूप से गलत है.’’

अबूबकर ने आगे कहा कि महिलाओं में संकट की स्थितियों का सामना करने की क्षमता नहीं होती. उन में बड़ी सर्जरी करने की हिम्मत नहीं होती. उन्होंने पूछा, ‘‘क्या हार्ट के हजारों सर्जनों में एक भी महिला है?’’ कालेजों में लड़के और लड़कियों की सीटें साझा करने की अनुमति पर जारी बहस के संदर्भ में अबूबकर ने कहा, ‘‘यह इसलाम और संस्कृति को खराब करने के सुनियोजित अभियान का हिस्सा है.’’ आधुनिकीकरण के इस युग में समाज बदल रहा है और बहुत तेजी से विज्ञान का विकास हो रहा है. ऐसे में अबूबकर और अन्य धर्मगुरुओं के द्वारा जबतब किए जाने वाले महिला विरोधी बयान महिलाओं के प्रति उन की रुढि़वादी सोच को ही दर्शाते हैं.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...