सवाल
मैं दिल्ली में रहता हूं और उम्र 54 वर्ष है. पत्नी अब इस दुनिया में नहीं है. एक बेटा है जिस के 2 बच्चे और बीवी है और वह उन्हीं में व्यस्त रहता है. मैं दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफैसर हूं. मेरी एक सहकर्मी हैं जो 46 वर्ष की हैं और तलाकशुदा हैं. हम दोनों का एकदूसरे के प्रति रुझान है. बात आगे कैसे बढ़ाएं, यह समझ नहीं आता. वे अकेली हैं, पढ़ीलिखी और समझदार हैं, मौडर्न हैं. दूसरी तरफ मैं हूं जो यह नहीं सोच पा रहा कि इस उम्र में विवाह करना या नए जीवनसाथी की चाह रखना सही भी है या नही. मैं इस बात को अपने जेहन से निकाल ही नहीं पा रहा कि जब मेरे बेटेबहू और पोतेपोतियों को मेरी इस इच्छा का पता चलेगा तो वे यह न सोचने लगें कि मैं उन्हें शर्मिंदा करने जा रहा हूं, या अपनी शारीरिक जरूरतों के लिए ऐसा कर रहा हूं. सच तो यह है कि मैं ऐसा साथी चाहता हूं जो मुझ से मेरे सुखदुख बांटे, यह एक जीवनसाथी ही पूरा कर सकती है. क्या यह इच्छा रखना गलत है? क्या मुझे अपने बच्चों से इस बारे में बातचीत करनी चाहिए?
जवाब
आप का जीवनसाथी की इच्छा रखना किसी भी तरह से गलत नहीं है. आखिर हो भी क्यों, उम्र प्रेम का पैमाना नहीं होती. आप को अपने परिवार से बेझिझक इस विषय में बात करनी चाहिए. आप प्रोफैसर हैं तो यकीनन आप का बेटा इतना समझदार तो होगा ही कि आप की जरूरतों व भावनाओं को समझे. आप अपनी सहकर्मी से इस विषय में बात करें और हो सके तो शादी को ले कर उन के विचार जानें. यदि वे भी आप से शादी करना चाहती हैं तो फिर अपने परिवार से इस बारे में स्पष्टता से बात करें. अपनी इच्छा उन के सामने बिना कतराए रखें.
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