सवाल
मैं 30 वर्षीय विवाहिता हूं. विवाह को 7 साल हो चुके हैं. 2 बच्चे भी हैं. मेरा दांपत्य जीवन बहुत ही खुशहाल था. पतिपत्नी में बेहद प्यार और गजब की अंडरस्टैंडिंग थी. लगता था कि हम जैसे दंपतियों के लिए ही मेड फौर ईच अदर जैसा जुमला बना है. पर कुछ महीनों से पति के व्यवहार में अप्रत्याशित बदलाव आ गया है. वे बातबात पर झल्लाने लगे हैं. मुझ से कटेकटे रहने लगे हैं. मेरे साथ समय बिताना, कहीं बाहर घूमने जाना तो दूर पास बैठने तक का वक्त नहीं है. और तो और दोनों बच्चों में भी उन की कोई दिलचस्पी नहीं रही.
पहले तो मैं यही समझती रही कि शायद अपने कारोबार की टैंशन है. सुनते हैं कि बिजनैस में कंपीटिशन काफी बढ़ गया है. पर घर वालों से पता चला कि ऐसी कोई समस्या नहीं है. तब मैं ने उन्हें 2-3 दिन तक लगातार कुरेदा तो एक दिन सचाई उन के मुंह से निकल ही गई.
पति ने बताया कि मैं उन के लायक ही नहीं हूं. वे तो यह शादी करना ही नहीं चाहते थे. घर वालों के दबाव में आ कर शादी के लिए हां करनी पड़ी. यह उन के जीवन की सब से बड़ी भूल थी.
मैं ने कहा कि आज तक तो आप ने कभी जाहिर नहीं किया, कि मैं जबरन आप के गले पड़ा ढोल हूं जिसे आप मजबूरन बजा रहे हैं. लगता है बाहर कोई मिल गई है, जिस के चलते ऐसे तेवर दिखा रहे हैं. बड़ी बेशर्मी से उन्होंने स्वीकार लिया कि यही सच है. कोई है जो सौ फीसदी उन के काबिल है और उसी के साथ रहना चाहते हैं. यह सुन कर मैं गुस्से से पागल हो गई. खूब खरीखोटी सुनाई. बात जब हद से बढ़ गई तो पांव पटकते हुए रात को ही चले गए.आज 15 दिन हो चुके हैं उन्हें घर से गए हुए. मैं अपनी ससुराल में हूं. उन के घर वाले भी मुझे ही दोष दे रहे हैं. कहते हैं कि पति से इस तरह जबान नहीं लड़ानी चाहिए थी. न मैं भलाबुरा कहती और न वे घर छोड़ कर जाते.
मैं क्या करूं? मैं उन्हें किसी भी सूरत में छोड़ना नहीं चाहती. खासकर अपने दोनों बच्चों की खातिर. आप को अपने पति का और उस लड़की का नंबर दे रही हूं. कृपया आप मेरे पति को समझाएं कि वह घर लौट आएं और उन की माशूका को भी समझाएं कि वह मेरा घर न तोड़े.
जवाब
आप स्वीकार करती हैं कि शुरुआती सालों में आप का दांपत्य जीवन खुशहाल रहा. पति आप को चाहते थे. आप की और घरपरिवार की परवाह करते थे. आप लोगों में अच्छा तालमेल था. फिर यकायक यह कैसे खत्म हो गया और स्थिति इतनी बदतर हो गई कि पति न केवल आप की उपेक्षा करने लगे, बल्कि उन्होंने बाहर विवाहेतर संबंध भी बना लिए?
आप स्थिति को समझने का प्रयास करेंगी तो पाएंगी कि चूक आप से ही हुई है. आप छोटे बच्चों की परवरिश और घरपरिवार की जिम्मेदारियों में इस कदर मसरूफ हो गईं कि पति निरंतर उपेक्षित होते गए. जब घर से उन्हें प्यार नहीं मिला तो उन्होंने घर से बाहर आप का विकल्प तलाश लिया.
शुरूशुरू में जब पति के स्वभाव में आप ने परिवर्तन और अपने लिए बेरुखी देखी थी, आप को तभी सतर्क हो जाना चाहिए था. माना कि छोटे बच्चों की परवरिश आसान काम नहीं है पर इस जिम्मेदारी को निभाते हुए भी पति की अनदेखी कई बार भारी पड़ती है जैसाकि आप के मामले में हुआ.
यदि जानेअनजाने में हुई आप की अनदेखी से आप को पति के व्यवहार में बदलाव दिख रहा था तो आप को सतर्क हो जाना चाहिए था. उन्हें यह एहसास नहीं होने देना चाहिए था कि उन का महत्त्व दिनोंदिन गौण होता जा रहा है.
यदि आप स्थिति को संभाल लेतीं तो बेहतर था. पर आपने स्थिति को संभालने के बजाय लड़झगड़ कर मामले को और उलझा लिया.
अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है. घबराएं नहीं. आप पति की ब्याहता और उन के बच्चों की मां हैं और सब से बड़ी बात उन के घरपरिवार में रह रही हैं तो अव्वल तो आप के पति ज्यादा दिन बाहर रहेंगे नहीं, क्योंकि समाज के प्रति भी उन की जवाबदेही है और फिर उन की तथाकथित प्रेमिका एक विवाहित पुरुष को अधिक दिनों तक बरदाश्त नहीं करने वाली.
आप अपनी ससुराल से बड़े सदस्यों यथा सासससुर या जेठ अथवा किसी ऐसे संबंधी को उन्हें समझाने के लिए भेजें. आप अपने घर वालों को साथ ले कर स्वयं भी उन्हें मनाने जा सकती हैं. देरसवेर वे लौट आएंगे.
रही हमारे द्वारा मध्यस्थता कराने (उन्हें फोन पर समझानेबुझाने) की तो यह उचित नहीं होगा. इस से वे और भड़क जाएंगे कि घर की बात आप चौराहे तक ले आईं.
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