सवाल

मैं हाउसवाइफ हूं. मेरा 12 साल का बेटा है. मेरी आदत है कि मैं नातेरिश्तेदारी, अड़ोसपड़ोस सब से अच्छी तरह मेलजोल रखती हूं लेकिन मैं देख रही हूं कि मेरा बेटा बिलकुल भी सोशल नेचर का नहीं है. घर आए रिश्तेदारों से भी ज्यादा बोलता नहीं. लेकिन अपने यारदोस्तों से उस की अच्छी बनती है. घर आए मेहमानों के आगे उस का स्वभाव एकदम बदल जाता है. इस की क्या वजह हो सकती है?

जवाब

जिस बात का जिक्र आप कर रही हैं, आजकल बच्चों में यह देखने को मिल रहा है, पर ऐसा है नहीं. शायद बच्चों का दायरा बदल गया है. वे अपने फ्रैंड्स या हमउम्र लोगों के साथ घंटों टाइम बिता सकते हैं लेकिन घर आए मेहमानों के साथ फौर्मल हायहैलो से ज्यादा नहीं करते और न ही अकसर बच्चे पेरैंट्स के साथ कहीं जाना पसंद करते हैं.

हम पेरैंट्स सोचते हैं कि हम जब इन की उम्र के थे, तब हम तो ऐसा नहीं करते थे. घर आए मेहमानों के बीच बैठते थे, बातें करते थे, खुश होते थे लेकिन हमारे बच्चे ऐसा क्यों नहीं करते, क्यों सोशल नहीं हैं आदिआदि.

देखिए, वक्त बदल गया है. स्थितियां पहले जैसी नहीं रही हैं. बच्चों के पास अपने मनोरंजन के लिए कई साधन हैं, जैसे टीवी, इंटरनैट, वीडियो गेम्स. मोबाइल, सोशल मीडिया. वे इन सब में बिजी रहते हैं. उन्हें किसी दूसरे की ज्यादा जरूरत महसूस नहीं होती. हां, कभी जब इन सब से बोर हो जाते हैं तो अपने यारदोस्तों से बातें कर लेते हैं, उन के साथ घूमफिर लेते हैं. बाद में फिर अपनेआप में मशगूल हो जाते हैं.

हम पेरैंट्स के टाइम में ऐसा कुछ नहीं था. जो कुछ भी था, वह बहुत सीमित था. इस के अलावा ये बातें घर के माहौल पर भी निर्भर करती हैं. फिलहाल आप चाहते हैं कि आप का बच्चा सोशल हो तो शुरुआत कीजिए अपने बच्चे के फ्रैंड्स व पेरैंट्स से. उन्हें अपने घर बुलाइए.  दोतीन बार ऐसी पार्टी, गैटटूगैदर होगी तो वह भी खुशीखुशी आप के साथ उन के घर जाएगा.

वैसे भी बच्चे उम्र बढ़ने के साथ बहुतकुछ देखतेसम?ाते हैं और उन में बदलाव भी आता है. बेटे के साथ ज्यादा से ज्यादा टाइम स्पैंड करने की कोशिश कीजिए. उस के आसपास जो रहा है, उस से संबंधित बातें कीजिए. रिश्तेदारों को घर बुलाइए. सब मिल कर गेम्स खेलिए दिलचस्प माहौल बनाइए. बेटा खुदबखुद सब में इनवौल्व होगा.

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