राहुल गांधी ने 7 सितंबर, 2022 को कन्याकुमारी से भारत जोड़ो यात्रा शुरू की थी, जो 30 जनवरी, 2023 को श्रीनगर में खत्म हुई. 2024 में जब भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनाव के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में वोट मांगने के लिए रैलियां निकाल रही होगी तब राहुल गांधी अपनी न्याय यात्रा पर होंगे. 14 जनवरी, 2024 को मणिपुर से चल कर यह यात्रा 20 मार्च के करीब मुंबई में खत्म होगी.

‘भारत न्याय यात्रा असम, पश्चिम बंगाल, बिहार, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और गुजरात समेत 14 राज्यों से हो कर 6,200 किलोमीटर की दूरी तय करेगी. 67 दिनों की इस यात्रा की ज्यादातर दूरी बस से तय की जाएगी. वहीं कुछ जगहों पर पदयात्रा भी की जाएगी. ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के बाद राहुल गांधी की ‘भारत न्याय यात्रा’ से भाजपा बेचैन हो रही है.

यात्रा के मुद्दों से घबराई भाजपा

मणिपुर से यात्रा को शुरू करने का मकसद वहां हिंसा के शिकार लोगों की आवाज को उठाना, उन को न्याय दिलाना है. यह एक राष्ट्रीय बहस का मुद्दा है. लोकसभा चुनाव में इस को उठाने से भाजपा की दिक्कत बढ़ सकती है. मणिपुर को ले कर जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणियां कीं, वे सभी को पता हैं. इस के बाद भी पीएमओ ने मणिपुर को संज्ञान में नहीं लिया. राहुल गांधी इस यात्रा के जरिए यह बताना चाहते हैं कि मोदी सरकार भले ही विपक्षी सांसदों को लोकसभा और राज्यसभा में अपनी आवाज न उठाने दे, सडक वे वह अपनी बात कह ही सकते हैं.

राहुल इस न्याय यात्रा में लोकसभा से सदस्यों के निलंबन, संवैधानिक संस्थाओं के अधिकारों पर कटौती, बेरोजगारी और महंगाई जैसे उन मुददों पर बात करेंगे जिन के जवाब भाजपा के पास नहीं होंगे. ये मुद्दे भाजपा के गले की फांस बन सकते हैं. भारत जोडो यात्रा का प्रभाव दक्षिण के राज्यों पर पड़ा था. उस के बाद कर्नाटक और तेलगांना में कांग्रेस को जीत हासिल हुई. भाजपा इस यात्रा को ले कर कोई बड़ा विरोध नहीं कर पा रही है. उस की सोशल मीडिया टीम और पीएमओ को कोई मुद्दा नहीं मिल रहा है.

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