धर्मों की घुसपैठ ने दुनिया का बंटाधार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. छोटेछोटे धार्मिक समूह दुनिया में जहां कहीं भी बसे हैं, वे अपनी कट्टर फितरत से दूसरे लोगों के लिए परेशानी का सबब बनते रहे हैं. धर्मों द्वारा अपनी कट्टर गतिविधियों से नफरत, हिंसा फैलाई जा रही हैं. दूसरे समुदायों के लोगों के साथ उन का मतभेद बढ़ते बढ़ते बात कानून व्यवस्था तक जा पहुंचती है और धर्म किसी भी देश की शांति व्यवस्था के लिए खतरा बनने लगते हैं.
चीन में पिछले दिनों से उइगुर मुसलमानों की कट्टर हरकतों से ऐसा ही हो रहा है. यह समुदाय अपनी कट्टर धार्मिक गतिविधियों से चीन की आंखों की किरकिरी बनने लगा है.
चीन ने पश्चिमी शिनचियांग प्रांत में बड़ी तादाद में उइगुर मुस्लिमों और अन्य जातीय अल्पसंख्यक समुदायों को गिरफ्तार कर रखा है. इन पर आरोप है कि ये लोग कट्टरपंथ, आतंकवाद और अलगाववाद में लिप्त हैं.
शिनचियांग प्रांत के हामी शहर में उन उइगुर मुस्लिमों को 30 दिन के अंदर समर्पण करने की चेतावनी दी है जो कट्टरपंथ, आतंकवाद और अलगाववाद फैला रहे हैं. इन में वे कट्टरपंथी भी शामिल हैं जो विदेशी आतंकी समूहों के संपर्क में हैं या रूढिवादी तरीके से काम करते हैं और खुद को खलीफा यानी खुद की सत्ता चलाना चाहते हैं.
शिनचियांग में एक लाख से अधिक लोगों को हिरासत शिविरों में रखा गया है. इन शिविरों को ‘पुन: शिक्षा शिविर’ कहा जाता है. इन का उद्देश्य बंदियों को उन की पहचान और उन की धार्मिक मान्यताओं से संबंधित सोच में बदलाव लाना है.
हालांकि चीन ने कहा है कि वह देश के जातीय अल्पसंख्यक समुदायों के धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है लेकिन अभी जो काररवाई की जा रही है वह सुरक्षा के मकसद से अतिवादी और कट्टरपंथी समूहों के खिलाफ की जा रही है.
दरअसल उइगुर मुस्लिम तुर्की जनजाति है जो चीन की बजाय पूर्वी और मध्य एशिया में बसने वाले तुर्क और कजाख के ज्यादा करीब है. ये लोग लाखों की तादाद में चीनी नियंत्रण वाले शिनचियांग में रहते हैं. यहां रहने वाले उइगुर सुन्नी बहुमत में हैं और उन में सूफी और गैर सूफी धार्मिक आदेशों को ले कर संघर्ष चलता रहता है.
चीन सरकार द्वारा इस कट्टर समुदाय पर शिकंजा कसने पर विदेशी सरकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं द्वारा विरोध किया जा रहा है पर चीन का यह कदम सही है. किसी भी धर्म को यह छूट नहीं दी जा सकती कि वह अपनी हरकतों से औरों के लिए खतरा पैदा करें. धर्म के नाम पर नफरत, हिंसा फैलाए.
चीन सरकार ने यह ठीक ही किया है कि इस समुदाय के कट्टरपंथियों को धर्म की हद में रहने की चेतावनी दी और ऐसा न करने पर कानूनी सजा की देने के लिए विवश हुई है.
दुनिया में जहां भी धर्मों को आजादी मिली, वहां वैर, वैमनस्य, खूनखराबा बढता गया. विश्व के ज्यादातर देशों में आज एक धर्म दूसरे का सिर फोड़ने पर आमादा दिखाई दे रहा है. एक धर्म में भी एका नहीं है. एक ही धर्म के दो पंथों में सिरफुटव्वल जारी है.
धर्मों में हिंसा का भरा पड़ा है. शिया-सुन्नी, कैथोलिक-प्रोटेस्टैंट, बौद्धों में हीनयान-महायान, हिंदुओं में शैव-वैष्णव के बीच झगड़े चलते आए हैं.
धर्मों से दुनिया तबाह हो रही है. बिना धर्म के रह रहा चीन अपने यहां ऐसे धर्म के नागों को कुचलने की कोशिश कर रहा है तो उस की तारीफ करनी चाहिए. वह दुनिया की परवाह न करे. पिछले दशकों से चीन जो तरक्की कर रहा है उस का बड़ा श्रेय यहां धर्म को न पनपने देने की उस की नीति को दिया जाना चाहिए.
चीन ने शिनचियांग प्रांत में धार्मिक शिक्षा पर प्रतिबंध लगा रखा है. यहां धार्मिक स्कूलों पर बैन है और वे अवैध हैं.
कम्युनिस्ट चीन आज विश्व के देशों में तरक्की में आगे इसीलिए है क्योंकि वहां गलीगली में मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारे, तीर्थस्थल नहीं हैं. सुखशांति, समृद्धि, स्वर्गनरक, मोक्षमुक्ति को ज्ञान झाड़ने वाले निठल्ले धर्मगुरुओं, प्रवचकों, साधुसंन्यासियों, पंडेपुरोहितों, पादरियों, मुल्लामौलवियों की फौज और उन के पिछलग्गुओं की भीड़ नहीं है.
वहां समुद्र में तेल की पाइपलाइनें बिछाने, पहाड़ों पर खंभे, पुल बनाने वाले क्रिएटिव ब्रेन पैदा हो रहे हैं जो चीन की आर्थिक, सामाजिक समृद्धि बढाने में जुटे दिखाई दे रहे हैं.
दुनिया में सब से अधिक आबादी होने को इस देश ने अभिशाप नहीं, वरदान के तौर पर लेना शुरू कर दिया है. यह आबादी दिनरात बैठ कर भजनकीर्तन, हवनयज्ञ, जागरण नहीं करती. देश की उत्पादकता में बड़ा योगदान दे रही है.