उत्तर प्रदेश की अमेठी सीट के साथ-साथ केरल के वायनाड से राहुल गांधी द्वारा लोकसभा सीट का नामांकन दाखिल करने के पीछे एक खास वजह है. यह वजह दिल से और भावना से जुड़ी हुई है. दरअसल वायनाड ही वह जगह है जहां राहुल गांधी के पिता स्वर्गीय राजीव गांधी की अस्थियां पाप नाशिनी नदी में विसर्जित की गयी थीं. पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 1991 में एक बम विस्फोट में हत्या कर दी गयी थी. उनकी हत्या के बाद केरल के पूर्व मुख्यमंत्री के. करुणाकरन ने वायनाड के पापनाशिनी नदी में राजीव गांधी की अस्थियों को विसर्जित किया था. उस वक्त राहुल महज 21 साल के थे.

पिता की अस्थियों को पापनाशिनी नदी में विसर्जित करने के लिए वे पूर्व रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी के साथ वायनाड गये थे. राहुल गांधी ने पिता राजीव गांधी की अस्थियों के साथ पहले थिरुनेल्ली मंदिर में पूजा की और उसके बाद वे के. करुणाकरन के साथ वायनाड की पापनाशिनी नदी में पिता की अस्थियां विसर्जित करने के लिए गये. कहा जाता है कि इस घटना ने 1991 में देश भर में और खासकर  केरल में कांग्रेस के लिए सहानुभूति की ऐसी लहर पैदा की कि के. करुणाकरन के लिए वहां पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने और कांग्रेस की जमीन मजबूत करने में काफी आसानी हुई. इसका राजनीतिक फायदा भी कांग्रेस को मिला और 1991 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में वामपंथी दलों के नेतृत्व वाले एलडीएफ का प्रदेश से पूरी तरह सफाया हो गया.

केरल की सत्ता में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ की वापसी हुई. अब एक बार फिर राहुल गांधी उसी वायनाड से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं. वायनाड पहुंचना उनके और उनकी बहन प्रियंका गांधी के लिए बहुत भावुक क्षण थे. उनकी आंखों के सामने एक बार फिर वह तमाम पुरानी यादें ताजा हो उठीं हैं. राहुल गांधी ने काफी सोच विचार कर इस जगह को अपनी रणभूमि के तौर पर चुना है. यह ऐसी जगह है जो केरल के साथ ही तमिलनाडु और कर्नाटक से भी सटी हुई है. इससे इस लोकसभा में कांग्रेस दक्षिण के राज्यों को साध सकती है. अब देखना यह है कि वायनाड राहुल गांधी के सिर पर जीत का ताज पहनाएगा या नहीं?

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