भारतीय परिवारों में उपवास के दिनों में बड़ा उत्साह रहता है. परिवार के लोग उपवासपूर्व की रात्रि को खूब गरिष्ठ व तला खाना खाते हैं और एकदूसरे से कहते भी रहते हैं कि जितना ज्यादा हो सके, खा लो, कल तो उपवास है. कहने का मतलब यह नहीं उपवास के दिन वाकई उपवास किया जाता है, बल्कि इस दिन भी फलाहार के नाम पर मिष्ठान, मेवे और फल वगैरा पेट में ठूंसे जाते हैं.

सार्वजनिक राजनीतिक उपवास भी कुछकुछ ऐसे ही होने लगे हैं जिन में पहले से ही पेट को इतना तृप्त कर दिया जाता है कि 4-6 घंटे भूख वाले हार्मोंस सक्रिय न हों. नरेंद्र मोदी ने राहुल गांधी के उपवास का जवाब भी उपवास से दिया तो इस में उन का कहा जुमला चरितार्थ हो गया कि ‘न खाऊंगा न खाने दूंगा’, यह और बात है कि सब खा रहे हैं और खाने भी दे रहे हैं.

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