उसूल बेच कर पैसा कमाना कभी घाटे का सौदा साबित नहीं होता. यह अगर केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल कर रही हैं तो यह सिर्फ उन की मां कृष्णा और बहन पल्लवी पटेल की निगाह में ही गुनाह है वरना अब लोग भूल चले हैं कि अपने दल के संस्थापक सोनेलाल पटेल की सियासी और सामाजिक हैसियत किसी और से उन्नीस नहीं हुआ करती थी. बसपा संस्थापक कांशीराम के साथ अपना राजनीतिक सफर शुरू करने वाले सोनेलाल की एक आवाज पर पूरा कुर्मी समुदाय इकट्ठा हो जाता था. सोनेलाल जातिगत भेदभाव और कट्टरपंथियों से इस हद तक नफरत करते थे कि उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया था.
बीती 2 जुलाई को उन की पुण्यतिथि अनुप्रिया ने अपने पति आशीष पटेल के साथ समारोहपूर्वक मनाई तो पल्लवी और कृष्णा ने भी अपने आयोजन का आकार बड़ा ही रखा.
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि शायद कभी बेटी को याद आए कि 1999 में तत्कालीन भाजपाई दिग्गज सांसद मुरली मनोहर जोशी के इशारे पर उन के पिता की ऐसी सरकारी पिटाई हुई थी कि उन के शरीर पर आए फ्रैक्चरों की संख्या आज तक कोई नहीं बता पाया.
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